अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस 2025: जानें तारीख, इतिहास, थीम और धरती बचाने के अहम उपाय

अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस 2025: जानें तारीख, इतिहास, थीम और धरती बचाने के अहम उपाय

Authored By: Nishant Singh

Published On: Wednesday, May 21, 2025

Last Updated On: Thursday, May 22, 2025

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World Biodiversity Day 2025, पृथ्वी पर जीवन का अद्भुत ताना-बाना है, जिसमें सभी पौधे, जानवर और सूक्ष्मजीव शामिल हैं. यह हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह स्वच्छ हवा, पानी और मिट्टी प्रदान करती है. जैव विविधता हमें भोजन, दवाइयाँ और प्राकृतिक संसाधन भी देती है. लेकिन मानवीय गतिविधियाँ जैसे जंगलों की अंधाधुंध कटाई, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन इसे संकट में डाल रहे हैं. 22 मई को मनाया जाने वाला विश्व जैव विविधता दिवस हमें इस अमूल्य धरोहर के संरक्षण की याद दिलाता है. भारत के जैव विविधता हॉटस्पॉट जैसे पश्चिमी घाट और हिमालय वैश्विक जैव विविधता को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं. इसके संरक्षण के लिए सतत विकास और वन्यजीव सुरक्षा के प्रयास जरूरी हैं.

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Last Updated On: Thursday, May 22, 2025

इस लेख में:

प्रकृति ने हमें जो सबसे बड़ी विरासत दी है, वह है Biodiversity – यह जीवन का वह अद्भुत ताना-बाना है, जो धरती पर हर जीव, हर पौधे, और हर सूक्ष्मजीव के माध्यम से बनता है. Biodiversity का हर रूप हमारे पर्यावरण को संजीवनी शक्ति देता है, यह न केवल जीवन को संजीवित रखता है, बल्कि हमारे अस्तित्व को भी बनाए रखने में मदद करता है. लेकिन आज, मानव गतिविधियों के कारण, biodiversity पर गहरा संकट आ चुका है. जंगलों की अंधाधुंध कटाई, प्रदूषण, और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं इस अमूल्य धरोहर को नष्ट करने में लगी हुई हैं.

22 मई को मनाया जाने वाला World Biodiversity Day हमें यह याद दिलाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है कि biodiversity सिर्फ पर्यावरण का हिस्सा नहीं, बल्कि हमारे जीवन का अभिन्न अंग है. यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम biodiversity के संरक्षण के लिए कदम उठाएं, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ भी इस अद्भुत संसार की पूरी खूबसूरती का अनुभव कर सकें.

पर्यावरण में जैव विविधता का महत्व

Biodiversity यानी जैव विविधता, हमारे पर्यावरण का मूल स्तंभ है. यह पृथ्वी पर सभी जीवों, पौधों, और सूक्ष्मजीवों की विविधता को बनाए रखती है, जो पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है. जब biodiversity स्वस्थ रहती है, तो यह जल, वायु, और मृदा के शुद्धिकरण में योगदान देती है. पौधे और पेड़ हवा में ऑक्सीजन का स्तर बनाए रखते हैं, जबकि समुद्र और जंगल हमें जल, खाद्य और औषधियां प्रदान करते हैं. इसके अलावा, जैव विविधता प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा भी देती है, जैसे बाढ़ और सूखा. अगर यह विविधता खत्म हो जाती है, तो पूरे पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे हमारी खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, और जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. इस प्रकार, biodiversity न केवल पर्यावरण के लिए, बल्कि हमारे जीवन के लिए भी अत्यंत आवश्यक है.

  • पारिस्थितिकी संतुलन: जैव विविधता प्राकृतिक संतुलन बनाए रखती है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र काम करता है.
  • स्वच्छ जल और हवा: पौधे और पेड़ हवा और जल को शुद्ध करते हैं.
  • खाद्य आपूर्ति: जैव विविधता हमारे भोजन स्रोतों का एक बड़ा हिस्सा बनाती है.
  • औषधि स्रोत: बहुत सी दवाइयाँ जैव विविधता से मिलती हैं, जो हमारी सेहत के लिए जरूरी हैं.
  • प्राकृतिक संसाधन: जीवों और पौधों से हमें निर्माण सामग्री, ऊर्जा और अन्य संसाधन मिलते हैं.
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जैव विविधता की परिभाषा

Biodiversity या जैव विविधता का मतलब है पृथ्वी पर मौजूद सभी जीवों, पौधों, और सूक्ष्मजीवों की विविधता. यह जीवन के विभिन्न रूपों को आपस में जोड़ने वाला नेटवर्क है, जो पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखता है. जैव विविधता तीन मुख्य घटकों में बंटी होती है:

  • जैविक विविधता (Genetic Diversity): यह किसी भी प्रजाति के भीतर मौजूद आनुवंशिक (genetic) विविधताओं को दर्शाता है. इसका मतलब है कि एक ही प्रजाति के अलग-अलग जीवों के गुणसूत्र में विभिन्नताएँ हो सकती हैं, जो उनके अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण होती हैं.
  • प्रजाति विविधता (Species Diversity): यह पृथ्वी पर पाए जाने वाली विभिन्न प्रजातियों की संख्या और उनके प्रकारों को बताता है. इसमें जानवरों, पौधों, और सूक्ष्मजीवों की सभी प्रजातियाँ शामिल होती हैं.
  • पारिस्थितिकी तंत्र विविधता (Ecosystem Diversity): यह पृथ्वी के विभिन्न पारिस्थितिकी तंत्रों, जैसे जंगल, महासागर, मरुस्थल, और अन्य प्राकृतिक क्षेत्र, की विविधता को दर्शाता है.

विश्व जैव विविधता दिवस का इतिहास

विश्व जैव विविधता दिवस हर साल 22 मई को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य जैव विविधता के महत्व को समझाना और उसके संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करना है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि पृथ्वी पर जीवन की विविधता न केवल सुंदर है, बल्कि हमारे अस्तित्व के लिए भी आवश्यक है.

इस दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र (United Nations) द्वारा की गई थी. पहले यह दिन 29 दिसंबर को मनाया जाता था, क्योंकि इसी दिन 1993 में जैव विविधता पर कन्वेंशन (Convention on Biological Diversity – CBD) लागू हुआ था. लेकिन 2000 में संयुक्त राष्ट्र ने इसे बदलकर 22 मई कर दिया, क्योंकि इस दिन 1992 में नैरोबी में CBD टेक्स्ट को अपनाया गया था, जो जैव विविधता के वैश्विक संरक्षण का आधार बना.

प्रत्येक वर्ष इस दिन की थीम अलग होती है, जो किसी विशेष मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करती है, जैसे कि पारिस्थितिकी तंत्र का पुनर्निर्माण, प्रकृति और विकास में संतुलन आदि.

जैव विविधता का संकट

आज biodiversity या जैव विविधता गंभीर संकट का सामना कर रही है. इसके प्रमुख कारणों में आवास का विनाश (habitat destruction), प्रदूषण (pollution), जलवायु परिवर्तन (climate change), अत्यधिक शोषण (over-exploitation), और आक्रामक प्रजातियाँ (invasive species) शामिल हैं.

  • आवास का विनाश: शहरीकरण, कृषि और वनस्पति की अंधाधुंध कटाई से प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं, जिससे कई प्रजातियाँ अपनी जान खो रही हैं.
  • प्रदूषण: वायु, जल और मृदा में बढ़ते प्रदूषण से जीवन का अस्तित्व संकट में है.
  • जलवायु परिवर्तन: जलवायु के बदलते मापदंडों से कई प्रजातियाँ अपने पारंपरिक आवास में नहीं रह पा रही हैं.
  • अत्यधिक शोषण: अवैध शिकार, मछली पकड़ना और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग जैव विविधता को नुकसान पहुँचा रहा है.
  • आक्रामक प्रजातियाँ: बाहरी प्रजातियाँ स्वदेशी प्रजातियों को नष्ट कर रही हैं, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलित हो रहा है.

इन खतरों के कारण कई प्रजातियाँ endangered हो रही हैं, और यदि इन पर काबू नहीं पाया गया, तो biodiversity संकट और गंभीर हो सकता है. जैव विविधता का संरक्षण अब हमारी जिम्मेदारी है.

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भारत में जैव विविधता

भारत, अपनी अद्वितीय biodiversity के लिए प्रसिद्ध है, जो न केवल देश के पारिस्थितिकी तंत्र को संजीवित रखती है, बल्कि वैश्विक जैव विविधता का एक अहम हिस्सा भी है. यहाँ विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्र पाए जाते हैं, जैसे जंगल, मरुस्थल, पहाड़, और तटीय क्षेत्र, जो विभिन्न प्रजातियों का घर हैं.

भारत के कुछ प्रमुख biodiversity hotspots में शामिल हैं:

  • पश्चिमी घाट (Western Ghats): यह क्षेत्र जैव विविधता से भरपूर है और कई अनूठी प्रजातियों का घर है, जिनमें पौधे, जानवर और पक्षी शामिल हैं. इसे UNESCO ने विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी है.
  • हिमालय (Himalayas): हिमालय क्षेत्र में न केवल उच्च पर्वत शृंखलाएँ हैं, बल्कि यहाँ की वनस्पतियाँ और जीवों की प्रजातियाँ भी विश्व प्रसिद्ध हैं, जैसे बर्फीला तेंदुआ, लाल पांडा, और हिमालयी तेंदुआ.
  • सुंदरबन (Sundarbans): यह क्षेत्र दुनिया के सबसे बड़े मैंग्रोव वन के रूप में जाना जाता है और यहाँ बाघों की एक अद्वितीय प्रजाति, बंगाल टाइगर, पाई जाती है.

इन क्षेत्रों में पाए जाने वाले अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र और जीव, भारत की जैव विविधता को विशेष बनाते हैं और इनके संरक्षण से पूरे ग्रह की जैव विविधता को लाभ होता है.

जैव विविधता के संरक्षण के उपाय

Biodiversity या जैव विविधता के संरक्षण के लिए कई उपाय और रणनीतियाँ अपनाई जा रही हैं. इन उपायों का उद्देश्य पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाए रखना और दुर्लभ प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाना है. यहाँ कुछ प्रमुख संरक्षण उपाय दिए गए हैं:

संरक्षण उपायों की तालिका:

उपाय विवरण उदाहरण/स्थान
संरक्षित क्षेत्र राष्ट्रीय उद्यानों और अभ्यारण्य में मानव गतिविधियों पर रोक. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, कर्नाटका बांडिपुर
वन्यजीव अभ्यारण्य वन्यजीवों के लिए सुरक्षित स्थान जहां शिकार और अव्यवस्थित गतिविधियाँ नियंत्रित होती हैं. रणथंबोर वन्यजीव अभ्यारण्य, सुंदरबन अभ्यारण्य
जैव विविधता हॉटस्पॉट ऐसे क्षेत्र जिनमें जैव विविधता बहुत समृद्ध है और खतरे में हैं. पश्चिमी घाट, हिमालय, सुंदरबन
सतत विकास संसाधनों का समुचित उपयोग और पर्यावरण के साथ सामंजस्यपूर्ण विकास. जैविक कृषि, हरित ऊर्जा का उपयोग

इन उपायों को अपनाकर हम biodiversity के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रख सकते हैं.

जैव विविधता और मानव जीवन

Biodiversity हमारे जीवन का एक अहम आधार है, जो हमें प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से कई लाभ प्रदान करती है. यह न केवल हमारे भोजन और दवाइयों का स्रोत है, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र की ऐसी सेवाएं भी देती है, जो हमारे जीवन को संतुलित बनाए रखती हैं. जैव विविधता के बिना न तो स्वस्थ जीवन संभव है और न ही टिकाऊ विकास.

मानव जीवन में जैव विविधता के लाभ:

  • खाद्य सुरक्षा: विभिन्न पौधों, फसलों और पशुओं से हमें भोजन मिलता है, जो पोषण और भरण-पोषण के लिए जरूरी है.
  • औषधीय पौधे: अनेक जीवन रक्षक दवाइयाँ पेड़-पौधों और जीवों से प्राप्त होती हैं.
  • परागण (Pollination): मधुमक्खियाँ, तितलियाँ जैसे जीव फसलों के परागण में मदद करते हैं, जिससे उपज बढ़ती है.
  • कार्बन अवशोषण: वनस्पति और जंगल वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित कर जलवायु परिवर्तन को कम करते हैं.
  • पानी और मिट्टी का संरक्षण: जैव विविधता जलचक्र और मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखने में मदद करती है.

इसलिए biodiversity का संरक्षण मानव कल्याण और भविष्य की पीढ़ियों के लिए अत्यंत आवश्यक है.

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आधुनिक विज्ञान और जैव विविधता

आज के समय में आधुनिक विज्ञान और तकनीक जैव विविधता के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. पहले जहाँ संरक्षण के प्रयास पारंपरिक ज्ञान और सीमित संसाधनों पर निर्भर थे, वहीं अब विज्ञान की मदद से हम जैव विविधता को अधिक सटीक, प्रभावी और टिकाऊ तरीकों से बचा सकते हैं.

DNA बारकोडिंग, सेटेलाइट मॉनिटरिंग, GPS ट्रैकिंग, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी तकनीकों के माध्यम से अब दुर्लभ प्रजातियों की पहचान, निगरानी और सुरक्षा बहुत आसान हो गई है. साथ ही, पर्यावरण नीति और कानून, जैसे वन्य जीव संरक्षण अधिनियम और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, जैव विविधता की रक्षा के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करते हैं.

आधुनिक विज्ञान व तकनीक द्वारा जैव विविधता संरक्षण (तालिका):

तकनीक/उपाय विवरण उपयोगिता
DNA बारकोडिंग जीवों की आनुवंशिक पहचान के लिए विशिष्ट कोडिंग तकनीक प्रजातियों की सटीक पहचान और संरक्षण योजना बनाना
सेटेलाइट मॉनिटरिंग उपग्रहों के माध्यम से वनों और जैव विविध क्षेत्रों की निगरानी जंगलों की कटाई और अवैध गतिविधियों पर नजर रखना
GPS ट्रैकिंग जानवरों की गतिविधियों को ट्रैक करने की तकनीक विलुप्त प्रजातियों की निगरानी और संरक्षण
AI और डेटा एनालिटिक्स बड़े डेटा के विश्लेषण से प्रजातियों के व्यवहार और खतरे का पूर्वानुमान समय रहते संरक्षण उपाय अपनाना
पर्यावरण कानून जैव विविधता से संबंधित संरक्षण नियम और नीतियाँ अवैध शिकार, वनों की कटाई पर नियंत्रण

विज्ञान और तकनीक के इस समन्वय से biodiversity का संरक्षण अब अधिक व्यावहारिक और प्रभावी हो गया है. यदि इन नवाचारों का सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो हम आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रकृति की विविधता को सुरक्षित रख सकते हैं.

प्राकृतिक आपदाएँ और जैव विविधता

प्राकृतिक आपदाएँ जैसे बाढ़, सूखा, जंगल की आग, चक्रवात आदि, जैव विविधता पर अत्यंत नकारात्मक प्रभाव डालती हैं. ये आपदाएँ पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना को प्रभावित करती हैं, जिससे न केवल वनस्पतियों और जीवों का नुकसान होता है, बल्कि पूरी खाद्य श्रृंखला भी प्रभावित होती है. कुछ प्रजातियाँ आपदा के बाद भी जीवित रह जाती हैं, लेकिन कई दुर्लभ और संवेदनशील प्रजातियाँ विलुप्त होने की कगार पर पहुँच जाती हैं. आपदाओं के बाद पारिस्थितिकी तंत्र को पुनः स्थापित करने में वर्षों लग सकते हैं. ऐसे समय में संरक्षण योजनाएँ, पुनर्वनीकरण, और वैज्ञानिक हस्तक्षेप बहुत जरूरी हो जाते हैं.

प्राकृतिक आपदाओं के जैव विविधता पर प्रभाव – मुख्य बिंदु:

  • बाढ़ – जलमग्न क्षेत्रों में निवास स्थान नष्ट होते हैं, जिससे जलीय और स्थलीय जीवों की मृत्यु होती है.
  • सूखा – जल और भोजन की कमी से पशु-पक्षियों की जनसंख्या में गिरावट आती है.
  • जंगल की आग – वनस्पति और जीव दोनों नष्ट होते हैं; पुनर्वास में लंबा समय लगता है.
  • चक्रवात और तूफान – समुद्री तटों और मैंग्रोव वनों को भारी नुकसान होता है.
  • पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया – संरक्षण योजनाएँ, वृक्षारोपण और प्राकृतिक पुनर्जनन के ज़रिए पारिस्थितिकी तंत्र को पुनः जीवित किया जा सकता है.

प्राकृतिक आपदाओं से लड़ने और जैव विविधता की रक्षा के लिए सतर्कता और वैज्ञानिक सहयोग अनिवार्य है.

आने वाली पीढ़ियों के लिए जैव विविधता का संरक्षण

Biodiversity केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक अमूल्य धरोहर है. यह जीवन की विविधता, प्रकृति की सुंदरता और पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता का मूल स्रोत है. यदि आज हम जैव विविधता को सुरक्षित नहीं रख पाए, तो भविष्य में हमारी अगली पीढ़ियों को न तो स्वच्छ पर्यावरण मिलेगा और न ही पर्याप्त प्राकृतिक संसाधन.

बच्चों और युवाओं में शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से जैव विविधता के महत्व को समझाना बेहद जरूरी है. स्कूलों, कॉलेजों और सामाजिक कार्यक्रमों में इसके बारे में जानकारी देकर हम एक ऐसी पीढ़ी तैयार कर सकते हैं, जो प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर चल सके.

इसके साथ ही, नीति निर्माण (policy-making) की भूमिका भी अहम है. सरकारों को चाहिए कि वे ऐसे कानून और नीतियाँ बनाएं जो जैव विविधता की रक्षा करें, जैसे कि वन संरक्षण अधिनियम, पर्यावरणीय शिक्षा, और स्थायी विकास योजनाएँ.

  • शिक्षा से बच्चों को प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाना.
  • जागरूकता अभियानों से आम जनता को जोड़ना.
  • नीतियों और कानूनों के माध्यम से प्रभावी संरक्षण सुनिश्चित करना.
  • स्थायी जीवनशैली अपनाकर संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करना.

Biodiversity का संरक्षण सिर्फ एक कर्तव्य नहीं, बल्कि भविष्य की सुरक्षा है.

FAQ

Biodiversity का अर्थ है पृथ्वी पर मौजूद सभी जीवित प्रजातियों की विविधता – जैसे पौधे, जानवर, सूक्ष्मजीव, और उनका पारिस्थितिकी तंत्र. यह हमारे जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें भोजन, दवाइयाँ, साफ हवा, पानी और जलवायु संतुलन प्रदान करती है. इसके बिना जीवन असंभव है, इसलिए इसका संरक्षण अनिवार्य है.

जैव विविधता को कई खतरे हैं जिनमें प्रमुख हैं – वनों की कटाई, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, अवैध शिकार, और आक्रामक प्रजातियाँ. इसके अलावा प्राकृतिक आपदाएँ और अत्यधिक शोषण भी पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचाते हैं. यदि इन खतरों को समय रहते नहीं रोका गया, तो कई प्रजातियाँ हमेशा के लिए विलुप्त हो सकती हैं.

भारत में चार प्रमुख biodiversity hotspots हैं:

  1. पश्चिमी घाट – जहाँ अनेक दुर्लभ वनस्पतियाँ और जीव पाए जाते हैं.
  2. हिमालय क्षेत्र – जहाँ बर्फीला तेंदुआ, लाल पांडा जैसे जीव रहते हैं.
  3. इंडो-बर्मा क्षेत्र
  4. सुंदरबन – जो बंगाल टाइगर और मैंग्रोव वनों के लिए प्रसिद्ध है. ये क्षेत्र जैव विविधता के संरक्षण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं.

आधुनिक विज्ञान और तकनीक जैसे DNA बारकोडिंग, GPS ट्रैकिंग, सेटेलाइट इमेजिंग और AI आधारित डेटा विश्लेषण जैव विविधता की निगरानी और अध्ययन में बहुत मदद करते हैं. इनके ज़रिए हम विलुप्त होती प्रजातियों की पहचान कर सकते हैं, उनके निवास की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं और वैज्ञानिक आधार पर संरक्षण की रणनीतियाँ बना सकते हैं.

व्यक्तिगत रूप से हम छोटे-छोटे कदमों के ज़रिए बड़ा बदलाव ला सकते हैं. जैसे– प्लास्टिक का कम उपयोग करना, वृक्षारोपण करना, जैविक उत्पादों का उपयोग करना, जल और ऊर्जा की बचत करना, और स्थानीय वन्यजीवों की रक्षा करना. इसके अलावा, बच्चों को प्रकृति के प्रति जागरूक बनाना और पर्यावरणीय गतिविधियों में भाग लेना भी एक सार्थक योगदान है.

About the Author: Nishant Singh
निशांत कुमार सिंह एक पैसनेट कंटेंट राइटर और डिजिटल मार्केटर हैं, जिन्हें पत्रकारिता और जनसंचार का गहरा अनुभव है। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के लिए आकर्षक आर्टिकल लिखने और कंटेंट को ऑप्टिमाइज़ करने में माहिर, निशांत हर लेख में क्रिएटिविटीऔर स्ट्रेटेजी लाते हैं। उनकी विशेषज्ञता SEO-फ्रेंडली और प्रभावशाली कंटेंट बनाने में है, जो दर्शकों से जुड़ता है।
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