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Manoj Kumar : कैसे दिया अमिताभ बच्चन को कामयाबी का मंत्र, पढ़िये एक्टर मनोज कुमार से जुड़े अनसुने किस्से
Manoj Kumar : कैसे दिया अमिताभ बच्चन को कामयाबी का मंत्र, पढ़िये एक्टर मनोज कुमार से जुड़े अनसुने किस्से
Authored By: JP Yadav
Published On: Friday, April 4, 2025
Last Updated On: Friday, April 4, 2025
Manoj Kumar biography Unknown Facts : मनोज कुमार ने एक घोस्टराइटर के रूप में काम किया था. यहां उन्हें प्रति सीन मात्र 11 रुपये मिलते थे.
Authored By: JP Yadav
Last Updated On: Friday, April 4, 2025
Manoj Kumar biography Unknown Facts : देशभक्ति फिल्मों के जरिये करोड़ों युवाओं में जोश और जज्बात पैदा करने वाले मनोज कुमार (Actor Manoj Kumar) भले ही अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन लोगों के दिलो दिमाग में हमेशा ही जीवित रहेंगे. मनोज कुमार ने अपने फिल्मी करियर में एक से बढ़कर एक फिल्में दर्शकों को दीं. दर्शकों ने भी इन फिल्मों को जमकर सराहा. ‘उपकार’, ‘पूरब पश्चिम’ ‘हरियाली और रास्ता’, ‘कलर्क’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’, ‘शहीद’, ‘शोर’ और ‘क्रांति’ जैसी फिल्मों को जमीन पर उतारने वाले मनोज कुमार ही थे. देशभक्ति फिल्मों के कारण उन्हें भारत कुमार भी कहा जाने लगा था. उनकी फिल्मों के गाने भी जुदा हुआ करते थे. शोर फिल्म का गीत ‘एक प्यार का नगमा है…’ 20वीं सदी का सर्वश्रेष्ठ गाना चुना गया. एक कहानीकार के रूप में केवल 11 रुपए लेने वाले मनोज कुमार को फिल्मों में उनके बेहतरीन अभिनय के लिए दादा साहब फाल्के पुरस्कार के अलावा पद्मश्री, फिल्मफेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट जैसे अवार्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है. इस स्टोरी में जानते हैं भारत यानी मनोज कुमार के बारे में, जिन्होंने बतौर निर्माता-निर्देशक और एक्टर हिंदी सिनेमा को बहुत कुछ दिया जो कभी भुलाया नहीं जा सकेगा.
मनोज कुमार का क्या है दिलीप कुमार से रिलेशन?
दिलीप कुमार, राजकुमार, राजेंद्र कुमार एक दौर में हिंदी सिनेमा में एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दे रहे थे. दिलीप कुमार को तो ‘एक्टिंग इस्टीट्यूट’ ही कहा जाता था, जबकि राजेंद्र कुमार की फिल्में कमाल हुआ करती थीं. राजेंद्र कुमार को जुबली कुमार भी कहा जाता है. राज कुमार तो खैर लाजवाब थे ही. ऐसा कहा जाता है कि दिलीप कुमार का मनोज कुमार पर खासा प्रभाव था. दिलीप कुमार के साथ मनोज कुमार ने कई फिल्मों में काम किया. फिल्म ‘क्रांति’ में तो मनोज कुमार ने दिलीप कुमार को पिता का रोल ऑफर किया और दिलीप ने भी बड़ी शिद्दत से यह रोल प्ले किया. खैर, यहां पर बात हो रही है मनोज कुमार और दिलीप कुमार के रिलेशन की. दोनों के बीच किसी तरह का कोई रिश्ता नहीं था. दरअसल, मनोज कुमार एक्टर दिलीप कुमार से इस कदर मुतासिर थे कि उन्होंने अपना नाम ही बदल दिया. दरअसल, मनोज कुमार का असली नाम हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी था. मनोज कुमार दरअसल, दिलीप कुमार से प्रेरित होकर फिल्मी दुनिया में आए और फिर उन्होंने अपना नाम मनोज कुमार कर लिया.
पहला रोल निभाया था भिखारी का
अभिनय में दक्ष मनोज कुमार का अलग ही सिग्नेचर ट्रेड था. जब वह चेहरे पर हाथ रखकर उसे हटाते थे तो दर्शक अपनी सांसें रोक लेते थे. यह बहुत कम लोग जानते होंगे कि मनोज कुमार ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत एक भिखारी की भूमिका से की थी. इसके बाद अपने अभिनय और देशभक्ति फिल्मों से ‘भारत कुमार’ के नाम से देशभक्ति फिल्मों का पर्याय बन गए. मनोज कुमार ने ‘उपकार’, ‘पूरब और पश्चिम’ जैसी फिल्मों से राष्ट्रभक्ति को सिनेमा में एक नई ऊंचाई दी. ‘शहीद’ फिल्म में उनकी भगत सिंह की भूमिका आज भी दर्शकों की आंखों में आंसू ला देती है. भले ही उन्होंने पहली फिल्म में भिखारी का रोल प्ले किया था, लेकिन उनकी पहली फिल्म का नाम ‘फैशन ब्रांड’ है. उनकी पहली भूमिका 1957 की फिल्म ‘फैशन ब्रांड’ में एक 80 वर्षीय भिखारी की थी, जिसे उन्होंने मात्र 19 वर्ष की आयु में निभाया था. यह भी हैरत की बात है कि उन्होंने 80 वर्षीय बुजुर्ग का किरदार बड़ी सफलता के साथ निभाया.
पाकिस्तान में जन्म, दिल्ली में बचपन और करियर संवारा मुंबई में
24 जुलाई, 1937 को जन्मे मरहूम एक्टर मनोज कुमार (Actor Manoj Kumar) का परिवार मूल रूप से एबटाबाद (अब पाकिस्तान) का रहने वाला था. मनोज का जन्म एबटाबाद में हुआ था. 10 साल के हुए तो भारत-पाक का बंटवारा हो गया. बंटवारे में परिवार दिल्ली आ गया और शुरुआत में एक रिफ्यूजी कैंप में रहने लगा. इसके बाद उनका परिवार दिल्ली के राजेंद्रनगर में शिफ्ट हो गया. स्कूली पढ़ाई सरकारी स्कूल से की फिर मनोज कुमार ने हिंदू कॉलेज से ग्रेजुएशन की. उनका बचपन दिल्ली की गलियों में बीता और फिर फिल्मी करियर बनाने के मुंबई चले गए.
आखिर क्यों और कैसे लगा फिल्मों का चस्का
दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के दौरान मनोज कुमार को शशि से प्यार हुआ और दोनों को साथ में फिल्में देखने का चस्का लग गया. वह करीब-करीब हर हफ्ते फिल्में देखते थे. फिर दिन और हफ्तों फिल्म की चर्चा करते थे. बताया यही जाता है कि दिलीप कुमार (Dilip Kumar) की फिल्म ‘शबनम’ देखने के बाद वह दीवाने हो गए. फैन तो वह पहले से ही दिलीप कुमार के थे फिर अपना नाम हरिकिशन गिरि से बदलकर मनोज कुमार रख लिया.
ज्यादातर फिल्मों में अपने किरदार का नाम रखा ‘भारत’
मनोज कुमार ने ‘उपकार’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’, ‘पूरज और पश्चिम’, ‘शहीद’ और ‘क्रांति’ जैसी देशभक्ति फिल्में बनाईं. बताया जाता है कि लोग ज्यादातर इस एक्टर को रोमांटिक छवि में देखना पसंद कर रहे थे. ऐसे में मनोज कुमार ने देशभक्ति फिल्मों की ओर रुख किया. यह भी रोचक बात है कि ज्यादातर फिल्मों में उनके किरदार का नाम भारत था. इस वजह से लोग उन्हें ‘भारत कुमार’ भी कहने लगे. मनोज कुमार ने 1957 में बतौर अभिनेता फिल्म ‘फैशन’ से अपना फिल्मी करियर शुरू किया. मनोज कुमार ने देशभक्ति फिल्में बनाकर ये साबित किया कि ऐसी फिल्मों से भी पैसा कमाया जा सकता है.
शहीद भगत सिंह की मां से की थी मुलाकात
समीक्षकों का दावा है कि मनोज कुमार दरअसल शहीद-ए-आजम भगत सिंह ने काफी प्रभावित थे. दावा तो यहां तक किया जाता है कि फिल्म ‘शहीद’ में मनोज कुमार शहीद भगत सिंह की भूमिका निभाने वाले थे. ऐसे में इस फिल्म के लिए मनोज शहीद भगत सिंह की मां से भी मिलने पहुंच गए थे. ‘शहीद’ 1965 में जब सिनेमा के पर्दे पर रिलीज हुई तो उसने धमाल मचा दिया.
‘उपकार के लिए मिला था फिल्मफेयर पुरस्कार
मनोज कुमार ने ‘शहीद’ के बाद कई देशभक्ति फिल्में कीं, जिसमें ‘मेरे देश की धरती’ और ‘उपकार’ जैसी फिल्में शामिल हैं. इन फिल्मों के बाद ही मनोज कुमार को भारत कुमार के नाम से जाना जाने लगा. पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के अनुरोध पर मनोज ने फिल्म ‘उपकार’ बनाई। इसमें उन्होंने सैनिक और किसान दोनों की भूमिका निभाई थी. इसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था.
मनोज कुमार न होते तो अमिताभ एक्टर नहीं होते
मनोज कुमार नेकदिल इंसान थे. वह लोगों की मदद भी करते थे. ऐसा कहा जाता है कि लगातार फ्लॉप होती फिल्मों से अमिताभ बच्चन इस कदर परेशान हो गए थे कि वह मुंबई छोड़कर अपने मां-बाप के पास दिल्ली वापस जाने की तैयारी कर चुके थे. ऐसे में मनोज कुमार ने अमिताभ को रोका और अपनी फिल्म ‘रोटी, कपड़ा और मकान’ में मौका दिया.
शाहरुख खान ने क्यों मनोज कुमार से मांगी थी माफी
ऐसा कहा जाता था कि शाहरुख खान से मनोज कुमार उस वक्त नाराज हो गए थे जब शाहरुख ने अपनी फिल्म ‘ओम शांति ओम’ के एक सीन में मनोज कुमार की नकल वाला एक सीन रखा था. यह भी बता दें कि शाहरुख खान ने जब उनसे माफी मांगी तो मनोज कुमार ने बिना देर किए उन्हें माफ भी कर दिया.
गुमनामी की जिंदगी जी रहे बच्चे
मनोज कुमार के दो बेटे विशाल गोस्वामी और कुणाल गोस्वामी हैं. विशाल ने अपने पिता मनोज कुमार की तरह फिल्म इंडस्ट्री में कदम तो रखा, लेकिन एक्टर नहीं बने. उन्होंने म्यूजिक, विजुअल और प्रोडक्शन में काम किया. विशाल की बात करें तो फिल्म ‘क्लर्क’ में उन्होंने प्रॉड्यूसर और ‘जय हिंद’ में प्रोडक्शन मैनेजर के तौर पर काम किया. वह कभी फिल्मों में पर्दे पर नजर नहीं आए. हालांकि वह गुमनामी में जिंदगी जी रहे हैं. दोनों ही बच्चों को फिल्मों से नाकामी ही हाथ लगी. दूसरे बेटे कुणाल गोस्वामी ने बतौर चाइल्ड एक्टर अपने पिता की फिल्म “क्रांति” (1981) से शुरुआत की थी.
दूसरे बेटे कुणाल चलाते हैं कैटरिंग का बिजनेस
कुणाल की हाइट 6 फीट 3 इंच थी और लुक भी हीरो जैसा था. इसके बावजूद वह एक्टर के तौर पर कामयाब नहीं हो सके. कुणाल ने “क्रांति” के बाद श्रीदेवी के साथ “कलाकार” (1983) में काम किया. इस फिल्म का गीत ‘नीले नीले अंबर’ बहुत हिट हुआ. बावजूद इसके कुणाल पर फ्लॉप एक्टर का ठप्पा लग गया. उन्होंने ‘दो गुलाब’, ‘पाप’, और ‘घुंघरू’ जैसी फिल्में भी कीं, लेकिन सभी फ्लॉप रहीं. कई असफलताओं के बाद कुणाल ने एक्टिंग छोड़ दी और दिल्ली में कैटरिंग का बिजनेस शुरू किया.
मनोज कुमार की नेटवर्थ?
Celebrity Net Worth नामक वेबसाइट की मानें तो एक्टर मनोज कुमार की कुल संपत्ति 20 मिलियन डॉलर है. एक अन्य स्रोत में कहा गया है कि उनकी कुल संपत्ति 1.1 लाख डॉलर है. मुंबई में गोस्वामी टावर के नाम से पूरी की पूरी बिल्डिंग मनोज कुमार की है.
1995 में मनोज कुमार ने छोड़ दिया अभिनय?
फिल्म क्रांति (1981) ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन 1995 में उन्होंने अभिनय छोड़ दिया, क्योंकि उनकी फिल्में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही थीं. ‘क्लर्क’ फिल्म में उन्होंने अभिनय भी किया, लेकिन यह फिल्म फ्लॉप रही. इसके चलते वह फिल्मों से पूरी तरह दूर हो गए. यहां तक फिल्मी पार्टियों में भी उनकी अनुपस्थिति नजर आने लगी.
राजनीति में भी रखा कदम
मनोज कुमार ने एक्टिंग करियर से छुट्टी लेने के बाद राजनीति में भी हाथ आजमाया था. लोकसभा चुनाव 2004 से पहले वह भारतीय जनता पार्टी से जुड़े थे, लेकिन राजनीति में वह कुछ खास नहीं कर पाए. दरअसल, नेकदिल मनोज कुमार को राजनीति पसंद नहीं आई. यही वजह थी कि राजनीति के प्रति उनकी बेरुखी हो गई और वह राजनीति से ही दूर हो गए.