Are You Taking Too Much Sugar, Think First : डाइट में हद से ज्यादा चीनी यानी डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक को न्यौता

Authored By: अंशु सिंह

Published On: Thursday, October 9, 2025

Last Updated On: Thursday, October 9, 2025

क्या आप ज्यादा चीनी खा रहे हैं? Excess Sugar Health Risks पर जानें कि कैसे मीठा आपकी सेहत के लिए खतरा बन सकता है - बढ़ा सकता है डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और हार्ट डिजीज का खतरा.
क्या आप ज्यादा चीनी खा रहे हैं? Excess Sugar Health Risks पर जानें कि कैसे मीठा आपकी सेहत के लिए खतरा बन सकता है - बढ़ा सकता है डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और हार्ट डिजीज का खतरा.

त्योहार भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं और बिन मिठाई उत्सव का रंग फीका होता है. लेकिन आज मीठे से बचने की सलाह दी जा रही है.चीनी से मुंह फेरने को कहा जा रहा है. सवाल है कि क्या चीनी (Sugar) ही है स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का कारण? क्या इसे अपने आहार से पूरी तरह से बाहर कर देना चाहिए और उसकी जगह अन्य विकल्पों का इस्तेमाल करना चाहिए? आइए इस रिपोर्ट द्वारा इसे जानने की करते हैं कोशिश..

Authored By: अंशु सिंह

Last Updated On: Thursday, October 9, 2025

Excess Sugar Health Risks: भारत में एक कहावत चली आई है कि जब कोई कठोरता से बात करता है, तो उसे मीठा खाने और मीठा बोलने की सलाह दी जाती है.गर्मियों में थकावट दूर करने के लिए शरबत देते हैं. उल्टी और जी मिचलाने पर सालों से चीनी दिया जाता रहा है. इतना ही नहीं, बुखार में चीनी का इस्तेमाल किया जाता है. यह न सिर्फ आंखों के लिए अच्छा है, बल्कि इससे गले की खराश, सूखी खांसी, अस्थमा और हिचकी की शिकायत भी दूर होती है. लोगों का ऐसा विश्वास रहा है कि चीनी में हीलिंग पावर होती है. लेकिन आज चीनी मोटापे का सबसे बड़ा कारण मानी जा रही. एक बार व्यक्ति मोटापे की गिरफ्त में आ जाता है, तो उससे जुड़ी दूसरी बीमारियों की पूरी श्रृंखला तैयार होने में देर नहीं लगती है. इस घातक कड़ी को तोड़ना जरूरी है. क्योंकि मीठा अब सिर्फ स्वाद की बात नहीं, बल्कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों के मस्तिष्क पर घातक असर डालता है.

अतिरिक्त चीनी से करें परहेज

मीठे का सेवन एक तरह की लत है. हम जाने-अनजाने ऐसे मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन करते रहते हैं, जो शरीर के लिए हानिकारक हो सकते हैं. जैसे बेकरी आइट्म्स, आइसक्रीम, ड्रिंक्स का सेवन इन दिनों खूब किया जा रहा. त्योहारों के मौसम में तो खासकर इनका सेवन अपेक्षाकृत बढ़ जाता है. जबकि इनमें हाई फ्रुकटोज कॉर्न सिरप (एचएफसीएस) का इस्तेमाल किया जाता है, जो काफी मीठा होता है. बहुत अधिक फ्रुकटोज लेने से लीवर इसे तेजी से संसाधित नहीं कर पाता, जिससे वसा बनने लगती है. यही फिर ट्राईग्लिसराइड्स के रूप में शरीर में इकट्ठा हो जाती है. क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. रितिका समादार कहती हैं कि किसी को इस बात का अंदाजा नहीं कि मिश्टी दही, टेट्रा पैक में आने वाले फ्रूट जूस और फ्रूट योगर्ट में चीनी की मात्रा कितनी अधिक होती है. इसलिए जरूरी है कि कोई भी मीठा प्रोडक्ट खरीदने से पहले पैकेट यानी लेबल को ठीक से पढ़ लें. कई बार वैकल्पिक स्वीटनर के नाम पर चीनी का उपयोग किया जाता है. जैसे प्रोसेस्ड फूड और पेय पदार्थों में ये अतिरिक्त चीनी, चीनी सिरप के रूप में मिलाई जाती है. इसमें सुक्रोज, गुड़, शहद, ग्लूकोज, फ्रुकटोज, डेक्सट्रोज आदि शामिल होते हैं. चुइंग गम, कोल्ड ड्रिंक्स में ‘शुगर अल्कोहोल’ का इस्तेमाल होता है. तमाम शोधों से पता चलता है कि शरीर को अधिक प्रभावी ढंग से काम करने के लिए किसी अतिरिक्त चीनी (एडेड शुगर) की आवश्यकता नहीं होती. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने तो अतिरिक्त चीनी को प्रतिदिन 25 ग्राम तक सीमित करने या इसे आहार से पूरी तरह से हटाने की सलाह दी है, क्योंकि यह कैलोरी के अलावा भोजन में कोई पोषक तत्व नहीं जोड़ती है. न्यूरोलॉजी नामक जर्नल में प्रकाशित ब्राजील के साओ पाउलो यूनिवर्सिटी का एक अध्ययन कहता है कि एस्पार्टेम, सैकरीन, एरिथ्रिटॉल, जाइलिटॉल जैसे आर्टिफिशियल स्वीटनर का लंबे समय तक इस्तेमाल करने से इंसान की सोचने, समझने और याद रखने की क्षमता प्रभावित होती है.

सेहत पर गहरा असर

चीनी एक दोधारी तलवार की तरह है. इसका कम या अधिक सेवन सेहत को अलग-अलग तरीके से प्रभावित कर सकता है-

  • टाइप 2 डायबिटीज का खतरा

लंबे समय तक चीनी के अत्यधिक सेवन से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है.

  • वजन बढ़ने से बढ़ता है मोटापा

कोल्ड ड्रिंक एवं पैकेज्ड पेय पदार्थों में चीनी की मात्रा काफी अधिक होती है. इसके नियमित सेवन से बढ़ता है, जो आखिरकार मोटापे में तब्दील हो जाता।

  • लीवर में बढ़ाता फैट

अतिरिक्त चीनी के सेवन से लीवर में फैट इकट्ठा होने लगता है.

  • किडनी की रक्त धमनियों पर असर

ज्यादा चीनी का सेवन एवं डायबिटीज की समस्या किडनी पर गहरा प्रभाव डालती है. इससे किडनी की रक्त धमनियां नष्ट हो सकती हैं. फिल्टर पर भी असर होता है.

  • ब्रेन पर बुरा प्रभाव

जरूरत से अधिक चीनी लेने से रक्त में ग्लुकोज की मात्रा बढ़ सकती है, जो ब्रेन के फंक्शन को प्रभावित करती है. ब्रेन में रक्त के प्रभाव पर भी असर पड़ता है.

  • दांत होते हैं कमजोर

ज्यादा चीनी खाने से दांतों के लिए नुकसानदायक होता है, क्योंकि मुंह में मौजूद बैक्टीरिया चीनी को एसिड में बदल देते हैं. ये दांतों के इनेमल को कमजोर कर देता है, जो मसूड़ों के सड़न का कारण बनता है.

  • दिल के रोग का खतरा

अतिरिक्त एवं निर्धारित सीमा से अधिक चीनी खाने से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है. इससे क्रोनिक सूजन की समस्या हो सकती है. दोनों मिलकर हृदय को प्रभावित करते हैं.

आहार में कम से कम हो चीनी

गुरुग्राम के आर्टेमिस हॉस्पिटल के चीफ ऑफ इंडोक्राइनोलॉजी डॉ. धीरज कपूर का कहना है कि भारतीयों और दक्षिण पूर्व एशियाई देश के नागरिकों की जीन्स ऐसी है कि उनमें डायबिटीज होने का खतरा अपेक्षाकृत अधिक होता है. इसलिए आहार में मीठा कम से कम होना चाहिए. क्योंकि चीनी या मीठे के अधिक सेवन से वजन बढ़ता है. इससे फिर डायबिटीज एवं अन्य बीमारियों के होने का खतरा रहता है. जो मधुमेह से पीड़ित नहीं हैं, उन्हें भी यही सलाह देता हूं कि वे कम से कम चीनी का उपभोग करें. सिंपल शुगर की बजाय काम्प्लेक्स शुगर (रोटी, चावल, आलू आदि) के इस्तेमाल में दिक्कत नहीं, क्योंकि ये अंतत: ग्लूकोज में परिवर्तित हो जाते हैं, जो शरीर के लिए आवश्यक हैं. हां, मोमोज, पिज्जा, बर्गर, ब्रेड का सेवन बिल्कुल बंद कर दें. अमूमन लोग चाय में एक से दो चम्मच चीनी लेते हैं. ये 4 से 8 ग्राम कैलरी के बराबर होती है. इसके बदले, स्टीविया वाली या फीकी चाय लें. हफ्ते के दो दिन फिक्स करें, जब आप किसी मीठे पदार्थ का सेवन करें. अपनी जीवनशैली में सुधार लाएं. जल्दी सोएं, जल्दी उठें. जैसा हमारी पुरानी पीढ़ी या पूर्वज किया करते थे. जितना आप मोटापे एवं स्ट्रेस को मैनेज करने के साथ अच्छी नींद लेंगे, उतना ही स्वस्थ रहेंगे. अपने बच्चों के आइडल बनें. इससे वे भी जंक फूड से दूरी बना पाएंगे और डायबिटीज से महफूज रह सकेंगे. क्योंकि वह दिन दूर नहीं जब बच्चे भी डायबिटीज टाइप 2 की गिरफ्त में होंगे.

प्राकृतिक चीनी लेने में नहीं है नुकसान

चीनी एक कार्बोहाइड्रेट है, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है. प्राकृतिक शर्करा कई स्वस्थ खाद्य पदार्थों में पाई जाती है. जैसे कि फल, सब्जियां, अनाज और डेयरी. इनमें फाइबर, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट अधिक मात्रा में होते हैं, जबकि डेयरी प्रोडक्ट्स से प्रोटीन और कैल्शियम की भरपाई हो जाती है. चूंकि शरीर इन खाद्य पदार्थों को धीरे-धीरे पचाता है, इसलिए इनमें मौजूद चीनी शरीर की कोशिकाओं को निरंतर ऊर्जा की आपूर्ति करती रहती है. फलों, सब्जियों और साबूत अनाज का अधिक सेवन मधुमेह, हृदय रोग और कुछ कैंसर जैसी बीमारियों के जोखिम को भी कम करता है. असल में फलों में ग्लूकोज या फ्रुक्टोज जैसे एकल चीनी अणु होते हैं, जो मोनोसैकेराइड या सरल शर्करा (सिंपल शुगर) कहलाते हैं, जबकि दूध में सुक्रोज (चीनी) या लैक्टोज मिलते हैं. अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, हरेक व्यक्ति को ग्लूकोज (एक प्रकार की चीनी) की आवश्यकता होती है, क्योंकि वह मस्तिष्क का मुख्य ईंधन और एक आवश्यक ऊर्जा स्रोत है.

बीमारियों से कैसे बचें ?

सीनियर नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. अनुपम रॉय के अनुसार, डायबिटीज का गुर्दों अर्थात् किडनी पर सीधा असर पड़ता है. इससे यूरीन में प्रोटीन का रिसाव होने लगता है, जो संक्रमण के खतरे को बढ़ाता है. मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है. यूरीन में प्रोटीन निकलने से ब्लड में प्रोटीन की मात्रा कम हो जाती है, जिससे आंखों के आसपास सूजन आना शुरू हो जाता है. आंखों के अलावा, हृदय रोग, फेफड़ों में संक्रमण, स्ट्रोक का खतरा भी हो सकता है. यह एक ऐसी स्थिति है, जो पूरी तरह सामान्य नहीं हो सकती है. इसलिए जिन्हें टाइप 2 डायबिटीज है, उन्हें साल में एक बार यूरीन-प्रोटीन एवं सीरम-केराटिनिन टेस्ट जरूर कराना चाहिए. जो बच्चे टाइप 1 डायबिटीज के शिकार होते हैं, उनका भी पांच साल की उम्र के बाद सालाना चेकअप कराना अच्छा रहता है. इसके अतिरिक्त, ब्लड शुगर पर निगरानी रखने के लिए एचबी1एसी टेस्ट नियमित रूप से कराते रहें. किडनी को सुरक्षित रखने के लिए अपनी डाइट एवं शुगर को जितना हो सके, कंट्रोल में रखें.

  • हाइलाइट 1

दैनिक कैलोरी के 10% से कम हो शुगर का सेवन : डब्ल्यूएचओ

विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाह है कि फ्री चीनी का सेवन दैनिक कैलोरी के 10% से कम होना चाहिए. फ्री चीनी वह होती है, जिसे खाद्य और पेय पदार्थों में मिलाया जाता है या जो पहले से ही कुछ खाद्य पदार्थों में मौजूद होती है. अर्थात् एक व्यस्क व्यक्ति को प्रति दिन 2 से 3 चम्मच ही चीनी का सेवन करना चाहिए, जबकि एक साल तक की उम्र के बच्चों को चीनी से परहेज करना चाहिए.

  • हाइलाइट 2

ऐसे रोकें मीठे की क्रेविंग

मीठा बंद करने पर क्रेविंग होने लगती है. लोग छिपकर खाने लगते हैं. जैसे किसी को चॉकलेट खाने या कोल्ड ड्रिंक पीने की आदत पड़ जाती है, तो मना करने पर भी नहीं मानते. यही फिर सेहत को नुकसान पहुंचाती है. क्रेविंग रोकने के लिए अपने खाने को नियंत्रित करें. चीनी की जगह फल, ड्राई फ्रूट, सीड्स एवं नट्स में मिलने वाले वैकल्पिक मीठे का उपयोग करें. फाइबर युक्त आहार लें.

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About the Author: अंशु सिंह
अंशु सिंह पिछले बीस वर्षों से हिंदी पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। उनका कार्यकाल देश के प्रमुख समाचार पत्र दैनिक जागरण और अन्य राष्ट्रीय समाचार माध्यमों में प्रेरणादायक लेखन और संपादकीय योगदान के लिए उल्लेखनीय है। उन्होंने शिक्षा एवं करियर, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक मुद्दों, संस्कृति, प्रौद्योगिकी, यात्रा एवं पर्यटन, जीवनशैली और मनोरंजन जैसे विषयों पर कई प्रभावशाली लेख लिखे हैं। उनकी लेखनी में गहरी सामाजिक समझ और प्रगतिशील दृष्टिकोण की झलक मिलती है, जो पाठकों को न केवल जानकारी बल्कि प्रेरणा भी प्रदान करती है। उनके द्वारा लिखे गए सैकड़ों आलेख पाठकों के बीच गहरी छाप छोड़ चुके हैं।
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