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राहुल गांधी का नीतीश सरकार पर जोरदार हमला, बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर कही ये बात
राहुल गांधी का नीतीश सरकार पर जोरदार हमला, बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर कही ये बात
Authored By: सतीश झा
Published On: Monday, July 14, 2025
Last Updated On: Monday, July 14, 2025
बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों (Bihar Assembly Election 2025) को लेकर राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है. इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने राज्य की बिगड़ती कानून व्यवस्था (Law & Order in Bihar) को लेकर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सरकार पर जोरदार हमला बोला है. उन्होंने राज्य में लगातार बढ़ते अपराधों और जनता में फैले भय को लेकर गंभीर चिंता जताई है.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Monday, July 14, 2025
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “बिहार बन गया है ‘क्राइम कैपिटल ऑफ इंडिया’ (Crime Captial of India) – हर गली में डर, हर घर में बेचैनी! बेरोज़गार युवाओं को हत्यारा बना रहा है गुंडा राज.”
बेरोजगारी, शिक्षा की कमी, और सरकारी उदासीनता ने बिहार के नौजवानों को अपराध की ओर धकेल दिया
राहुल (Rahul Gandhi) का यह बयान ऐसे समय आया है जब विपक्ष लगातार एनडीए (NDA) सरकार को मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) और अपराध के बढ़ते मामलों को लेकर घेर रहा है. कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि वह राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने में पूरी तरह विफल रही है. उन्होंने यह भी कहा कि बेरोजगारी, शिक्षा की कमी, और सरकारी उदासीनता ने बिहार के नौजवानों को अपराध की ओर धकेल दिया है. यह स्थिति चिंताजनक होती जा रही है.
आक्रामक रुख आगामी चुनावों में कांग्रेस की रणनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का यह आक्रामक रुख आगामी चुनावों में कांग्रेस की रणनीति को दर्शाता है, जिसमें कानून व्यवस्था और युवाओं के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाएगा. सरकार की ओर से फिलहाल राहुल गांधी के बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह तय है कि बिहार की राजनीति आने वाले दिनों में और गरमाने वाली है.
हिंसक अपराध दर के मामले में दूसरे स्थान पर
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, बिहार देश के उन शीर्ष पांच राज्यों में शामिल है, जहां हिंसक अपराध, विशेष रूप से आग्नेयास्त्रों से जुड़े अपराध, लगातार चिंता का विषय बने हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार वर्ष 2017, 2018, 2020 और 2022 में हिंसक अपराध दर के मामले में दूसरे स्थान पर रहा है. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद राज्य में कानून व्यवस्था को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई है. हालांकि, बिहार पुलिस महानिदेशक (DGP) विनय कुमार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अधिकांश हत्याएं जमीन विवाद और संपत्ति से जुड़े मामलों के कारण होती हैं. उन्होंने स्पष्ट किया, “ऐसे मामलों में पुलिस की भूमिका सीमित होती है, क्योंकि यह अपराध पहले होते हैं और पुलिस की कार्रवाई उसके बाद शुरू होती है.”
DGP ने यह भी दावा किया कि अपराध का पता लगाने (डिटेक्शन) में बिहार पुलिस ने 100 प्रतिशत सफलता प्राप्त की है, जो राज्य की पुलिस की तत्परता और दक्षता को दर्शाता है. विशेषज्ञों का मानना है कि जमीन विवाद, परिवारिक झगड़े और स्थानीय स्तर पर आपसी रंजिश जैसे मुद्दे बिहार में हिंसक अपराधों के पीछे प्रमुख कारण हैं. हालांकि सरकार और पुलिस प्रशासन अपराध नियंत्रण को लेकर आश्वस्त है, लेकिन एनसीआरबी के ये आंकड़े राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल जरूर खड़े करते हैं.
10 दिन में कई हत्याओं से दहशत — हर महीने औसतन 229 हत्या के मामले
बिहार में बीते 10 दिनों में राज्य में कई हत्याओं की सनसनीखेज घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें व्यवसायी गोपाल खेमका, भाजपा नेता सुरेंद्र कुमार, एक 60 वर्षीय महिला, एक दुकानदार, एक वकील और एक शिक्षक की हत्या शामिल है. इन हत्याओं ने पूरे राज्य को दहला दिया है और कानून व्यवस्था को लेकर गहरी चिंता खड़ी कर दी है.
राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (SCRB) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से जून 2025 के बीच राज्य में 1,376 हत्या के मामले दर्ज किए गए, यानी हर महीने औसतन 229 हत्याएं. जबकि 2024 में कुल 2,786 और 2023 में 2,863 हत्या के मामले दर्ज किए गए थे.
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के अनुसार, हाल के दिनों में अपराधों में आई तेज़ी के पीछे एक बड़ा कारण अवैध रूप से बने या बिना वैध लाइसेंस के खरीदे गए हथियारों का प्रसार है. साथ ही कारतूस और गोला-बारूद की अनियंत्रित उपलब्धता ने हिंसक घटनाओं को और भड़काया है.
बढ़ता असुरक्षा का माहौल चुनाव से पहले न केवल आम जनता को प्रभावित कर रहा
विशेषज्ञ मानते हैं कि बिहार में बढ़ता असुरक्षा का माहौल चुनाव से पहले न केवल आम जनता को प्रभावित कर रहा है, बल्कि यह राजनीतिक मुद्दा भी बनता जा रहा है. विपक्ष जहां सरकार पर “जंगलराज की वापसी” का आरोप लगा रहा है, वहीं प्रशासन अपराध पर नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाने का दावा कर रहा है.
राजनीतिक दलों ने भी इस रिपोर्ट को आधार बनाकर राज्य सरकार पर हमला बोलना शुरू कर दिया है, जिससे यह मुद्दा चुनावी माहौल में भी केंद्र में आ गया है.
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