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True Devotion of God : कैसे करें ईश्वर की सच्ची भक्ति, इन 5 उपायों की ली जा सकती है मदद
True Devotion of God : कैसे करें ईश्वर की सच्ची भक्ति, इन 5 उपायों की ली जा सकती है मदद
Authored By: स्मिता
Published On: Thursday, September 12, 2024
Updated On: Thursday, September 12, 2024
मूल रूप से ईश्वर के प्रति पूर्ण विश्वास, भरोसा और बिना किसी प्रकार के संदेह के उन्हें प्रेम करना ईश्वर भक्ति है। हम ईश्वर में विश्वास करते हैं और ईश्वर की तलाश करते हैं, लेकिन ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति इन सभी से एक कदम आगे है। ध्यान की मदद से सच्ची ईश्वर भक्ति करना संभव है।
Authored By: स्मिता
Updated On: Thursday, September 12, 2024
मूल रूप से ईश्वर के प्रति पूर्ण विश्वास, भरोसा और बिना किसी प्रकार के संदेह के उन्हें प्रेम करना ईश्वर भक्ति है। यह ईश्वर के प्रति प्रतिबद्धता के साथ जीना है। जब हम शास्त्रों का पालन करते हुए जीना शुरू करते हैं, तो हम ईश्वर से भी प्रेम करना शुरू करते हैं। हम ईश्वर में विश्वास करते हैं और ईश्वर की तलाश करते हैं लेकिन ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति इन सभी से एक कदम आगे है। सच्ची भक्ति कुछ उपाय अपनाकर विकसित की जा सकती है।
सच्ची ईश्वर भक्ति करने में इन 5 उपायों की ली जा सकती है मदद
1. जप करके गहरे ध्यान में जायें (Chanting)
आध्यात्मिक धर्मगुरु, दार्शनिक और इस्कॉन मंदिर के संस्थापक ए. सी भक्तिवेदांता स्वामी प्रभुपाद के दिए गए प्रवचन के अनुसार, ईश्वर के प्रति भक्ति विकसित करने के लिए जितना संभव हो उतना जप करें। यह जप समूह के साथ हो सकता है। अकेले और चुपचाप या जोर से भी हो सकता है। जप संगीत के साथ प्रार्थना की तरह है। यह मस्तिष्क को शांत करता है और इसका प्रभाव सीधे दिल पर पड़ सकता है। भले ही आपको लगे कि आपके पास कोई संगीत क्षमता नहीं है, फिर भी जप करें। कीर्तन में जाएं। हारमोनियम, गिटार, सितार, वीणा जैसे किसी वाद्य यंत्र को बजाना सीखें। मंत्र बजाएं और गायें। यह खुद को या दूसरों को गहरे ध्यान में ले जाने का सबसे बढ़िया तरीका है।
2. ईश्वर की उपस्थिति का अभ्यास करें (God Presence)
चलते हुए ध्यान करें। धीरे-धीरे और अपने चलने पर ध्यान देते हुए चलें। अपने विचारों को चलने पर केंद्रित करें। अपने आस-पास की हर चीज़ में भगवान को महसूस करें। महसूस करें कि ईश्वर आपके आस-पास मौजूद हैं। वे आपकी तरह सांस ले रहे हैं और सोच रहे हैं। वे कण-कण में मौजूद हैं। यदि आप प्रकृति के बीच घूमते हैं, तो आपको ईश्वर के होने का एहसास गहरा होगा। धीरे-धीरे इस भावना को हर दिन की हर गतिविधि में बढ़ा दें।
3. दूसरों के भीतर के ईश्वर से प्रेम करें (God Devotion)
संत परमहंस योगानंद ने कहा था-किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व की विचित्रताओं और विकारों को भूल जाएं। उन्हें माफ़ कर दें। उनकी आत्मा को महसूस करें, जो हर तरह से हमेशा परिपूर्ण और शुद्ध है। उनके कार्यों या उनके व्यवहार से प्यार करने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन आप उनमें मौजूद ईश्वर से प्यार कर सकते हैं। यह सभी के लिए दिव्य और बिना शर्त ईश्वर प्रेम का प्रारंभिक चरण है। लोगों के लिए हर समय प्रार्थना करें। प्रार्थना करना सीखें। प्रार्थना उपचार के समान है। इन्हें नियमित रूप से करें। अगर आपको लगता है कि आप किसी से प्यार नहीं कर सकते या उसे माफ़ नहीं कर सकते, तो ईश्वर से आपके लिए ऐसा करने के लिए कहें।
4. प्रेम और भक्ति के साथ ध्यान (Meditation)
संत परमहंस योगानंद के अनुसार, खुश रहना व्यक्ति का अपना चुनाव है। जितना संभव हो सके बिना शर्त और निःस्वार्थ तरीके से प्रेम करना चुनें। प्रेम और भक्ति के साथ ध्यान करें। निरंतर लंबे समय तक प्रेम और भक्ति के साथ ध्यान करने के बाद अनंत आनंद मिलेगा। इसी से ईश्वर की सच्ची भक्ति हो पाएगी ।
5. दूसरों की सेवा (Serving others)
अपने कर्म के साथ-साथ दूसरों की सेवा ईश्वर की सच्ची भक्ति का मार्ग बनाती है। सेवा आत्मा को शुद्ध और उसका उत्थान करती है। दूसरों की निःस्वार्थ सेवा करने से अहंकार खत्म हो सकता है। यह प्रेम और भक्ति विकसित करने का एक शानदार तरीका है।