चैत्र नवरात्रि 2025: जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, माता रानी का आगमन वाहन, पौराणिक महत्व, इतिहास, परंपराएँ, इससे जुड़े तथ्य और रोचक बातें!

चैत्र नवरात्रि 2025: जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, माता रानी का आगमन वाहन, पौराणिक महत्व, इतिहास, परंपराएँ, इससे जुड़े तथ्य और रोचक बातें!

Authored By: Nishant Singh

Published On: Thursday, March 20, 2025

Last Updated On: Thursday, March 20, 2025

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चैत्र नवरात्रि 2025 (Chaitra Navratri) हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे हर वर्ष मां दुर्गा की आराधना और व्रत के रूप में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस आर्टिकल में हम आपको नवरात्रि की पूजा विधि, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और अन्य आवश्यक जानकारियां बताएंगे, ताकि आप इस पावन पर्व को पूरे उत्साह और धार्मिक विधि-विधान के साथ मना सकें.

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चैत्र नवरात्रि 2025 कब है? जानें तिथि और शुभ मुहूर्त

इस वर्ष Chaitra Navratri 2025 की शुरुआत रविवार 30 मार्च 2025, से होगी और यह पर्व 6 अप्रैल 2025, रविवार तक चलेगा. खास बात यह है कि इस बार अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन आ रही है, जिस कारण चैत्र नवरात्रि केवल 8 दिनों की रहेगी. 

चैत्र नवरात्रि 2025 की शुरुआत: 30 मार्च 2025 (रविवार)
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 29 मार्च 2025 को शाम 4:27 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त: 30 मार्च 2025 को दोपहर 12:49 बजे
राम नवमी: 6 अप्रैल 2025 (रविवार)

कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त

  • सुबह 6.12 से सुबह 10.20 तक. इस दौरान घट स्थापना करने से स्थिर सुख, समृद्धि और धन लाभ मिलने की मान्यता है.
  • सुबह 11:59 से दोपहर 12:49 तक, यह अभिजित मुहूर्त है. माना जाता है इस मुहूर्त में घट स्थापना करने से अच्छी सेहत, सौभाग्य और ऐश्वर्य बढ़ता है.

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चैत्र नवरात्रि का पर्व हर वर्ष श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है, लेकिन इस बार यह पर्व एक विशेष कारण से और भी खास हो गया है. इस बार मां दुर्गा हाथी की सवारी करते हुए पृथ्वी लोक पर आ रही हैं. हिन्दू धर्म में मां दुर्गा की सवारी का गहरा धार्मिक महत्व होता है. देवी का हाथी पर आगमन अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना जाता है.

भारतीय संस्कृति में हाथी को शांति, बुद्धिमत्ता, स्मृति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं, तो यह संकेत होता है कि देश और समाज में सुख, समृद्धि और शांति का वातावरण बनेगा. यह सकारात्मक ऊर्जा और अच्छे समय की ओर इशारा करता है. मां का यह स्वरूप भक्तों के जीवन में खुशहाली और सुख-शांति का संदेश लेकर आता है. यही कारण है कि इस वर्ष की चैत्र नवरात्रि को विशेष रूप से शुभ और फलदायी माना जा रहा है.

पूजा विधि: किन किन बातों का ध्यान रखना है जरूरी?

चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा विधि का विशेष महत्व होता है. इन नौ दिनों में भक्तजन पूरे नियम और श्रद्धा के साथ देवी की आराधना करते हैं. सही विधि से पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है. पूजा के दौरान शारीरिक और मानसिक शुद्धता का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है. 

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ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना, पूजा स्थल की सफाई करना और स्थान को गंगाजल से शुद्ध करना जरूरी होता है. मां को लाल चुनरी और लाल फूल अर्पित करना देवी की कृपा प्राप्त करने का सरल उपाय माना जाता है. पूजा के लिए चना और खीर का प्रसाद विशेष रूप से अर्पित किया जाता है. धूपबत्ती और घी का दीपक जलाकर वातावरण को पवित्र किया जाता है. पूजा के समय दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ अवश्य करें. अंत में मां दुर्गा से क्षमा प्रार्थना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना पूजा का महत्वपूर्ण भाग होता है.

नवरात्रि के पूजा विधि में कई तरह की बातें ध्यान में रखनी होती हैं. आइए जानते हैं, क्या है सही पूजा विधि:

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें.
  • पूजा स्थल की अच्छी तरह सफाई करें.
  • स्थान को शुद्ध करने के लिए गंगाजल का छिड़काव करें.
  • मां दुर्गा को लाल चुनरी और लाल फूल अर्पित करें.
  • पूजा में चना और खीर का प्रसाद जरूर चढ़ाएं.
  • देसी घी का दीपक और धूपबत्ती जलाएं.
  • पूजा के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करें.
  • दुर्गा चालीसा का पाठ अवश्य करें.
  • अखंड ज्योति जलाने का संकल्प लें (यदि संभव हो).
  • अंत में मां से क्षमा मांगकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें.
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क्या है चैत्र नवरात्रि का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व?

चैत्र नवरात्रि का पर्व विशेष रूप से मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की भक्ति और पूजा के लिए मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस पावन समय में श्रद्धापूर्वक व्रत और पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है. मां दुर्गा की आराधना न केवल मानसिक संतुलन और आंतरिक शांति प्रदान करती है, बल्कि यह शरीर और आत्मा को भी शुद्ध करती है.

ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा स्वयं पृथ्वी लोक पर आती हैं और अपने भक्तों के दुख दूर करती हैं. यही कारण है कि नवरात्रि के नौ दिनों तक मां के प्रत्येक स्वरूप की विधिपूर्वक पूजा की जाती है. नवरात्रि की शुरुआत के साथ ही भक्तजन अपने घरों में मां की चौकी सजाते हैं, कलश स्थापना करते हैं और लगातार हवन, कीर्तन और मंत्र जाप करते हैं. कई लोग इन नौ दिनों तक अखंड ज्योति जलाए रखते हैं. शास्त्रों में दीपक जलाने का विशेष महत्व बताया गया है, विशेषकर आटे से बने दीपक को शुभ और फलदायी माना गया है. मान्यता है कि आटे का दीपक जलाने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है.

दुर्गा स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मातृरुपेण संस्थितः, या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरुपेण संस्थितः.
या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरुपेण संस्थितः, नमस्तस्यैः नमस्तस्यैः नमस्तस्यैः नमो नमः

FAQ

चैत्र नवरात्रि 2025 की शुरुआत 30 मार्च (रविवार) से होगी और समापन 6 अप्रैल (रविवार) को होगा.

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:12 से 10:20 बजे तक और अभिजीत मुहूर्त 11:59 से 12:49 बजे तक है.

ब्रह्म मुहूर्त में स्नान, स्थान की शुद्धता, मां को लाल चुनरी व फूल चढ़ाना, दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करना, और अखंड ज्योति जलाने का संकल्प लेना जरूरी माना जाता है.

शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि में आटे का दीपक जलाने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है और मां दुर्गा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.

About the Author: Nishant Singh
निशांत कुमार सिंह एक पैसनेट कंटेंट राइटर और डिजिटल मार्केटर हैं, जिन्हें पत्रकारिता और जनसंचार का गहरा अनुभव है। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के लिए आकर्षक आर्टिकल लिखने और कंटेंट को ऑप्टिमाइज़ करने में माहिर, निशांत हर लेख में क्रिएटिविटीऔर स्ट्रेटेजी लाते हैं। उनकी विशेषज्ञता SEO-फ्रेंडली और प्रभावशाली कंटेंट बनाने में है, जो दर्शकों से जुड़ता है।
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