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Raj Kapoor’s Birth Centenary: हम न रहेंगे, तुम न रहोगे, फिर भी रहेगी निशानिया
Raj Kapoor’s Birth Centenary: हम न रहेंगे, तुम न रहोगे, फिर भी रहेगी निशानिया
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Published On: Friday, December 13, 2024
Updated On: Friday, December 13, 2024
आरके फिल्म्स, फ़िल्म हेरिटेज फाउंडेशन और एनएफडीसी-नेशनल फिल्म आर्काइव ऑफ इंडिया ‘राज कपूर 100 - सेलिब्रेटिंग द सेंटेनरी ऑफ़ द ग्रेटेस्ट शोमैन’ का आगाज आज मुंबई में हो गया। यह 15 दिसंबर तक चलेगा।
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Updated On: Friday, December 13, 2024
कल यानी 14 दिसंबर को भारत के महानतम शोमैन, अभिनेता, निर्माता एवं निर्देशक राज कपूर (Raj Kapoo) सौ साल के हो जाएंगे। कपूर परिवार उनकी जन्म शताब्दी को यादगार बना रही है। इस अवसर पर, आरके फिल्म्स, फ़िल्म हेरिटेज फाउंडेशन और एनएफडीसी-नेशनल फिल्म आर्काइव ऑफ इंडिया ‘राज कपूर 100 – सेलिब्रेटिंग द सेंटेनरी ऑफ़ द ग्रेटेस्ट शोमैन’ का आयोजन कर रहे हैं। आज इस आयोजन का आगाज हुआ। मुंबई में आज इस का प्रीमियर किया गया। इसमें पूरी फिल्मी दुनिया के लोग शामिल हुए हैं। यह उनकी फिल्मों का एक भव्य पुनरावलोकन है। साथ में सिनेमा प्रेमियों द्वारा अपने चहेते अभिनेता, एवं निर्माता-निर्देशक को याद करने का तरीका है।
राज कपूर की दस यादगार का शो
ऐसे तो राज कपूर ने कई यादगार फिल्में बनाई एवं उसमें अभिनय किया है। लेकिन इस पुनरावलोकन में राज कपूर (1924-1988) की 10 सबसे बेहतरीन फिल्में दिखाई जाएंगी। यह पुनरावलोकन आज से शुरू हो गया है और यह 15 दिसंबर तक चलेगा।
चालीस शहर और 135 सिनेमाघर
राज कपूर की इन बेहतरीन 10 फिल्मों को भारत के 40 शहरों के 135 सिनेमाघरों में दिखाया जाएगा। ये फ़िल्में पीवीआर-आईनॉक्स और सिनेपोलिस सिनेमाघरों में दिखाई जाएंगी। कपूर परिवार के इस अभियान में भाग लेने वाले सिनेमाघरों में फ़िल्म के टिकट की कीमत मात्र 100 रुपये रखी गई है। इसका उद्देश्य आम से आम वैसे लोग भी इन फिल्मों को देख सकें, जो राजकपूर से प्रेम करते हैं।
आग से राम तेरी गंगा मैली तक
राज कपूर के फिल्मों के इस पुनरावलोकन अभियान में प्रदर्शित की जाने वाली दस फ़िल्में इस प्रकार हैं, आग (1948), बरसात (1949), आवारा (1951), श्री 420 (1955), जागते रहो (1956), जिस देश में गंगा बहती है (1960), संगम (1964), मेरा नाम जोकर (1970), बॉबी (1973) और राम तेरी गंगा मैली (1985)।
सिनेमा के भावनात्मक परिदृश्य को दिया आकार
राज कपूर के बेटे रणधीर कपूर इन दिनों अस्वस्थ हैं। लेकिन उन्होंने अपने अपने पिता के बारे में इतना जरूर कहा कि राज कपूर की विरासत युवा पीढ़ी को एक दिशा देती है। वह सिर्फ़ एक फिल्म निर्माता नहीं थे बल्कि वे एक दूरदर्शी व्यक्ति थे, जिन्होंने भारतीय सिनेमा के भावनात्मक परिदृश्य को आकार दिया।
क्या कहते हैं रणबीर कपूर
राज कपूर के पोते एवं अभिनेता रणबीर कपूर अपने दादा को याद करते हुए कहते हैं, ‘हमारी पीढ़ी एक ऐसे दिग्गज के कंधों पर खड़ी है, जिनकी फिल्मों ने अपने समय की भावना को पकड़ा और दशकों तक आम आदमी को आवाज दी। उनकी कालातीत कहानियां प्रेरणा देती रहती हैं। यह पर्व उस जादू के सम्मान करने का हमारा तरीका है।
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कपूर परिवार मिले थे मोदी से
दो दिन पहले ही कपूर परिवार अपने इस पर्व में न्योता देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे। प्रधानमंत्री से मुलाकात में अभिनेता रणबीर कपूर, आलिया भट्ट, करीना कपूर खान, सैफ अली खान, करिश्मा कपूर, नीतू कपूर और रिद्धिमा कपूर साहनी, राज कपूर की बहन सहित कपूर परिवार के सदस्य मौजूद थे।इस मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय सिनेमा पर राज कपूर के स्थायी प्रभाव की प्रशंसा की। उन्होंने कपूर परिवार को उस दौर की फिल्मों की ताकत के बारे में भी बताया। उन्होंने वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ी एक घटना को याद किया। जो दोनों दिग्गज नेता चुनाव हारने के बाद राज कपूर की फिल्म देखने गए थे।
राज कपूर ने दुनिया में इंट्रोड्यूस किया सॉफ्ट पावर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कपूर परिवार को यह भी बताया कि आज कूटनीति में ‘सॉफ्ट पावर’ के बारे में बहुत चर्चा होती है। लेकिन उससे पहले ही राज कपूर साहब ने अपनी फिल्मों से भारत की ताकत को दुनिया के सामने प्रदर्शित कर दिया था। इस मौके पर राज कपूर की बहन ने उनके एक गाने को प्रधानमंत्री मोदी के सामने गुनगुनाया, ‘हम न रहेंगे, तुम न रहोगे, फिर भी रहेगी निशानियां।’