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महावीर जयंती 2025: कब है इस साल यह तिथि? क्या है इतिहास? जानिए भगवान महावीर के संदेश, परंपराएं और इससे जुड़ी रोचक बातें!
महावीर जयंती 2025: कब है इस साल यह तिथि? क्या है इतिहास? जानिए भगवान महावीर के संदेश, परंपराएं और इससे जुड़ी रोचक बातें!
Authored By: Nishant Singh
Published On: Tuesday, April 8, 2025
Updated On: Thursday, April 10, 2025
महावीर जयंती ( Mahavir Jayanti 2025) एक पावन अवसर है, जब हम भगवान महावीर के अहिंसा, सत्य और त्याग की भावना को नमन करते हैं। जानिए इस साल कब है यह शुभ तिथि और क्या है इसका महत्व? साथ ही जानिए भगवान महावीर के प्रेरणादायक संदेश और इससे इस दिन से जुड़ी खास परंपराएं! आइए, इस खास अवसर पर उनके जीवन, इतिहास और रोचक तथ्यों को और करीब से जानें!
Authored By: Nishant Singh
Updated On: Thursday, April 10, 2025
कल्पना कीजिए — एक ऐसा दिन, जब हर दिशा से शांति का संदेश सुनाई दे, मंदिरों की घंटियां एक अद्भुत ऊर्जा बिखेरें और लोगों के चेहरों पर सच्ची मुस्कान खिल उठे. यह दिन है महावीर जयंती का — वह शुभ अवसर जब धरती पर सत्य, अहिंसा और त्याग का प्रकाश फैलाने वाले भगवान महावीर का जन्म हुआ था. यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि जीवन को सरल और सुंदर बनाने का स्मरण है. इस दिन लोग अपने मन को साफ करने का, दूसरों की भलाई के लिए कुछ करने का और अपने भीतर की करुणा को जगाने का अवसर पाते हैं.
सुबह की हल्की धूप के साथ जब शोभायात्राएं निकलती हैं, हर कदम पर महावीर के आदर्श जीवंत होते नजर आते हैं. बच्चे रंग-बिरंगे कपड़ों में, हाथों में झंडे लेकर, ‘अहिंसा परम धर्म’ का संदेश देते हुए चलते हैं. चारों ओर भक्ति का रंग ऐसा चढ़ता है कि हर दिल में एक शांत मुस्कान बस जाती है. यह पर्व हमें याद दिलाता है कि सच्चा आनंद सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि सभी के भले में है. महावीर जयंती — एक दिन नहीं, बल्कि एक अहसास है, जो भीतर से हमें बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करता है.
महावीर जयंती के इतिहास और महत्व के बारे में जानें
महावीर जयंती, जो वर्ष 2025 में 10 अप्रैल को पूरे देश में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जाएगी. यह दिन विशेष है क्योंकि यह जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर, भगवान महावीर के जन्म का प्रतीक है. महावीर जयंती न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह सत्य, अहिंसा और करुणा की उस अमूल्य सीख को याद करने का अवसर है, जिसे भगवान महावीर ने अपने जीवन में अपनाया और दुनिया को सिखाया. इस दिन जैन समाज प्रार्थना करता है, उपवास करता है और दान-पुण्य के कार्यों में जुट जाता है, ताकि अपने जीवन में शुद्धता और सेवा का भाव जागृत किया जा सके.
महावीर जयंती का इतिहास हमें उस काल में ले जाता है, जब समाज को हिंसा और भटकाव से मुक्त करने के लिए भगवान महावीर ने जन्म लिया था. उन्होंने अपने पूरे जीवन में त्याग, तपस्या और संयम का उदाहरण प्रस्तुत किया. आज भी उनका संदेश लोगों को सत्य बोलने, अहिंसा अपनाने और दूसरों के प्रति दया रखने की प्रेरणा देता है. यह पर्व हर साल हमें याद दिलाता है कि सच्चा सुख तभी मिलता है जब हम अपने साथ दूसरों का भी भला सोचते हैं.
भगवान महावीर कौन थे?
भगवान महावीर सिर्फ एक महान संत नहीं, बल्कि मानवता के मार्गदर्शक थे, जिन्होंने दुनिया को अहिंसा, सत्य, त्याग और करुणा का रास्ता दिखाया. उनका जन्म लगभग 599 ईसा पूर्व, बिहार के वैशाली राज्य में, राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के घर हुआ था. बचपन से ही उनमें गहरी साधना और आध्यात्मिक जिज्ञासा थी. राजसी जीवन का त्याग कर वे केवल 30 वर्ष की उम्र में जंगलों की ओर चले गए और 12 वर्षों तक कठोर तपस्या के बाद उन्हें कैवल्य ज्ञान यानी पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति हुई. उसी ज्ञान के आधार पर उन्होंने जीवन भर संसार को सच्ची शांति और मोक्ष का मार्ग दिखाया.
भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे. उन्होंने जीवन के हर पहलू में अहिंसा को सर्वोपरि माना. उनका मानना था कि चाहे विचारों में हो, वाणी में हो या कर्म में — हिंसा से हमेशा दूर रहना चाहिए. उनके उपदेश आज भी समय की सीमाओं से परे होकर, हर युग में लोगों को सच्चे मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं. उनका जीवन हमें सिखाता है कि सरलता, संयम और दया ही एक सुंदर और शांत जीवन की असली कुंजी है.
महावीर जयंती 2025 का महत्व

महावीर जयंती 2025 का महत्व केवल एक पर्व मनाने तक सीमित नहीं है, यह एक ऐसा अवसर है जो हमें भीतर से जागृत करता है. 10 अप्रैल 2025 को मनाई जाने वाली यह पावन तिथि हमें याद दिलाती है कि भगवान महावीर के उपदेश आज भी उतने ही सजीव हैं, जितने हजारों साल पहले थे. यह दिन हमें अहिंसा, सत्य, त्याग और करुणा जैसे मूल जीवन मूल्यों को फिर से अपनाने का अवसर देता है. जैन समुदाय के लिए तो यह सबसे बड़ा पर्व है, लेकिन इसकी सीख हर इंसान के लिए है — दूसरों को चोट पहुँचाए बिना, सरल और सच्चे मार्ग पर चलना ही असली मानवता है.
इस दिन का महत्व इसलिए भी खास है क्योंकि यह हमें अपने भीतर झाँकने और जीवन की तेज़ दौड़ में एक पल ठहरकर सोचने का मौका देता है. उपवास, दान और प्रार्थना के माध्यम से हम न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आत्मिक शुद्धि का अनुभव करते हैं. समाज में शांति और सहयोग का वातावरण बनाना, हर जीव के प्रति दया का भाव रखना और छोटी-छोटी बातों में सच्ची खुशी ढूंढना — यही महावीर जयंती 2025 का असली संदेश और महत्व है.
महावीर जयंती 2025: अनुष्ठान और उत्सव
महावीर जयंती 2025 का पर्व 10 अप्रैल को पूरे भारत में विशेष भक्ति और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा. यह दिन सिर्फ पूजा का नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और सेवा का प्रतीक है. इस दिन सुबह से ही मंदिरों में विशेष पूजा, भगवान महावीर की प्रतिमा का अभिषेक, और सुंदर अलंकरण किया जाता है. भक्तजन उपवास रखते हैं और दिनभर ध्यान तथा प्रार्थना में लीन रहते हैं. धार्मिक सभाएं आयोजित होती हैं, जहां जैन मुनि और विद्वान भगवान महावीर के जीवन और उपदेशों पर सरल वाणी में प्रवचन देते हैं. भव्य शोभायात्राएँ निकाली जाती हैं, जिनमें भक्त भजन-कीर्तन करते हुए शामिल होते हैं. दान-पुण्य का विशेष महत्व इस दिन होता है और समाज सेवा के कई कार्य किए जाते हैं, जिससे समाज में भाईचारे और शांति का संदेश फैले.
महावीर जयंती 2025 के प्रमुख अनुष्ठान और उत्सव:
- प्रातःकाल मंदिरों में भगवान महावीर की प्रतिमा का अभिषेक (स्नान) किया जाता है.
- मूर्तियों को फूलों और नए वस्त्रों से सजाया जाता है.
- उपवास और ध्यान कर आत्मशुद्धि का अभ्यास किया जाता है.
- धार्मिक ग्रंथों का पाठ और भक्ति गीतों का आयोजन किया जाता है.
- जैन मुनियों द्वारा प्रवचन दिए जाते हैं, जो जीवन में संयम और अहिंसा का महत्व समझाते हैं.
- भव्य शोभायात्राएं निकाली जाती हैं, जिसमें रथ पर भगवान महावीर की प्रतिमा को सजाकर पूरे नगर में भ्रमण कराया जाता है.
- गरीबों और ज़रूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दान देने की परंपरा निभाई जाती है.
- समाज में शांति, सेवा और करुणा का संदेश फैलाया जाता है.&
भगवान महावीर द्वारा लिखित महावीर जयंती पर 5 सर्वश्रेष्ठ उद्धरण. भगवान महावीर का जीवन और उनके उपदेश आज भी मानवता को सही दिशा दिखाते हैं. उनका हर एक वचन हमें सिखाता है कि जीवन में शांति, संयम और दया से बड़ा कोई धर्म नहीं. महावीर जयंती के इस पावन अवसर पर, उनके प्रेरणादायक विचारों को अपनाकर हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं.
आइए जानते हैं उनके 5 सर्वश्रेष्ठ उद्धरण, जो हमें सही मार्ग की ओर प्रेरित करते हैं:
- “अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म है.”
(विचार, वाणी और कर्म में किसी को कष्ट न देना ही सच्चा धर्म है.) - “मनुष्य स्वयं अपने कर्मों का निर्माता है, और वही उसे सुधार सकता है.”
(कर्मों में सुधार करके ही जीवन में परिवर्तन लाया जा सकता है.) - “क्रोध आत्मा का सबसे बड़ा शत्रु है.”
(क्रोध से आत्मा दूषित होती है, इसलिए धैर्य और शांति अपनाना चाहिए.) - “सत्य को जानने का मार्ग भीतर से शुरू होता है.”
(अपने अंतर्मन की ओर देखना ही सच्चे ज्ञान की ओर पहला कदम है.) - “जैसा हम दूसरों के लिए सोचते और करते हैं, वैसा ही हमारे साथ होता है.”
(हमारे कर्म ही हमारे जीवन की दिशा तय करते हैं, इसलिए सदा शुभ सोचें.)
महावीर जयंती कैसे मनाई जाती है?
महावीर जयंती का पावन पर्व हर वर्ष बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है. इस दिन सुबह-सुबह जैन मंदिरों में विशेष पूजा और अभिषेक की परंपरा निभाई जाती है. भगवान महावीर की प्रतिमा को जल, दूध, केसर और शहद से स्नान कराया जाता है और फिर उन्हें सुंदर वस्त्र और आभूषण पहनाए जाते हैं. मंदिरों को रंग-बिरंगे फूलों और दीपों से सजाया जाता है. धार्मिक सभाओं में भगवान महावीर के जीवन, सिद्धांतों और अहिंसा के संदेश पर विशेष प्रवचन दिए जाते हैं, जिन्हें सुनकर लोग अपने जीवन को सकारात्मक और शांतिपूर्ण बनाने की प्रेरणा लेते हैं. कई लोग इस दिन उपवास रखते हैं और ध्यान, साधना में लीन रहते हैं.
इसके अलावा, इस दिन नगरों में भव्य शोभायात्राएं निकाली जाती हैं. रथ पर भगवान महावीर की सजी हुई प्रतिमा को विराजमान किया जाता है और चारों ओर भजन-कीर्तन की मधुर ध्वनि गूंजती है. लोग ‘अहिंसा परम धर्म है’ का संदेश लेकर समाज में करुणा और शांति का वातावरण बनाते हैं. बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक इस उत्सव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. साथ ही, जरूरतमंदों को दान देना, भोजन कराना और सेवा करना इस पर्व का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो समाज को एकजुटता और मानवता का संदेश देता है.
महावीर जयंती के बारे में अनोखे तथ्य

महावीर जयंती से जुड़े कई अनोखे तथ्य भगवान महावीर के जीवन, उनके सिद्धांतों और समाज में शांति, अहिंसा और करुणा फैलाने के उनके संदेश को उजागर करते हैं.
- महावीर जयंती जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्मदिवस है.
- भगवान महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व बिहार के कुंडलपुर (वैशाली) में हुआ था.
- उन्होंने 30 वर्ष की आयु में राजसी जीवन छोड़कर 12 वर्ष कठोर तप किया.
- महावीर स्वामी ने ‘अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य और ब्रह्मचर्य’ का संदेश दिया.
- महावीर जयंती के अवसर पर भव्य शोभायात्राएं और धार्मिक सभाएं आयोजित की जाती हैं.
- इस दिन मंदिरों में भगवान महावीर की मूर्ति का जल, दूध और केसर से अभिषेक किया जाता है.
- कई लोग इस दिन उपवास रखते हैं और जरूरतमंदों को दान-पुण्य करते हैं.
- इस पर्व का मुख्य उद्देश्य समाज में शांति, दया और अहिंसा का संदेश फैलाना है.
- महावीर जयंती पूरे भारत और कई अन्य देशों में भी जैन समुदाय द्वारा मनाई जाती है.
- भगवान महावीर के उपदेश आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं और जीवन में संतुलन सिखाते हैं.
महावीर जयंती के दौरान घूमने लायक 5 आध्यात्मिक स्थल
महावीर जयंती के शुभ अवसर पर देशभर में कई आध्यात्मिक स्थलों पर विशेष आयोजन होते हैं. पावापुरी, श्रवणबेलगोला, गिरनार पर्वत, हस्तिनापुर और मुंबई जैन मंदिर उन प्रमुख स्थलों में शामिल हैं, जहाँ श्रद्धालु बड़ी आस्था के साथ पूजा, ध्यान और शोभायात्रा में भाग लेकर आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करते हैं.
- पावापुरी, बिहार
भगवान महावीर का निर्वाण स्थल, जहाँ जल मंदिर और पवित्र सरोवर स्थित है. यह जैन श्रद्धालुओं के लिए सबसे प्रमुख तीर्थस्थल है.
- श्रवणबेलगोला, कर्नाटक
विश्व प्रसिद्ध गोम्मटेश्वर प्रतिमा के लिए जाना जाने वाला यह स्थल महावीर जयंती के दौरान विशेष आयोजनों के लिए प्रसिद्ध है.
- गिरनार पर्वत, गुजरात
जैन धर्म के कई मंदिरों का समूह, जहाँ हजारों श्रद्धालु महावीर जयंती पर दर्शन करने आते हैं.
- हस्तिनापुर, उत्तर प्रदेश
जैन धर्म का ऐतिहासिक केंद्र, जहाँ महावीर जयंती पर भव्य शोभायात्रा और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं.
- मुंबई जैन मंदिर, महाराष्ट्र
भव्य वास्तुकला और भक्ति से परिपूर्ण यह मंदिर महावीर जयंती के दिन विशेष पूजा और अनुष्ठानों का केंद्र बन जाता है.