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पप्पू के साथ ‘खेला’, तो सत्ता पक्ष ने कहा ‘बिहार बंद’ सिर्फ एक नौटंकी!
पप्पू के साथ ‘खेला’, तो सत्ता पक्ष ने कहा ‘बिहार बंद’ सिर्फ एक नौटंकी!
Authored By: सतीश झा
Published On: Wednesday, July 9, 2025
Last Updated On: Wednesday, July 9, 2025
बिहार की राजनीति में उस समय नया बवंडर खड़ा हो गया, जब 'बिहार बंद' के दौरान इंडिया गठबंधन की रैली में सांसद पप्पू यादव (Pappu Yadav) के साथ कथित 'खेला' हो गया. वहीं, सत्ता पक्ष ने पूरे 'बिहार बंद' आंदोलन को "नाटक" और "राजनीतिक स्टंट" करार देते हुए विपक्षी दलों को जमकर घेरा.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Wednesday, July 9, 2025
‘बिहार बंद’ और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के राज्य दौरे पर बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी (Samrat Choudhary) ने विपक्ष पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने महागठबंधन के नेताओं को “कामचोर” और “राजकुमार” कहकर घेरा. सम्राट चौधरी ने कहा, “ये लोग कामचोर हैं, मेहनत करना इनकी फितरत में नहीं है. बिहार के लोगों ने सहमति दी है कि हम मतदाता सूची की समीक्षा कराएंगे, फिर ये किस बात का विरोध कर रहे हैं?”
उन्होंने राहुल गांधी और तेजस्वी यादव पर व्यक्तिगत निशाना साधते हुए कहा, “ये राजकुमार लोग हैं—गांधी परिवार का राजकुमार और लालू यादव का राजकुमार. इन्हें लोकतंत्र पर भरोसा नहीं है. ये सिर्फ सत्ता में बने रहने के लिए झूठ फैलाते हैं और जनता को गुमराह करते हैं.” सम्राट चौधरी ने यह भी कहा कि विपक्ष को यह बर्दाश्त नहीं हो रहा कि बिहार में एनडीए सरकार जन समर्थन के साथ स्थिरता और विकास के रास्ते पर बढ़ रही है.
पप्पू यादव के साथ मंच से दूरी और धक्का-मुक्की
बिहार बंद के समर्थन में आयोजित रैली के दौरान जब राहुल गांधी (Rahul Gandhi), तेजस्वी यादव, और अन्य विपक्षी नेता ओपन वैन पर सवार होकर प्रदर्शन कर रहे थे, उसी दौरान पप्पू यादव (Pappu Yadav) भी मंच पर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि उन्हें सुरक्षा कर्मियों द्वारा धक्का देकर पीछे हटा दिया गया. इससे उनके समर्थकों में नाराजगी फैल गई और कई राजनीतिक हलकों में यह सवाल उठने लगा कि क्या गठबंधन में ही उनके साथ ‘राजनीतिक खेला’ हो गया है?
क्या सच में पप्पू यादव के साथ हुआ ‘खेला’?
बिहार की सियासत में मजबूत जनाधार रखने वाले नेता पप्पू यादव (Pappu Yadav) अक्सर विपक्षी एकता की मुखर वकालत करते रहे हैं. ऐसे में इंडिया गठबंधन के मुख्य मंच से उन्हें दूर रखना और सुरक्षा कारणों का हवाला देकर उन्हें चढ़ने से रोकना, कई लोगों को राजनीतिक संकेत के रूप में नजर आ रहा है. राजनीतिक विश्लेषक इसे विपक्षी एकता के भीतर गहरे मतभेद और रणनीतिक दूरी का प्रतीक मान रहे हैं. पप्पू यादव की मंच से दूरी और उन्हें हटाने की घटना ने यह साफ कर दिया कि विपक्षी एकता के मंच पर भी दरारें मौजूद हैं.
सत्ता पक्ष का तंज: “बिहार बंद सिर्फ एक नौटंकी”
इधर, सत्तारूढ़ एनडीए के नेताओं ने इस पूरे ‘बिहार बंद’ आंदोलन को ‘नौटंकी’ और जनता को गुमराह करने का प्रयास बताया। जेडीयू और बीजेपी नेताओं ने कहा कि यह सिर्फ टीवी कैमरों के लिए किया गया एक नाटक है. विपक्ष को न तो बिहार की जनता की चिंता है और न लोकतंत्र की। यह सिर्फ हार के डर से किया गया शोर है. कुछ नेताओं ने यहां तक कहा कि बिहार बंद के नाम पर जनता को परेशान किया गया, जबकि असल मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश की जा रही है.
मंत्री श्रवण कुमार का तंज: “देश हाथ से निकल चुका, अब मेहनत बेकार जाएगी”
बिहार सरकार के मंत्री श्रवण कुमार ने कांग्रेस और महागठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि चुनाव के समय में ऐसे प्रयास कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन इससे बिहार की राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ेगा. श्रवण कुमार ने कहा, “चुनाव के समय में बड़े और छोटे नेता इस तरह के प्रदर्शन करते रहते हैं. इसमें कुछ भी नया नहीं है. लेकिन बिहार में आकर कुछ करना अब उनके लिए फायदेमंद नहीं है.”
कांग्रेस पार्टी पर हमला करते हुए उन्होंने कहा, “एक समय था जब पूरे देश में कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी. लेकिन आज स्थिति यह है कि उंगलियों पर गिने राज्यों में ही उनकी सरकार है. पूरा देश उनके हाथ से निकल चुका है.” राहुल गांधी की कोशिशों को निरर्थक बताते हुए मंत्री ने कहा, “अब कांग्रेस को कुछ मिलने वाला नहीं है. उनकी मेहनत बेकार जाएगी, क्योंकि बिहार की जनता पहले ही फैसला कर चुकी है. लोग NDA के पक्ष में हैं और वही आगे भी सत्ता में आएगा.”
जहां एक ओर विपक्ष ‘बिहार बंद’ को लोकतंत्र और मताधिकार की रक्षा की लड़ाई बता रहा है, वहीं दूसरी ओर सत्ता पक्ष इसे पूरी तरह राजनीतिक प्रपंच करार दे रहा है. वहीं, पप्पू यादव के साथ हुई धक्का-मुक्की ने इंडिया गठबंधन की आंतरिक खींचतान और सत्ता की राजनीति के ‘मंच के पीछे’ के खेल को भी उजागर कर दिया है.