Crude Oil Price Drop 2025: कच्चे तेल के दाम चार साल के निचले स्तर पर, फिर भी क्यों नहीं घट रहे पेट्रोल-डीजल के दाम
Crude Oil Price Drop 2025: कच्चे तेल के दाम चार साल के निचले स्तर पर, फिर भी क्यों नहीं घट रहे पेट्रोल-डीजल के दाम
Authored By: Suman
Published On: Thursday, May 8, 2025
Updated On: Thursday, May 8, 2025
अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत 61 डॉलर के आसपास आ गई. इसके बावजूद बड़ा सवाल यह है कि आखिर भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम क्यों नहीं कम हो रहे?
Authored By: Suman
Updated On: Thursday, May 8, 2025
Crude Oil Price Drop 2025: क्रूड ऑयल यानी कच्चे तेल की वैश्विक स्तर पर कीमत चार साल के निचले स्तर पर आ गई है. गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत 61 डॉलर के आसपास आ गई. इसके बावजूद बड़ा सवाल यह है कि आखिर भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम क्यों नहीं कम हो रहे? आइए इसे समझते हैं.
पिछले एक माह में कच्चे तेल के दाम में 10 डॉलर प्रति बैरल की गिरावट आई है. भारत दुनिया में सबसे बड़े क्रूड आयातक देशों में से है और यहां के आयात बिल में करीब 25 फीसदी हिस्सा कच्चे तेल का ही होता है.
वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने करीब 185 अरब डॉलर की पेट्रोलियम वस्तुओं का आयात किया. पिछले साल क्रूड ऑयल की कीमत के रेंज में थी. यानी इस साल सरकार के क्रूड ऑयल आयात बिल में कमी आ सकती है. भारत-पाक के बीच जबरदस्त तनाव है ऐसे में कच्चे तेल में गिरावट का भारत का काफी फायदा मिलेगा. इससे भारत सरकार को अपना आयात बिल कम करने और राजस्व बढ़ाने में मदद मिल रही है.
पेट्रोल की कीमतें 95 रुपये प्रति लीटर के आसपास औेर डीजल की 88 रुपये के आसपास हैं. सरकार चाहती है कि कीमतें इस लेवल पर टिकी रहें. अब क्रूड के दाम नरम रहने से कीमतें बढ़ने की गुंजाइश तो है नहीं, इसलिए जन विरोध का डर भी नहीं है. कीमतें घटाने के लिए उतना जन दबाव नहीं होता.
खजाना हो रहा मजबूत
सरकार ने पहले कई साल तक पेट्रोलियम कंपनियों के घाटे की भरपाई की, अब अपना खजाना मजबूत कर रही है. मई 2022 में जब कच्चे तेल के दाम 124 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर चले गए थे तो पेट्रोलियम कंपनियों को पेट्रोल-डीजल की बिक्री पर नुकसार हो रहा था. तो जब क्रूड के दाम कम हुए तो सरकार ने पहले पेट्रोलियम कंपनियों के इस अंडर रिकवरी की भरपाई यानी उन्हें अपने नुकसान को खत्म करने का अवसर दिया. हालांकि अगस्त 2024 से कच्चे तेल के दाम लगातार 80 बैरल प्रति डॉलर से नीचे ही हैं और अब तो यह काफी नीचे आ गए हैं.
इसके बाद सरकार अपने खजाने को दुरुस्त कर रही है. केंद्र सरकार ने इस वित्त वर्ष के अंत तक राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.4 फीसदी फीसदी तक लाने का लक्ष्य रखा है. तो राजस्व बढ़ाने के ऐसे ही उपायों से राजकोषीय घाटे में कमी लाई जा सकती है.
सरकार ने पिछले महीने पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले एक्साइज ड्यूटी यानी उत्पाद कर में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी थी. अब जब कच्चा तेल 61 डॉलर के स्तर पर आ गया है तो सरकार एक बार फिर एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी कर सकती है. इसके पहले साल 2016 से 2017 के बीच सरकार ने एक्साइज टैक्स में 9 बार बढ़ोतरी की थी.
पेट्रोल और डीजल पर टैक्स में 1 रुपया प्रति लीटर की बढ़ोतरी से सरकारी खजाने में हर साल 1600 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हो जाती है. इस तरह बार-बार एक्साइज टैक्स बढ़ाकर सरकार अपने खजाने को मजबूत कर रही है.
कितना लगता है टैक्स
पेट्रोल-डीजल पर आप जो कीमत चुकाते हैं उसका बड़ा हिस्सा टैक्स में चला जाता है. उदाहरण के लिए दिल्ली में पेट्रोल पर कीमत का करीब 38 फीसदी तो टैक्स में ही चला जाता है. दिल्ली में फिलहाल पेट्रोल की कीमत 94.77 रुपये प्रति लीटर है. इसमें डीलर से ली जाने वाली कीमत करीब 53.07 रुपये ही पड़ती है. प्रति लीटर 21.90 रुपये केंद्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी और 15.40 रुपये प्रति लीटर राज्य सरकार का वैट लगता है. यानी करीब 37 रुपये तो टैक्स में ही लग जाते हैं. इसके बाद करीब 4.40 रुपये प्रति लीटर डीलर का कमीशन दिया जाता है.
यह भी पढ़ें

news via inbox
समाचार जगत की हर खबर, सीधे आपके इनबॉक्स में - आज ही हमारे न्यूजलेटर को सब्सक्राइब करें।