Basant Panchami 2025: 3 फरवरी को क्यों मनाई जा रही वसंत पंचमी?

Basant Panchami 2025: 3 फरवरी को क्यों मनाई जा रही वसंत पंचमी?

Authored By: स्मिता

Published On: Friday, January 31, 2025

Updated On: Friday, January 31, 2025

Why Basant Panchami is Celebrated on 3rd February 2025
Why Basant Panchami is Celebrated on 3rd February 2025

वसंत पंचमी (Basant Panchami 2025) के दिन ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा होती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वसंत पंचमी को देवी सरस्वती का प्रकाट्य हुआ था. इसलिए इसे सरस्वती जयंती भी कहते हैं. इस वर्ष 3 फरवरी को वसंत पंचमी मनाए जाने के कुछ कारण हैं.

Authored By: स्मिता

Updated On: Friday, January 31, 2025

Basant Panchami 2025: धीरे-धीरे ठंड कमजोर पड़ रही है. दिन बड़े हो रहे हैं और धूप भी तेज हो रही है। प्रकृति अपने सुंदरतम रूप में सज रही है। कहीं आकर्षक फूल खिल रहे हैं, तो कहीं पेड़ों पर नई कोंपलें फूट रही हैं. खेतों में पीली सरसों सबस अधिक खूबसूरत लग रही है। प्रकृति का यह रूप बसंत के आगमन का प्रतीक है। वसंत पंचमी (Basant Panchami) को श्री पंचमी के नाम से भी जानते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वसंत पंचमी को देवी सरस्वती का प्रकाट्य हुआ था, इसलिए इसे सरस्वती जयंती (Saraswati Jayanti) भी कहते हैं. वसंत पंचमी के दिन (Basant Panchami 2025) कामदेव और रति की भी पूजा होती है.

क्या है पौराणिक कथा (Basant Panchami Mythological Story)

शास्त्रीय और मध्यकालीन हिंदू धर्म में सरस्वती को मुख्य रूप से शिक्षा, कला और काव्य प्रेरणा की देवी और संस्कृत भाषा के आविष्कारक के रूप में मान्यता प्राप्त है. उन्हें सृष्टिकर्ता भगवान ब्रह्मा से जोड़ा जाता है. मत्स्य पुराण के अनुसार, ब्रह्मा ने सृष्टि के निर्माण के लिए अपने भीतर से सरस्वती को उत्पन्न किया. उन्हें शतरूपा, सावित्री, गायत्री और ब्रह्माणी जैसे अन्य नामों से भी पुकारा जाता है. गलती से ब्रह्मा जी ने उन्हें अपनी पुत्री समझ लिया. एक कथा यह भी है कि माता सरस्वती का जन्म देवताओं और असुरों के बीच हुए समुद्र मंथन से हुआ था. उनका जन्म समुद्र से हुआ और बाद में उनका विवाह ब्रह्मा से हुआ था। जिस दिन देवी सरस्वती का प्राकट्य हुआ वह दिन वसंत पंचमी था. इसलिए वसंत पंचमी को सरस्वती पूजा भी कहते हैं.

क्यों होती है वसंत पंचमी के दिन रति-कामदेव पूजा (Rati Kamdev Puja 2025)

प्रेम और इच्छा के देवता माने जाते हैं. कामदेव की पत्नी रति हैं. रति और कामदेव की पूजा जीवन में प्रेम और आकर्षण पैदा करने के लिए की जाती है। यह विशेष पूजा प्रेम जीवन में खुशी और सद्भाव लाने, मजबूत रिश्तों को बढ़ाने और मनचाहा साथी पाने के लिए की जाती है। जिस दिन कामदेव ने रति के सामने अपना प्रेम प्रकट किया वह दिन वसंत पंचमी (Basant Panchami) ही था, इसलिए इस दिन रति-कामदेव की भी पूजा (Rati Kamdev Puja) की जाती है.

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श्री पंचमी क्यों कहलाती है वसंत पंचमी (Sri Panchami 2025)

भारत के कई हिस्सों में इस दिन सरस्वती के साथ-साथ लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है. इस दिन दोनों देवी प्रसन्न करने के लिए घर और मंदिर में भी पूजा की जाती है. घर और मंदिर को सजाया जाता है. दक्षिण भारत में इसे श्री पंचमी (Sri Panchami 2025) के नाम से मनाया जाता है. ‘श्री’ लक्ष्मीजी का ही एक नाम है। श्री का अर्थ धन-संपत्ति होता है.

वसंत पंचमी 2025 की सही तिथि (Basant Panchami Date)

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनिल जैन बताते हैं, ‘सनातन धर्म में उदयातिथि को अधिक मान्यता दी जाती है. पंचांग के अनुसार, इस वर्ष माघ शुक्ल पंचमी तिथि 2 फरवरी को सुबह 11:53 बजे से शुरू हो जाएगी और 3 फरवरी को सुबह 9:39 बजे तक रहेगी. 3 फरवरी को सूर्योदय सुबह 06:40 बजे होगा. ऐसी स्थिति में उदयातिथि के आधार पर 3 फरवरी, सोमवार को वसंत पंचमी मनाई जा रही है. मनाना शास्त्रों के अनुसार है। वसंत पंचमी देवी सरस्वती को समर्पित त्योहार है जो ज्ञान, भाषा, संगीत और सभी कलाओं की देवी हैं। वह अपने सभी रूपों में रचनात्मक ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक हैं.

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स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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