कंजक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) : बारिश के मौसम में हो सकती है आंखों की बीमारी कंजक्टिवाइटिस, कैसे करें इलाज

Authored By: स्मिता

Published On: Tuesday, September 3, 2024

Categories: Health, Lifestyle

Updated On: Tuesday, September 3, 2024

conjunctivitis disease

कंजक्टिवाइटिस बैक्टीरियल और वायरल दोनों हो सकता है। कंजक्टिवाइटिस के कारण स्कूल या ऑफिस से दूर रहने की ज़रूरत नहीं है। यह ध्यान देने की जरूरत है कि आपसे संक्रमण दूसरे लोगों तक नहीं फैले। यदि बहुत अधिक समस्या हो रही है, तो घर पर रहकर आराम करें।

लगातार तेज बारिश हो रही है। बारिश के मौसम में हर पांचवें व्यक्ति की आंखें लाल दिखाई देती हैं। इसके पीछे की वजह आंखों को हुआ इन्फेक्शन है। आंखों का इन्फेक्शन कंजक्टिवाइटिस (conjunctivitis) या पिंक आई (Pink eye) कहलाता है। यही कारण है कि बारिश शुरू होते ही दिल्ली एम्स (AIIMS Delhi) में रोजाना 50-100 तक कंजक्टिवाइटिस के मरीज आने लगते हैं। कंजक्टिवाइटिस से बचाव के लिए बारिश के मौसम में संक्रमण के प्रति हर पल सतर्क रहना सबसे अधिक जरूरी है ।

क्या है कंजक्टिवाइटिस (conjunctivitis)

शार्प आई साइट में ऑप्थैल्मोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कुमार बताते हैं, ‘ बैक्टीरिया या वायरस से संक्रमण या एलर्जी से आंखों की कंजक्टिवा सूज जाती है। इसमें आंखें लाल हो जाती हैं। इसके कारण आंखों से चिपचिपा स्राव भी होने लगता है। एक या दोनों आंखों में कंजक्टिवाइटिस हो सकता है। यह बैक्टीरियल और वायरल दोनों हो सकता है। संक्रामक होने के कारण कंजक्टिवाइटिस आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है। एलर्जी के कारण होने वाला कंजक्टिवाइटिस नहीं फैलता है।

कंजक्टिवाइटिस होने का कारण (conjunctivitis causes)

डॉ. सुधीर कुमार के अनुसार, वायरल कंजक्टिवाइटिस : यह सबसे आम प्रकार है। बहुत संक्रामक होने के कारण अक्सर स्कूलों और अन्य भीड़-भाड़ वाली जगहों से यह फैलती है। इसके कारण आंखों में जलन, लाल आंखें और पानी जैसा स्राव होता है।

बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस : यह भी बहुत संक्रामक है। बैक्टीरिया से संक्रमण के कारण आंख गुलाबी हो जाती है। इसके कारण आंखों में दर्द, लाल आंखें और बहुत अधिक चिपचिपा मवाद निकलता है।

एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस : एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस पोलेन ग्रेन्स, पशुओं, सिगरेट के धुएं, पूल क्लोरीन, कार के धुएं या पर्यावरण में मौजूद किसी अन्य चीज से होता है। यह संक्रामक नहीं है। आंखों में बहुत खुजली, लाली और पानी आने लगता है। पलकें सूज सकती हैं।

कंजक्टिवाइटिस से होने वाली समस्याएं

  • कंजक्टिवाइटिस के कारण स्कूल या ऑफिस से दूर रहने की ज़रूरत नहीं है। यह ध्यान देने की जरूरत है कि आपसे संक्रमण दूसरे लोगों तक नहीं फैले। यदि बहुत अधिक समस्या हो रही है, तो घर पर रहकर आराम करें।
  • बहुत छोटे बच्चे को यह समस्या होने पर संक्रमण ठीक होने तक स्कूल नहीं जाने दें।
  • ठीक होने तक फोन और कंप्यूटर जैसे इलेक्ट्रोनिक गजेट साझा नहीं करें।

गंभीर खतरा पैदा नहीं करता है कंजक्टिवाइटिस (conjunctivitis complications)

  • ज्यादातर मामलों में यह स्वास्थ्य के लिए कोई गंभीर खतरा पैदा नहीं करता है। कुछ मामलों में यह गंभीर भी हो सकता है।
  • एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस के गंभीर मामले में आंखों में घाव हो सकता है।
  • संक्रामक कंजक्टिवाइटिस के मामलों में संक्रमण शरीर के अन्य क्षेत्रों में फैल सकता है।
  • यदि लंबे समय तक आंखों में संक्रमण बना रहता है, तो मेनिनजाइटिस जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है।

आंखों के सफेद भाग में लाली दिखना है कंजक्टिवाइटिस का लक्षण (conjunctivitis Symptoms)

  • आंखों के सफेद भाग में गुलाबीपन या लाली दिखना।
  • कंजंक्टिवा की पतली परत आंख के सफेद भाग और पलक के अंदर की रेखा बनाती है। इसमें सूजन आ जाना।
  • टीअर प्रोडक्शन बढ़ने से आंखों में बार-बार आंसू आना।
  • आंख में खुजली जैसा महसूस होना, मलने की बार-बार इच्छा होना।
  • जलन महसूस होना।
  • आंखों से मवाद या बलगम जैसा निकलना।
  • पलकों या पलकों का पपड़ीदार होना।
  • कांटेक्ट लेंस लगाने में दिक्कत महसूस होना।

कैसे किया जा सकता है डायग्नोज (conjunctivitis diagnosis)

conjunctivitis diagnosis

  • ज्यादातर मामलों में हेल्थकेयर प्रोवाइडर आंख के लक्षणों के बारे में पूछकर और उनकी जांच करके इस रोग का निदान करते हैं।
  • कुछ मामलों में आंख से निकलने वाले तरल पदार्थ के नमूना को कल्चर किया जा सकता है।
  • आंख में मौजूद फॉरन पार्टिकल की जांच की जा सकती है
  • गंभीर बैक्टीरियल इन्फेक्शन या यौन संचारित संक्रमण होने पर भी इसकी जांच की जाती है।

एंटीहिस्टामाइन और मास्ट सेल स्टेबलाइजर्स दवा से उपचार (conjunctivitis treatment)

  • आर्टिफिशियल टीयर का उपयोग करना।
  • पलकों को साफ़ और गीले कॉटन कपड़े से साफ करना।
  • रोजाना कई बार ठंडी या गर्म सिकाई करना।
  • कॉन्टैक्ट लेंस और आई मेक अप नहीं पहनना।
  • ज्यादातर मामलों में एंटीबायोटिक आई ड्रॉप नहीं दी जाती है। वायरल इन्फेक्शन में एंटीबायोटिक्स मदद नहीं करते हैं। एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस के लिए आई ड्रॉप्स दी जा सकती है। एंटीहिस्टामाइन और मास्ट सेल स्टेबलाइजर्स दवा प्रमुख है।
About the Author: स्मिता
धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का लंबा अनुभव। समसामयिक मुद्दों पर आम और ख़ास से बातचीत करना और उन्हें नए नजरिये के साथ प्रस्तुत करना यूएसपी है।

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