Entertainment News
‘Flow’ wins best Animated Film’s Oscar : संवाद के बिना भी फिल्म ने छोड़ा दर्शकों पर प्रभाव, जीता अवॉर्ड
‘Flow’ wins best Animated Film’s Oscar : संवाद के बिना भी फिल्म ने छोड़ा दर्शकों पर प्रभाव, जीता अवॉर्ड
Authored By: अंशु सिंह
Published On: Monday, March 3, 2025
Updated On: Tuesday, March 4, 2025
Flow wins best Animated Film’s Oscar : गिंट्स जिलबालोडिस (Gints Zilbalodis) की लातवियाई फिल्म ‘फ्लो’ (Flow) को 97वें अकादमी पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ एनिमेटेड फिल्म का ऑस्कर मिला है. फिल्म की खासियत है कि इसमें कोई संवाद नहीं. फिर भी कुल 85 मिनट के रनटाइम में ये सबका ध्यान खींचने में कामयाब रही.
Authored By: अंशु सिंह
Updated On: Tuesday, March 4, 2025
‘Flow’ wins best Animated Film’s Oscar: ‘फ्लो’ (Flow) एक एनिमेटेड फिल्म है, जिसमें कोई संवाद नहीं है. इसमें जानवरों की सिर्फ प्राकृतिक आवाजों का ही इस्तेमाल किया गया है, जो एक अलग ही अनुभव देती है. इसका एनिमेशन बेहतरीन है, अविश्वसनीय है. फिल्म का हर पहलू शांति की भावना को दर्शाता है. इसके लुभावने दृश्यों से लेकर जानवरों के चुने गए कलाकारों तक, जिनमें से प्रत्येक में अलग-अलग विशेषताएं हैं, कहानी को समृद्ध बनाती हैं. कह सकते हैं कि ‘फ्लो’ अपनी मजबूत कहानी के लिए सबसे अलग है. आपदा और विस्थापन के आधार पर बनी फिल्म हमें याद दिलाती है कि सबसे बुरे समय में भी संगति और दृढ़ता नई शुरुआत की ओर ले जा सकती है.
गिंट्स ने ही लिखी है फिल्म की पटकथा
फिल्म की सफलता का श्रेय निर्देशक गिंट्स जिलबालोडिस को जाता है, जिन्होंने सीमित संसाधनों के बावजूद एक क्लासिक फिल्म तैयार की. उन्होंने ही फिल्म की पटकथा लिखी है, निर्माता भी वही हैं. यहां तक कि एनिमेशन एवं संगीत भी उनका ही है. फिल्म जानवरों के एक विविध समूह का सूक्ष्म चित्रण प्रस्तुत करती है, जो विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए साथ जीवित रहने के लिए अपनी प्रवृत्ति को क्षण भर के लिए चुनौती देते हैं. ‘फ्लो’ की शुरुआत एक अकेली काली बिल्ली से होती है, जो एक विशाल मूर्ति पर चढ़ जाती है जब उसका शहर बाढ़ के पानी में डूब जाता है. मूर्ति पर फंसी बिल्ली इमारतों और पेड़ों को बहते हुए देखती है और फिर पानी से भरे परिदृश्य में नाव पर सवार होकर यात्रा करती है. जैसे-जैसे नाव सभ्यता के अवशेषों से आगे बढ़ती है, ढहती हुई संरचनाएं, सड़ते हुए जहाज और भूली हुई वस्तुएं आपके दिल को झकझोर देती है. फिर बिल्ली की दोस्ती दूसरे जानवरों से होती है, जिसमें एक कैपीबारा, एक लैब्राडोर, एक सेक्रेटरी बर्ड और एक लेमुर होता है. वे साथ मिलकर समूह बनाते हैं, जो खतरनाक और हमेशा बदलते पानी में जीवित रहना सीखते हैं.
आपदा के बीच संघर्ष की खूबसूरत कहानी
फिल्म में कोई स्पष्ट बैकस्टोरी नहीं है. बस गति, अभिव्यक्ति और उनके नाजुक सह-अस्तित्व का उतार-चढ़ाव है. इसमें दिखाया गया है कि कैसे जानवरों के बीच रिश्ते विकसित होते हैं. पहले जो एक-दूसरे से सावधान रहते थे, वे साथ मिलकर खतरों का सामना करते हैं. यानी जैसे-जैसे उनका तूफान, शिकारी आदि खतरों से सामना होता है, वे एक-दूसरे पर भरोसा करना शुरू कर देते हैं. फिल्म एक पर्यावरणीय दृष्टांत है, लेकिन यह उपदेशात्मक नहीं लगता. अंतिम दृश्य जानवरों के लिए एक नई शुरुआत करता है. यह याद दिलाता है कि जीवन आगे बढ़ने का नाम है. अनुकूलन ही जीवित रहना है. कभी-कभी सबसे अच्छा यही होता है कि हम तैरते रहें.