1-8 अगस्त तक मनाये जा रहे वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक पर जानते हैं कैसे मां का दूध बच्चे और मां दोनों को स्वस्थ रखता है

Authored By: स्मिता

Published On: Saturday, August 3, 2024

Updated On: Monday, August 5, 2024

A mother breastfeeding her baby

मां का दूध न सिर्फ बच्चे का बीमारियों से बचाव कर मजबूत बनाता है, बल्कि मां को भी वजन बढ़ने और टाइप 2 डायबिटीज जैसी बीमारियों से बचाव कर स्वस्थ रखता है। 1-8 अगस्त तक वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक मनाया जा रहा है।

भारतीय फिल्मों में ताकत मापने के लिए यह डायलॉग मशहूर है, ‘मां का दूध पिया है, तो बढ़ आगे। मां का दूध पिया होगा, तभी हिम्मत होगी।’ इसका सीधा-सा मतलब है कि बच्चों के लिए मां का दूध सबसे अधिक जरूरी है, तभी वह मजबूत आदमी के रूप में विकसित हो पायेगा। उसकी इम्युनिटी स्ट्रांग होगी और वह हर तरह के रोग-बीमारी से दूर होगा। भारत में सदियों से मां का दूध बच्चों के लिए सर्वोत्तम माना जाता रहा है। मां का दूध शिशु की पोषण संबंधी ज़रूरतों के लिए बेहद उपयोगी है। इसका प्रतिरक्षात्मक और सूजन-रोधी गुण मां और बच्चों दोनों को कई बीमारियों से बचाते हैं।

स्तनपान को मान्यता अब विदेश में भी दी जाने लगी है। यही वजह है कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन की सहायता से अब संपूर्ण विश्व में वर्ल्ड ब्रेस्ट फीडिंग सप्ताह (World Breastfeeding Week 2024) मनाया जाने लगा है। मां का दूध बच्चों की इम्युनिटी कैसे स्ट्रॉन्ग करता है, जानने से पहले वर्ल्ड ब्रेस्ट फीडिंग सप्ताह 2024 और उसकी थीम (World Breastfeeding Week 2024 theme) जानें।

वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक 2024 (World Breastfeeding Week 2024)

वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक या विश्व स्तनपान सप्ताह हर साल अगस्त के पहले सप्ताह में मनाया जाता है। इसे WHO, UNICEF और देश के स्वास्थ्य मंत्रालयों और सामजिक भागीदारों द्वारा समर्थन दिया जाता है। वर्ल्ड अलायंस फ़ॉर ब्रेस्टफ़ीडिंग एक्शन (WABA) हर साल वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक के लिए एक नया विषय चुनता है। वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक 2024 की थीम (World Breastfeeding Week 2024 theme) है- अंतर को कम करना: सभी के लिए स्तनपान सहायता (Closing the gap: Breastfeeding support for all)

यह अभियान स्तनपान कराने वाली माताओं के महत्व को दर्शाता है। यह दिवस परिवार, समाज, समुदाय और हेल्थ केयर प्रोवाइडर को हर स्तनपान कराने वाली मां की मदद करने की अपील करता है।

ब्रेस्ट मिल्क के पोषक तत्व

न्यूट्रिएंट जर्नल के अनुसार, लैक्टोज मां के दूध में पाया जाने वाला प्राइमरी कार्बोहाइड्रेट है। यह ब्रेस्ट मिल्क में उपलब्ध कुल कैलोरी का लगभग 40% है। लैक्टोज पेट में बड़ी संख्या में अनहेल्दी बैक्टीरिया को कम करने में मदद करता है। इससे कैल्शियम, फास्फोरस और मैग्नीशियम का अवशोषण बेहतर होता है। इसमें लगभग 87%-88% पानी और 124- ग्राम/लीटर सॉलिड घटक मैक्रोन्यूट्रिएंट्स के रूप में होते हैं। इसमें लगभग 7% (60-70 ग्राम/लीटर) कार्बोहाइड्रेट, 1% (8-10 ग्राम/लीटर) प्रोटीन और 3.8% (35-40 ग्राम/लीटर) फैट मौजूद होते हैं। पर्यावरणीय कारकों सहित मां के खानपान के अनुसार यह भिन्न हो सकती है।

इम्युनिटी स्ट्रॉन्ग करता है मां का दूध

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन (WHO) इस बात पर जोर देता है कि जन्म के पहले छह महीने तक बच्चे को मां का दूध ही देना चाहिए। मां का पहला दूध कोलोस्ट्रम कहलाता है। इसे बच्चे को जरूर देना चाहिए। 2-3 घंटे पर बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना चाहिए।

  • मां का दूध बच्चे को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
  • यह उचित अनुपात में सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है।
  • यह बच्चे को एलर्जी, बीमारी और मोटापे से बचाता है।
  • यह मधुमेह और कैंसर जैसी बीमारियों से बचाता है।
  • यह कान के संक्रमण सहित अन्य तरह के संक्रमणों से बचाता है।
  • यह आसानी से पच जाता है – कब्ज, दस्त या पेट खराब नहीं होता है।
  • बच्चे बड़े होने पर हेल्दी वेट के होते हैं।
  • स्तनपान करने वाले बच्चे के IQ भी बढ़िया होते हैं।
  • बच्चे की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए मां के दूध में उपस्थित पोषक तत्व लगातार बदलते रहते हैं।
  • स्वस्थ विकास को बढ़ावा देने के लिए दूध की मात्रा और उसकी संरचना समय, ब्रेस्टफीडिंग की फ्रीक्वेंसी और बच्चे की उम्र के अनुसार बदलती रहती है।

मां को कई रोगों से बचाता है स्तनपान

  • वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी जानकारी के अनुसार, स्तनपान कराने वाली मांओं को भी फायदा होता है।
  • टाइप 2 डायबिटीज और ब्रेस्ट कैंसर जैसे कुछ कैंसर का जोखिम कम होता है।
  • गर्भवती होने से पहले जितना वजन था, उसे वापस पाना आसान हो सकता है।
  • बच्चों के साथ बॉन्डिंग मज़बूत होती है।
About the Author: स्मिता
धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का लंबा अनुभव। समसामयिक मुद्दों पर आम और ख़ास से बातचीत करना और उन्हें नए नजरिये के साथ प्रस्तुत करना यूएसपी है।

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