Honey Bee Sting for Cancer : ऑस्ट्रेलिया के मेडिकल रिसर्च बताते हैं मधुमक्खी का डंक कर सकता है कैंसर कोशिका को नष्ट

Honey Bee Sting for Cancer : ऑस्ट्रेलिया के मेडिकल रिसर्च बताते हैं मधुमक्खी का डंक कर सकता है कैंसर कोशिका को नष्ट

Authored By: स्मिता

Published On: Sunday, September 22, 2024

Last Updated On: Sunday, April 27, 2025

Honey bee sting for Cancer
Honey bee sting for Cancer

वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला परीक्षणों में पाया है कि मधुमक्खी का जहर और उसका सक्रिय घटक मेलिटिन फेफड़े, सरविक्स और पैनक्रिआज के कैंसर सहित कई प्रकार के ट्यूमर के लिए विषाक्त है। मधुमक्खी का जहर कैंसर कोशिका झिल्ली को केवल एक घंटे में नष्ट कर सकता है।

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Sunday, April 27, 2025

हजारों वर्षों से मनुष्य मधुमक्खी द्वारा तैयार शहद और यूरोपीय मधुमक्खी एपिस मेलिफेरा के जहर का उपयोग दवाओं के रूप में करता आया है। हाल में वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला परीक्षणों में पाया है कि मधुमक्खी का जहर और उसका सक्रिय घटक मेलिटिन फेफड़े, सरविक्स और पैनक्रिआज के कैंसर सहित कई प्रकार के ट्यूमर के लिए विषाक्त है।मेलिटिन वह अणु है, जो मधुमक्खी के डंक की दर्दनाक अनुभूति पैदा करता है। वैज्ञानिक यह पूरी तरह से नहीं समझ पाए हैं कि यह कैंसर कोशिकाओं को कैसे मारता है। पहली बार शोधकर्ताओं ने स्तन कैंसर की एक श्रृंखला पर मधुमक्खी के जहर के प्रभाव की जांच (Honey bee sting for Cancer) की है।

मेलिटिन 60 मिनट के भीतर कैंसर कोशिका को कर सकता है नष्ट (Honey bee sting destroy cancer cell)

स्तन कैंसर महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसर है। ट्रिपल-नेगेटिव स्तन कैंसर सबसे खराब माना जाता है। वे मौजूदा उपचारों के प्रति प्रतिरोध विकसित करते हैं। ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में हैरी पर्किन्स इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च और वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पाया कि मेलिटिन और मधुमक्खी का जहर इन कैंसर प्रकारों को तेजी से मारता है। यह सामान्य कोशिकाओं पर नगण्य प्रभाव डालता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि मेलिटिन 60 मिनट के भीतर कैंसर कोशिका झिल्ली को पूरी तरह से नष्ट कर सकता है। अध्ययन से यह भी पता चला कि भौंरों के जहर में मेलिटिन नहीं होता है। इससे कैंसर कोशिकाओं को नहीं मारा जा सका। वैज्ञानिकों की यह रिपोर्ट प्रिसिजन ऑन्कोलॉजी ट्रस्टेड सोर्स में दी है। मेलिटिन कैंसर कोशिकाओं की बाहरी झिल्ली में छेद करके 1 घंटे से भी कम समय में उन्हें मार सकता है।

कीमोथेरेपी में कर सकता है मदद (Honey bee sting in chemotherapy)

मेलिटिन मधुमक्खी के जहर का एक प्रमुख घटक है। यह घातक स्तन कैंसर कोशिकाओं, विशेष रूप से ट्रिपल-नेगेटिव स्तन कैंसर के विकास को दबा सकता है। मेलिटिन कोशिका झिल्लियों में छेद बनाता है। इसलिए यह मौजूदा कीमोथेरेपी दवाओं को कैंसर कोशिकाओं में घुसने और उन्हें मारने की अनुमति भी दे सकता है। इस संभावना का परीक्षण करने के लिए शोधकर्ताओं ने ट्रिपल-नेगेटिव स्तन कैंसर के एक माउस मॉडल का इलाज मेलिटिन और डोसेटेक्सेल नामक दवा के संयोजन से किया। यह ट्यूमर को सिकोड़ने में डोसेटेक्सेल या अकेले मेलिटिन की तुलना में अधिक प्रभावी साबित हुआ। डॉक्टर संभावित रूप से इस रणनीति का उपयोग कीमोथेरेपी दवाओं के प्रभाव को बढ़ाने या खुराक कम करने के लिए कर सकते हैं। इससे हानिकारक दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है।

मनुष्यों में क्लिनिकल परीक्षण करना बाकी (Clinical Test)

अध्ययन के अनुसार, मधुमक्खी का जहर अपेक्षाकृत सस्ता और आसानी से उपलब्ध है, जो इसे खराब संसाधन वाली स्वास्थ्य सेवाओं वाले देशों में कैंसर के इलाज के लिए एक अच्छा विकल्प बनाता है। शोध अपनी प्रारंभिक अवस्था में है। स्तन कैंसर के इलाज के लिए मेलिटिन की सुरक्षा और प्रभाव का आकलन करने के लिए मनुष्यों में क्लिनिकल परीक्षण करना अभी बाकी है। अच्छी बात यह है कि इसके कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है।

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स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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