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Run for Global Peace : वैश्विक शांति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 16 फरवरी को बोधगया में होने जा रहा है बोधगया मैराथन
Run for Global Peace : वैश्विक शांति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 16 फरवरी को बोधगया में होने जा रहा है बोधगया मैराथन
Authored By: अंशु सिंह
Published On: Tuesday, January 14, 2025
Updated On: Tuesday, January 14, 2025
अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) बोधगया मैराथन समिति (बीएमसी) के सहयोग से 16 फरवरी 2025 को बिहार के बोधगया में बोधगया मैराथन (रन फॉर ग्लोबल पीस) का दूसरा संस्करण आयोजित करने जा रहा है। इस प्रयास का उद्देश्य लोगों और समाज के बीच करुणा को बढ़ावा देना है, जिससे दुनिया के सामने आज मौजूद सभी प्रकार की प्राकृतिक और मानव निर्मित जटिलताओं के बीच एकता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की आवश्यकता को बल मिले।
Authored By: अंशु सिंह
Updated On: Tuesday, January 14, 2025
एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एएफआई) द्वारा अनुमोदित बोधगया मैराथन का प्रमुख उद्देश्य वैश्विक शांति (Run for Global Peace) को बढ़ावा देना है। इसके अलावा इस आयोजन का एक विस्तारित उद्देश्य मैराथन मार्ग से जुड़े गांवों और सड़कों को विकसित करना है, जो भगवान बुद्ध द्वारा देखे गए और निवास किए गए महत्वपूर्ण स्थान भी हैं। जैसे सुजाता स्तूप, डुंगेश्वरी, धर्मारण्य मंदिर आदि। मैराथन को कालचक्र मैदान, बोधगया से हरी झंडी दिखाई जाएगी। बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और भारत सरकार के माननीय केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू इसका शुभारम्भ कर सकते हैं।
अलग-अलग श्रेणियां में मैराथन
इस मैराथन में दुनिया भर के बौद्ध समुदाय का महत्वपूर्ण प्रतिनिधित्व होगा। अंतर्राष्ट्रीय धावकों के साथ-साथ भारत के सशस्त्र बलों की भी भागीदारी होगी। मैराथन में कई श्रेणियां होंगी। फुल मैराथन करीब 42.195 किलोमीटर का होगा, जिसमें धावक महाबोधि मंदिर से शुरू करके सुजाता गढ़, धर्माण्य मंदिर एवं डुंगेश्वरी तक जाएंगे। इसके अलावा, 21.097 किलोमीटर का हाफ मैराथन होगा, जो महाबोधि मंदिर से शुरू होकर सुजाता गढ़ एवं धर्माण्य मंदिर पर खत्म होगा। धावकों के लिए 10 किलोमीटर का एक टाइम्ड रन भी होगा। मैराथन में ऑनलाइन पंजीकरण कराने की अंतिम तिथि 20 जनवरी 2025 है। बोधगया मैराथन का यह दूसरा संस्करण है। इससे पूर्व 14 जनवरी 2024 को पहला संस्करण आयोजित किया गया था।
महाबोधि मंदिर से होगी मैराथन की शुरुआत
बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर से मैराथन की शुरुआत होगी। इस मंदिर का महात्मा बुद्ध के जीवन से सीधा संबंध है। यह वही स्थान है, जहां 531 ईसा पूर्व में उन्होंने बोधि वृक्ष के नीचे बैठकर सर्वोच्च एवं संपूर्ण अंतरज्ञान प्राप्त किया था। यहां उनके जीवन से जुड़ी घटनाओं के असाधारण रिकॉर्ड उपलब्ध हैं। विशेषकर उस समय के जब 260 ईसा पूर्व में सम्राट अशोक ने इस स्थान की यात्रा की थी और बोधि वृक्ष के स्थल पर पहले मंदिर का निर्माण करवाया था। वहीं, गया में निरंजना नदी के किनारे बकरौर गांव में स्थित सुजाता गढ़ बौद्ध धर्म के अनुयायियों का एक पवित्र स्थल है। धार्मिक के अलावा पुरातात्विक नजरिये से भी यह स्थान काफी महत्वपूर्ण है। खुदाई के दौरान यहां भगवान बुद्ध की विशाल खंडित प्रतिमा एवं भगवान विष्णु की एक फीट ऊंची, काले प्राचीन पत्थर की प्रतिमा मिली थी। मैराथन का एक मुख्य पड़ाव डुंगेश्वरी मंदिर वह पवित्र स्थल है, जिस गुफा में भगवान बुद्ध ने करीब छह वर्षों तक ध्यान लगाया था। यह गुफा पहाड़ के ऊपर स्थित है। कहते हैं कि साधना के दौरान भगवान बुद्ध काफी कमजोर हो गए थे, तो करीब के गांव की गाय चराने वाली सुजाता नामक महिला ने उन्हें भोजन-पानी दिया था।
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