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आखिर क्यों दिल्ली की राजनीति में खास हो गए मोहन सिंह बिष्ट ? 24 घंटे में BJP को लेना पड़ा बड़ा फैसला
आखिर क्यों दिल्ली की राजनीति में खास हो गए मोहन सिंह बिष्ट ? 24 घंटे में BJP को लेना पड़ा बड़ा फैसला
Authored By: JP Yadav
Published On: Monday, January 13, 2025
Updated On: Monday, January 13, 2025
Mohan Singh Bisht Profile : दिल्ली से 5 बार विधायक रहे मोहन सिंह बिष्ट (Mohan Singh Bisht) की दिल्ली की राजनीति में उपयोगिता को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें मुस्तफाबाद से पार्टी उम्मीदवार बनाया है.
Authored By: JP Yadav
Updated On: Monday, January 13, 2025
Mohan Singh Bisht : दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 (Delhi Vidhan Sabha Chauav 2025) के लिए आगामी 5 फरवरी को सभी 70 सीटों पर मतदान होना है और परिणाम 8 फरवरी को घोषित होगा. दिल्ली में आम आदमी पार्टी जहां सत्ता बरकरार रखने की कोशिश में है तो भारतीय जनता पार्टी (BJP) 28 साल बाद दिल्ली की गद्दी पर दोबारा काबिज होना चाहती है. इस बीच कांग्रेस दिल्ली में अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही है, क्योंकि 2015 और 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस शून्य पर सिमट गई थी. इस चुनावी माहौल के बीच दिल्ली की राजनीति में अचानक मोहन सिंह बिष्ट (Mohan Singh Bisht) चर्चा में आ गए हैं. वह कौन हैं और क्यों BJP को डैमेज कंट्रोल करते हुए सिर्फ मोहन सिंह बिष्ट को उम्मीदवार के तौर पर घोषित करने के लिए तीसरी सूची जारी करनी पड़ी. ऐसा बहुत कम हुआ है, जबकि किसी राजनीतिक दल ने सिर्फ एक उम्मीदवार के लिए सूची जारी की हो. इस स्टोरी में हम जानेंगे मोहन सिंह बिष्ट के बारे में, जो BJP के लिए इतने उपयोगी हो गए हैं.
3 दशक में सिर्फ एक बार चुनाव हारे मोहन सिंह बिष्ट
2 जून, 1957 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा में जन्मे मोहन सिंह बिष्ट दिल्ली की राजनीति में खास मुकाम रखते हैं. उनके कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह वर्तमान में दिल्ली की करावल नगर विधानसभा सीट से विधायक हैं. इससे पहले 1998, 2003, 2008, 2013 और 2020 में लगातार चुने गए. उन्हें सिर्फ दिल्ली विधानसभा चुनाव 2015 में हार का सामना करना पड़ा, क्योंकि उस दौरान अरविंद केजरीवाल की लहर में BJP के करीब-करीब सभी दिग्गज चुनाव हार गए थे, जिनमें मोहन सिंह बिष्ट भी थे. BJP को 2015 के चुनाव में सिर्फ 3 सीटें मिलीं थी. इस चुनाव में मोहन सिंह बिष्ट को कपिल शर्मा से मात मिली थी, लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 उन्होंने वापसी और BJP को यह सीट वापस दिला दी.
पहाड़ी वोटर्स पर मजबूत पकड़
मोहन सिंह बिष्ट का बचपन उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के अजोली गांव में गुजरा. उन्होंने स्थानीय स्कूल में पढ़ाई की. सिर्फ 20 वर्ष की उम्रमें वह दिल्ली आ गए. दिल्ली में आकर उन्होंने राजनीति में दांव आजमाया और लगातार कामयाब होते रहे. खुशाल सिंह बिष्ट और हीरा देवी के घर जन्मे मोहन सिंह ने दिल्ली के लोगों पर अपनी मजबूत पकड़ बनाई है. बताया जाता है कि मोहन सिंह बिष्ट का असर सिर्फ करावल नगर सीट पर ही नहीं है बल्कि वह व्यक्तिगत तौर पर 8-10 सीटों पर उत्तराखंड के वोटर्स को लुभाने का माद्दा रखते हैं. यही वजह है कि नाराज मोहन सिंह बिष्ट को मनाने में भाजपा ने 24 घंटे का समय भी नहीं लगाया. फटाफट मुस्तफाबाद से उन्हें टिकट देकर तीसरी सूची जारी कर दी. हैरत की बात यह है कि इस तीसरी सूची में सिर्फ उनका ही नाम था. इससे दिल्ली की राजनीति में मोहन सिंह बिष्ट के कद का अंदाजा लगता है.
स्कूल से ही भा गई राजनीति
स्कूल में पढ़ने के दौरान मोहन का राजनीति में खासा रुझान था. वह राजनीतिक विषयों पर बोलने में हमेशा आगे रहते थे. यही वजह है कि बहुत ही कम उम्र में उत्तराखंड के गृह गांव अजोली में जब भी चुनाव के दौरान राजनेता गांव में आते तो प्रत्याशी का अंदाज उन्हें खूब पसंद आता है. यही वजह है कि उन्होंने छोटी सी उम्र में बड़ा राजनेता बनने का सपना मन में पाल लिया था. मौका मिला तो वे वर्ष 1976 में वे दिल्ली चले आए. यहां पर विचारधारा के स्तर पर उन्हें भारतीय जनता पार्टी पसंद आई. यह अलग बात है कि इससे पहले भारतीय जनसंघ में शामिल हो गए थे. इसके बाद वर्ष 1992 में वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए. फिलहाल वह संघ परिवार के एक अन्य घटक विश्व हिंदू परिषद (Vishva Hindu Parishad) की दिल्ली इकाई के सक्रिय सदस्य भी हैं. वह VHP के सभी बड़े आयोजनों में शिरकत करते हैं, इससे उनकी पैठ RSS में भी है.
20 साल की उम्र में दिल्ली में हुए सक्रिय
दिल्ली विधानसभा चुनाव में 5 बार विधायक रह चुके मोहन सिंह बिष्ट ने 12वीं तक ही पढ़ाई की है. सिर्फ 20 साल की उम्र में ही उत्तराखंड (अल्मोड़ा) छोड़कर दिल्ली चले आए. उन्होंने यहां पर जल्द ही भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली. 20वीं सदी से 21 सदी में प्रवेश कर गए, लेकिन उन्होंने हमेशा भारतीय जनता पार्टी में विश्वास रखा. 1993 में दिल्ली विधासभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिला, लेकिन 1998 में हुए चुनाव में BJP से चुनाव जीते. इसके बाद 2003, 2008 और 2013 में मोहन सिंह बिष्ट दिल्ली की करावल नगर विधानसभा सीट से लगातार चुनाव जीते. 2015 में अरविंद केजरीवाल की लहर में वह आम आदमी पार्टी के कपिल मिश्रा से करावल नगर सीट पर चुनाव हार गए. उनकी खूबी यह है कि वह जल्द ही लोगों के दिलों में जगह बना लेते हैं. यही वजह है कि उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में शानदार वापसी की. उन्होंने शानदार परिणाम देते हुए आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रत्याशी दुर्गेश पाठक को 8223 मतों के अंतर से हरा दिया. इस चुनाव में जहां मोहन सिंह बिष्ट को 96,721 वोट मिले तो दुर्गेश को 88,498 वोट ही हासिल हुए, जबकि कांग्रेस के अरबिंद सिंह तीसरे स्थान पर रहे.
निजी जीवन बेदाग
मोहन सिंह बिष्ट बेदाग जीवन जीने वाले BJP नेता हैं. उनका परिवार करावल नगर में स्थित एक वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, आधारशिला कॉन्वेंट पब्लिक स्कूल का मालिक है. 13 अप्रैल, 1980 को लक्ष्मी बिष्ट से विवाह हुआ. उनकी एक बेटी और एक बेटा है. समाज सेवा में खास रुचि रखने वाले मोहन को फुटबॉल और कबड्डी जैसे खेलों से भी खासा लगाव है. कई हिंदू संगठनों से जुड़े BJP को धार्मिक सीरियल देखना पसंद है. फिलहाल वह उत्तर पूर्वी दिल्ली दयालपुर एक्सटेंशन में परिवार के साथ रहते हैं. मोहन सिंह बिष्ट पर कोई बड़ा आपराधिक मामला दर्ज नहीं है, लेकिन वर्ष 2006 में दिल्ली नगर निगम (Delhi Municipal Corporation) ने सीलिंग ड्राइव के एक हिस्से तोड़ दिया था. आरोप था कि इसे बिना नक्शे के अवैध रूप से बनाया गया है.
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