Mother’s Day 2025: कब और क्यों मनाया जाता है मातृ दिवस? जानें इतिहास, महत्व और रोचक परंपराएं!

Mother’s Day 2025: कब और क्यों मनाया जाता है मातृ दिवस? जानें इतिहास, महत्व और रोचक परंपराएं!

Authored By: Nishant Singh

Published On: Saturday, May 10, 2025

Last Updated On: Saturday, May 10, 2025

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मातृ दिवस (Mother's Day) हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को माताओं के सम्मान और प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. इस साल (2025) मदर्स डे 11 मई को मनाया जाएगा. यह दिन माताओं के प्रति कृतज्ञता जताने के साथ-साथ इससे जुड़ी परंपराओं, इतिहास और महत्व को समझने का भी अवसर है. आइए जानें, मदर्स डे 2025 कब है, क्यों मनाया जाता है और इसका सामाजिक व सांस्कृतिक महत्व क्या है.

Authored By: Nishant Singh

Last Updated On: Saturday, May 10, 2025

जब कोई बच्चा पहली बार “माँ” कहता है, तो वह सिर्फ़ एक शब्द नहीं होता—वह एक पूरी भावना होती है. माँ वो हस्ती है, जो बिना किसी अपेक्षा के हमें जीना सिखाती है, हमारी हर छोटी तकलीफ़ को अपनी मुस्कान से ढँक देती है. उसकी गोद हमारे लिए सबसे सुरक्षित जगह होती है और उसका आशीर्वाद किसी कवच से कम नहीं. मदर्स डे, एक ऐसा विशेष दिन है जब हम उस अनकहे प्यार, त्याग और देखभाल के लिए माँ को धन्यवाद देते हैं, जो वह हर दिन हमें देती है—बिना थके, बिना रुके.

हर साल मई के दूसरे रविवार को मनाया जाने वाला यह दिन हमें यह अवसर देता है कि हम उस ममता की देवी को नमन करें, जो हमारे जीवन की नींव होती है. चाहे वो हमें नींद में थपकी देकर सुलाए या हमारी पहली हार पर चुपचाप आँसू पोंछे—माँ हर रूप में महान है. मदर्स डे हमें याद दिलाता है कि माँ के लिए सिर्फ़ एक दिन नहीं, बल्कि हर दिन विशेष होना चाहिए. आइए, इस दिन माँ को वह सम्मान दें जिसकी वह हक़दार है—दिल से, बिना कहे.

मातृ दिवस: सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक

मातृ दिवस हर साल मई माह के दूसरे रविवार को मनाया जाता है, इस वर्ष यह 11 मई 2025 को पड़ रहा है. यह दिन दुनिया भर में माताओं का सम्मान करने और उनकी अनगिनत बलिदानों को सराहने का अवसर है. एक दिन में माँ की पूरी भूमिका को नहीं समेटा जा सकता, लेकिन मदर्स डे हमें इस दिन को विशेष रूप से माँ के लिए समर्पित करने की याद दिलाता है. चाहे वह अपने बच्चों के लिए निस्वार्थ प्यार और देखभाल करे, या अपने परिवार के सपनों को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करती हो, माँ का योगदान अनमोल होता है.

मदर्स डे की शुरुआत अमेरिका में 1908 में हुई थी, जब अन्ना जार्विस ने इसे मनाने की पहल की थी. यह दिन शुरू में अपनी माँ को सम्मान देने के रूप में था, लेकिन बाद में यह दुनिया भर में एक सामान्य परंपरा बन गया. आज के दिन, लोग अपनी माँ को उपहार, फूल, और खास समय देकर उनका आभार व्यक्त करते हैं. यह दिन सिर्फ माँ के लिए नहीं, बल्कि हमारे समाज के लिए भी एक संदेश है कि माँ की ममता और संघर्ष को हमेशा सम्मानित किया जाए, क्योंकि वह हमारे जीवन का आधार होती है.

मातृ दिवस का इतिहास (History of Mother’s Day)

मातृ दिवस का इतिहास एक दिलचस्प और प्रेरणादायक कहानी है, जो हमें यह बताती है कि एक विचार से कैसे यह दिन एक वैश्विक परंपरा बन गया. इसकी शुरुआत 1908 में अमेरिका में अन्ना जार्विस (Anna Jarvis) ने की थी. अन्ना जार्विस ने अपनी माँ के सम्मान में यह दिन मनाने का प्रस्ताव रखा था, जब उनकी माँ की मृत्यु हो गई. उनकी माँ, जो एक समाज सेविका थीं, हमेशा माताओं के कल्याण के लिए काम करती थीं. अन्ना का मानना था कि समाज में माताओं को वह सम्मान और आदर नहीं मिल पाता था, जो उन्हें मिलना चाहिए. अन्ना ने संघर्ष किया और आखिरकार 1914 में अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने इस दिन को आधिकारिक रूप से मातृ दिवस के रूप में घोषित किया.

यह दिन केवल अमेरिका में ही नहीं, बल्कि पूरे दुनिया में फैल गया. हर देश में इसे मनाने का तरीका थोड़ा अलग हो सकता है, लेकिन मूल उद्देश्य एक ही है – माताओं के योगदान को सराहना और उनका सम्मान करना. आज के समय में मातृ दिवस सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि माँ के प्रति आभार और प्यार का प्रतीक बन चुका है.

मातृ दिवस के इतिहास से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बिंदु :

  • 1908 में अपनी माँ के सम्मान में अन्ना जार्विस ने मातृ दिवस की शुरुआत की.
  • अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने 1914 में इसे राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मान्यता दी.
  • अमेरिका से शुरुआत होने के बाद यह दिन धीरे-धीरे यूरोप, एशिया और अन्य हिस्सों में भी मनाया जाने लगा.
  • यह दिन माँ के त्याग, ममता और योगदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है.
  • समय के साथ, मातृ दिवस का व्यावसायिकरण हुआ, और यह एक बड़ा आर्थिक इवेंट बन गया, जिसमें लोग उपहार, कार्ड और फूलों का आदान-प्रदान करते हैं.

इस दिन का असली उद्देश्य आज भी वही है – माँ के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करना.

भारत में मातृ दिवस का महत्व (Significance of Mother’s Day in India)

भारत में माँ को एक ऐसी शक्ति के रूप में माना जाता है, जो न केवल बच्चों को जन्म देती है, बल्कि समाज और परिवार की नींव भी बनाती है. भारतीय संस्कृति में माँ का स्थान ईश्वर से भी ऊँचा माना जाता है, और यही कारण है कि “माँ” शब्द में अपार सम्मान और श्रद्धा समाहित है. वह न केवल अपने बच्चों की देखभाल करती हैं, बल्कि उन्हें जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन भी देती हैं.

मातृ दिवस भारत में अब केवल एक पश्चिमी परंपरा नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक पर्व बन चुका है. आज के समय में, जब भारतीय महिलाएँ घर के साथ-साथ बाहर भी अपने कामों में उत्कृष्टता दिखा रही हैं, तब यह दिन उनके बलिदान और योगदान को मान्यता देने का एक सुनहरा अवसर बन गया है. माँ के बिना परिवार का कोई अस्तित्व नहीं होता, और मातृ दिवस हमें यह एहसास दिलाता है कि माँ का प्रेम अनमोल होता है.

मातृ दिवस का महत्व भारत में:

  • माँ के संघर्ष और बलिदान को सम्मानित करना.
  • भारतीय समाज में माँ को विशेष स्थान देना.
  • आधुनिक और पारंपरिक भूमिकाओं का मिश्रण, जो माँ को हर रूप में महत्त्वपूर्ण बनाता है.
  • बच्चों को यह सिखाना कि माँ का प्यार केवल एक दिन नहीं, हर दिन सम्मानित किया जाना चाहिए.

मातृ दिवस अब हर भारतीय के लिए एक विशेष दिन बन चुका है, जब हम अपनी माँ को वह प्यार और सम्मान देते हैं, जिसके वह हकदार हैं.

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माताओं की भूमिका और बलिदान (Role and Sacrifices of Mothers)

माँ वह अद्वितीय व्यक्तित्व है, जो अपनी पूरी जिंदगी अपने बच्चों और परिवार के लिए निस्वार्थ भाव से समर्पित कर देती है. चाहे घर का काम हो या बाहर की जिम्मेदारियाँ, वह हर भूमिका को इतनी सहजता से निभाती है कि हमें कभी एहसास ही नहीं होता. माँ का प्यार और त्याग अनमोल होता है, और वह हमेशा अपने बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए अपने सुख-चैन को ताक पर रख देती है.

 माँ की अनमोल ममता

माँ की ममता कभी न खत्म होने वाला एक सागर है. जन्म से लेकर बड़े होने तक, एक माँ अपने बच्चे की हर जरूरत को समझती है और उसे पूरा करने के लिए हर संभव कोशिश करती है.

माँ के कुछ भावनात्मक बलिदान:

  • सपनों का त्याग: अक्सर, माँ अपने व्यक्तिगत सपनों और इच्छाओं को बच्चे के अच्छे भविष्य के लिए छोड़ देती है.
  • स्वास्थ्य का ध्यान न रखना: बच्चों की देखभाल करते-करते, माँ अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देती है.
  • सोने का समय कम करना: रातों को जागकर बच्चों की देखभाल करना, चाहे वो बीमार हों या पढ़ाई में परेशान हों.

घर और कामकाजी जीवन का सामंजस्य

आधुनिक युग में, माँ को घर और बाहर दोनों ही जगह काम करना होता है. वह न केवल घर का संचालन करती है, बल्कि करियर के साथ-साथ परिवार को भी संभालती है.

माँ के बलिदान का यथार्थ:

भूमिका बलिदान
घर की देखभाल अपने व्यक्तिगत समय का त्याग करती है.
पारिवारिक सपोर्ट बच्चों की मानसिक और भावनात्मक देखभाल करती है.
कामकाजी जीवन अपनी नौकरी के लिए समय निकालते हुए परिवार को प्राथमिकता देती है.

माँ की प्रेरणा और संघर्ष

माँ न केवल बच्चों की शारीरिक देखभाल करती है, बल्कि उन्हें मानसिक रूप से भी मजबूत बनाती है. वह अपने बच्चों को जीवन के कठिन संघर्षों से जूझने के लिए प्रेरित करती है, और अपने संघर्षों को कभी सामने नहीं आने देती.

माँ की अनकही कहानी

अक्सर, माँ अपने बलिदानों को गुप्त रखती है. वह यह नहीं चाहती कि उसका बच्चा उसकी वजह से दुखी हो, और इसलिए अपनी सारी मुश्किलों को चुपके से सहती है.

माँ के संघर्षों के कुछ उदाहरण:

  • रात-रात भर जागना: जब बच्चा बीमार होता है या पढ़ाई में परेशान होता है, तो माँ उसे चुपचाप देखती रहती है, ताकि वह आराम से सो सके.
  • भावनात्मक बलिदान: अपने बच्चों की खुशी और विकास के लिए माँ खुद को कभी-कभी भावनात्मक रूप से अकेला महसूस करती है.

मातृ दिवस कैसे मनाएं? (How to Celebrate Mother’s Day?)

मातृ दिवस, एक ऐसा दिन है जब हम अपनी माँ के प्रति अपने प्यार और आभार को विशेष तरीके से व्यक्त करते हैं. इस दिन को मनाने के कई तरीके हो सकते हैं, जो हमारी भावनाओं और हमारे रिश्ते की गहराई को दर्शाते हैं.

उपहार और सरप्राइज
लोग इस दिन को खास बनाने के लिए अपनी माँ को उपहार देते हैं. यह उपहार कुछ भी हो सकता है – एक सुंदर गुलाब का फूल, एक व्यक्तिगत हैंडमेड गिफ्ट, या उनकी पसंदीदा चीज़ों से भरा एक सरप्राइज पैक. उपहार देने से माँ को यह एहसास होता है कि उनकी अहमियत कितनी है और हम उनके त्याग और प्रेम की सराहना करते हैं.

भावनात्मक शब्दों से सम्मान
इस दिन, बच्चों द्वारा अपनी माँ के लिए लिखी गई भावनात्मक कविताएँ, पत्र या संदेश भी बहुत मायने रखते हैं. यह छोटे-छोटे शब्द माँ के दिल को छू जाते हैं और उन्हें महसूस कराते हैं कि उनका प्यार न केवल हम पर बल्कि हमारे शब्दों में भी है.

परिवारिक समय बिताना
माँ के साथ कुछ गुणवत्ता समय बिताना भी सबसे बेहतरीन तरीका है मातृ दिवस मनाने का. साथ में उनका पसंदीदा भोजन तैयार करना, उन्हें आउटिंग पर ले जाना, या बस घर में ही एक शांत समय बिताना, यह सभी क्रियाएँ उन्हें प्यार और सम्मान का अहसास कराती हैं.

विशेष आयोजन या डिनर
मातृ दिवस पर परिवार का एक साथ आकर माँ के लिए एक विशेष आयोजन या डिनर करना भी अच्छा विचार हो सकता है. यह दिन माँ के लिए पूरी तरह से खास बना देता है. इन तरीकों से हम अपनी माँ को यह महसूस करा सकते हैं कि वह हमारे जीवन में कितनी महत्वपूर्ण हैं और उनका प्यार हमारे लिए कितना अनमोल है.

माताओं पर आधारित साहित्य और फिल्में (Literature and Films Based on Mothers)

माँ के त्याग, प्रेम, और संघर्ष को कई साहित्यिक रचनाओं और फिल्मों में बखूबी चित्रित किया गया है. ये रचनाएँ और फिल्में माँ की अनमोल भूमिका को समाज के सामने लाती हैं, और हमें यह समझने का मौका देती हैं कि माँ के बिना जीवन अधूरा होता है.

प्रसिद्ध साहित्यिक रचनाएँ

माँ पर आधारित साहित्य न केवल भावनाओं को उजागर करता है, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक दृष्टिकोण से भी माँ की भूमिका को महत्वपूर्ण बनाता है.

महादेवी वर्मा की कविताएँ

महादेवी वर्मा ने अपनी कविताओं में माँ के प्रेम और त्याग का गहराई से चित्रण किया है. उनकी कविताएँ उन भावनाओं को व्यक्त करती हैं, जिन्हें शब्दों में पिरोना मुश्किल है. जैसे कि उनकी कविता “माँ” में माँ के प्रति समर्पण और उसके बिना जीवन के खालीपन का एहसास होता है.

रवींद्रनाथ ठाकुर (रवींद्रनाथ ठाकुर) की रचनाएँ

रवींद्रनाथ ठाकुर, जिन्हें हम रवींद्रनाथ ठाकुर के नाम से भी जानते हैं, ने अपनी रचनाओं में माँ के प्रेम, त्याग और जीवन की कठिनाइयों को बड़ी सुंदरता से चित्रित किया.

प्रसिद्ध फिल्में

माँ के किरदार को फिल्मों में भी बहुत प्रभावशाली तरीके से दर्शाया गया है. बॉलीवुड में माँ की भूमिका पर आधारित कई फिल्में हैं, जो दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ती हैं.

फिल्म “माँ” (1992)

फिल्म “माँ” में न सिर्फ एक माँ का त्याग दिखाया गया है, बल्कि एक माँ अपने बच्चों के लिए कैसे अपनी जिंदगी की सारी खुशियाँ कुर्बान कर देती है, यह भी दर्शाया गया है. इस फिल्म में श्रीदेवी ने माँ का किरदार निभाया था, और यह फिल्म दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ गई.

फिल्म “तुमी मुझसे बहुत प्यार करते हो”

इस फिल्म में, एक माँ अपने बेटे के लिए कई कठिनाइयों से गुजरती है और अपनी स्थिति को मजबूत रखने के लिए हर संभव कोशिश करती है.

 साहित्य और फिल्मों में माँ के संघर्ष का चित्रण

साहित्य और फिल्मों में माँ के संघर्ष को बहुत प्रभावी तरीके से चित्रित किया गया है, जो माँ के महान बलिदान और निस्वार्थ प्रेम को सामने लाता है.

साहित्य में संघर्ष:

  • महादेवी वर्मा की कविता “माँ” में माता के संघर्ष और प्यार को बहुत सुंदर तरीके से व्यक्त किया गया है.
  • रवींद्रनाथ ठाकुर ने भी अपने साहित्य में माँ की भावनात्मक यात्रा को बहुत गहरे से दर्शाया है.

फिल्मों में संघर्ष:

फिल्म का नाम माँ का संघर्ष
माँ (1992) फिल्म में माँ अपने बेटे के लिए अपनी जान की बाजी लगा देती है और उसे हर मुश्किल से बाहर निकालती है.
दीवार (1975) फिल्म में माँ अपने बच्चों को पालने के लिए संघर्ष करती है और जीवन की कठिनाईयों से जूझती है.
कुर्बान (2009) माँ का त्याग और बलिदान दिखाने वाली यह फिल्म दर्शाती है कि कैसे माँ अपने बच्चों के लिए हर कुछ सहन करती है.

माँ पर आधारित साहित्य और फिल्में हमें यह समझाने में मदद करती हैं कि माँ केवल एक शब्द नहीं, बल्कि एक एहसास है—एक ऐसी शक्ति है जो हमारे जीवन के हर पहलू में मौजूद होती है. ये रचनाएँ और फिल्में हमें माँ के महत्व और उसके अनगिनत संघर्षों का सम्मान करने के लिए प्रेरित करती हैं.

विभिन्न देशों में मातृ दिवस की परंपराएँ (Mother’s Day Traditions Around the World)

मातृ दिवस एक ऐसा वैश्विक पर्व है, जिसे दुनिया भर में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. हर देश की अपनी अनूठी परंपरा है, जो माँ के प्रति सम्मान और प्रेम को दर्शाती है. आइए जानते हैं, दुनिया के कुछ प्रमुख देशों में मातृ दिवस कैसे मनाया जाता है:

यू.एस. (United States)

अमेरिका में मातृ दिवस मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है. इस दिन बच्चे अपनी माँ को उपहार, फूल, और कार्ड देते हैं. साथ ही, परिवार के सदस्य एक साथ वक्त बिताने के लिए विशेष डिनर या लंच का आयोजन करते हैं. यहां इस दिन को एक आधिकारिक छुट्टी के रूप में मनाया जाता है.

यू.के. (United Kingdom)

यू.के. में “Mothering Sunday” के रूप में यह दिन मनाया जाता है, जो ईस्टर के चौथे रविवार के आसपास पड़ता है. इस दिन, बच्चे अपनी माँ को खास उपहार और फूल भेजते हैं और पारंपरिक रूप से परिवार एक साथ आकर रविवार का भोजन करते हैं.

जापान (Japan)

जापान में मातृ दिवस को “Haha no Hi” कहते हैं और यह मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है. यहाँ पर बच्चे अपनी माँ को कढ़ाई की हुई गुलाब की फूलों की पेंटिंग और लाल रंग के कपड़े गिफ्ट करते हैं. गुलाब जापान में प्यार और सम्मान का प्रतीक है.

मैक्सिको (Mexico)

मैक्सिको में मातृ दिवस को “Día de las Madres” कहा जाता है और यह 10 मई को मनाया जाता है. यहां के लोग अपनी माँ को विशेष भोजन, उपहार, और फूलों से सम्मानित करते हैं. यह दिन विशेष रूप से पारंपरिक गीतों और संगीत के साथ मनाया जाता है.

हर देश की अपनी मातृ दिवस की परंपरा है, लेकिन इन सभी में एक समान बात है – यह दिन माँ के प्रति कृतज्ञता और सम्मान का प्रतीक है. चाहे वह उपहार हो, विशेष भोजन हो या पारिवारिक मिलन, हर देश में मातृ दिवस माँ के प्रेम और बलिदान को सम्मानित करने का एक खास तरीका है.

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स्कूल और बच्चों में मातृ दिवस का प्रभाव (Mother’s Day Activities in Schools and Among Children)

  • कविता और भाषण

बच्चों को मातृ दिवस पर कविताएँ और भाषण लिखने के लिए प्रेरित किया जाता है.

ये गतिविधियाँ बच्चों को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का मौका देती हैं और माँ के महत्व को समझने में मदद करती हैं.

  • ड्राइंग और कला

बच्चे अपनी माँ के लिए चित्र, कार्ड और ड्रॉइंग बनाते हैं.

यह बच्चों की रचनात्मकता को बढ़ावा देता है और वे अपनी भावनाओं को कला के माध्यम से व्यक्त करते हैं.

  • कार्यक्रम और प्रस्तुतियाँ

स्कूलों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें बच्चे नृत्य, गीत, या छोटे नाटक प्रस्तुत करते हैं.

ये प्रस्तुतियाँ बच्चों के प्यार और सम्मान को प्रदर्शन करने का एक अच्छा तरीका होती हैं.

  • हस्तशिल्प और उपहार

बच्चों को माँ के लिए हैंडमेड गिफ्ट्स बनाने के लिए कहा जाता है, जैसे कि पेंटिंग या सजे हुए कार्ड्स.

इससे बच्चों में शिल्पकला का अभ्यास होता है और माँ के प्रति उनकी भावनाएँ और भी गहरी होती हैं.

  • समूह गतिविधियाँ और खेल

बच्चों के बीच समूह गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं, जिसमें वे अपनी माँ के बारे में बातें साझा करते हैं और सामूहिक रूप से कोई खेल खेलते हैं.

यह बच्चों में सहयोग और एकता की भावना को बढ़ाता है.

 मातृ दिवस की गतिविधियाँ स्कूलों में बच्चों को माँ के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करने का अवसर देती हैं, साथ ही उनकी रचनात्मकता और संवेदनशीलता को भी बढ़ाती हैं.

हर दिन हो मातृ दिवस (Conclusion: Every Day Should Be Mother’s Day)

मातृ दिवस सिर्फ एक दिन का पर्व नहीं होना चाहिए, बल्कि हमें अपनी माँ का सम्मान और आभार हर दिन, हर पल महसूस करना चाहिए. माँ वह शख्स होती है, जो हमें जन्म देती है, जीवन की कठिनाइयों से जूझने की शक्ति देती है और हमेशा हमारे साथ खड़ी रहती है. उसकी ममता, त्याग और प्रेम को शब्दों में बयां करना मुश्किल है. यह दिन हमें केवल एक बार याद दिलाता है कि हम अपनी माँ को कितना प्यार और सम्मान देते हैं, लेकिन यह संदेश हर दिन हमारे दिलों में रहना चाहिए.

माँ का बलिदान और प्रेम निरंतर होते हैं, इसलिए हर दिन हमें अपनी माँ का आभार व्यक्त करना चाहिए. यह जरूरी नहीं कि यह उपहारों या कार्यक्रमों के रूप में हो, बल्कि एक सच्ची मुस्कान, एक छोटी सी मदद, या एक “धन्यवाद” के शब्दों से भी हम अपनी माँ को एहसास दिला सकते हैं कि वह हमारे लिए कितनी महत्वपूर्ण हैं.

FAQ

मातृ दिवस एक खास दिन है जब हम अपनी माँ के प्रति आभार, प्रेम और सम्मान व्यक्त करते हैं. यह दिन माँ के त्याग, प्रेम, और बलिदान को सराहने का अवसर होता है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि माँ के बिना जीवन अधूरा है, और हमें उनकी अहमियत समझनी चाहिए. मातृ दिवस की शुरुआत 1908 में अमेरिका से हुई थी.

मातृ दिवस हर साल मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है. यह दिन विश्वभर में एक सामान्य परंपरा बन चुका है, हालांकि कुछ देशों में इसे अलग-अलग तारीखों पर मनाया जाता है. भारत में भी यह दिन विशेष रूप से माँ के योगदान और प्रेम को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है.

भारत में मातृ दिवस का महत्व बहुत गहरा है, क्योंकि यहाँ की पारंपरिक संस्कृति में माँ को देवी का रूप माना जाता है. भारतीय समाज में माँ के प्रति आदर और सम्मान को खास माना जाता है. मातृ दिवस इस दिन माँ के प्रति अपनी कृतज्ञता और प्रेम व्यक्त करने का एक खास तरीका है, जो परिवार और समाज के संबंधों को और मजबूत बनाता है.

मातृ दिवस को मनाने के कई तरीके हैं. लोग अपनी माँ को फूल, उपहार या कार्ड देते हैं, उन्हें अपने प्यार और सम्मान का एहसास कराते हैं. इसके अलावा, बच्चे स्कूलों में मातृ दिवस पर कविताएँ, भाषण या नृत्य प्रस्तुत करते हैं. परिवार एक साथ मिलकर खास भोजन या डिनर का आयोजन भी करते हैं, जिससे यह दिन और भी खास बन जाता है.

मातृ दिवस सिर्फ एक दिन का पर्व नहीं होना चाहिए. माँ का सम्मान और प्रेम हर दिन महसूस किया जाना चाहिए. माँ की ममता, त्याग और बलिदान को हर रोज़ सराहना चाहिए. मातृ दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हम अपनी माँ के प्रति कृतज्ञता और प्रेम को कभी न भूलें, और उसे हर दिन महसूस कराएं.

माँ के प्रेम और बलिदान पर आधारित कई प्रसिद्ध फिल्में हैं जैसे “माँ” (1992), जिसमें श्रीदेवी ने माँ के किरदार को निभाया था. इसके अलावा, “दीवार” (1975), “तुमी मुझसे बहुत प्यार करते हो” जैसी फिल्में भी हैं, जिनमें माँ के संघर्ष और त्याग को बड़ी सुंदरता से दर्शाया गया है. ये फिल्में दर्शकों को माँ के महत्व का एहसास कराती हैं.

हां, स्कूलों में भी मातृ दिवस बड़े उत्साह से मनाया जाता है. इस दिन बच्चों को कविता, भाषण, ड्रॉइंग और कला आधारित गतिविधियाँ करने के लिए प्रेरित किया जाता है. बच्चे अपनी माँ के लिए कार्ड्स, ड्रॉइंग या उपहार बनाते हैं, और कुछ स्कूलों में नृत्य, गीत या नाटक भी प्रस्तुत किए जाते हैं. यह बच्चों को माँ के प्रेम और त्याग को समझने का एक अवसर देता है.

About the Author: Nishant Singh
निशांत कुमार सिंह एक पैसनेट कंटेंट राइटर और डिजिटल मार्केटर हैं, जिन्हें पत्रकारिता और जनसंचार का गहरा अनुभव है। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के लिए आकर्षक आर्टिकल लिखने और कंटेंट को ऑप्टिमाइज़ करने में माहिर, निशांत हर लेख में क्रिएटिविटीऔर स्ट्रेटेजी लाते हैं। उनकी विशेषज्ञता SEO-फ्रेंडली और प्रभावशाली कंटेंट बनाने में है, जो दर्शकों से जुड़ता है।
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