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Bhai Dooj 2024 : भाई दूज बहन-भाई के बंधन को बनाता है प्रगाढ़, जानें अनुष्ठान का समय
Bhai Dooj 2024 : भाई दूज बहन-भाई के बंधन को बनाता है प्रगाढ़, जानें अनुष्ठान का समय
Authored By: स्मिता
Published On: Thursday, October 17, 2024
Updated On: Monday, January 20, 2025
भाई दूज दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव का समापन है, जो कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की अमावस्या के दूसरे दिन मनाया जाता है। इस वर्ष भाई दूज 2 और 3 नवंबर, 2024 को मनाया जाएगा। यह पर्व भाई-बहन के बीच विशेष बंधन का जश्न मनाने के लिए समर्पित है।
Authored By: स्मिता
Updated On: Monday, January 20, 2025
भाई दूज दिवाली उत्सव के दौरान मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो भाई-बहन के बीच पवित्र बंधन के महत्व को दर्शाने के लिए मनाया जाता है। बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं। वे उनकी समृद्धि और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं। “भाई” शब्द भाई को संदर्भित करता है और “दूज” का अर्थ दिवाली के बाद दूसरा दिन (Bhai Dooj 2024 ) होता है। भाई दूज के अनुष्ठान का सही समय ज्ञात होना जरूरी है।
कब है भाई दूज 2024 (Bhai Dooj 2024 Celebration) ?
भाई दूज दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव का समापन है, जो कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की अमावस्या के दूसरे दिन मनाया जाता है। इस वर्ष भाई दूज 2 और 3 नवंबर, 2024 को मनाया जाएगा। यह पर्व भाई-बहन के बीच विशेष बंधन का जश्न मनाने के लिए समर्पित है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की सलामती की प्रार्थना करती हैं और भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन देते हैं। यह पारिवारिक समारोहों, स्वादिष्ट व्यंजन और शुभकामनाओं को एक-दूसरे के साथ साझा करने का समय है। अनुष्ठानों का समय अलग-अलग होता है, लेकिन भाई को टीका लगाने का शुभ समय 2 नवंबर को रात 8:21 बजे से 3 नवंबर को दोपहर 3:38 बजे तक होगा।
भाई दूज उत्सव से जुड़ी है कौन-सी मान्यताएं (Bhai Dooj History)
भाई दूज के उत्सव से जुड़ी कई मान्यतायें हैं, जिनमें सबसे लोकप्रिय भगवान यम या यमराज जो मृत्यु के देवता हैं और उनकी बहन यमुना से संबंधित है। कथा है कि यम की बहन यमुना ने कई अवसरों पर अपने भाई से आग्रह किया कि वे उनके घर आएं, लेकिन यमराज ऐसा करने में असमर्थ थे। कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया के दिन उन्होंने आखिरकार बहन से मिलने की योजना बनाई। बहन के यहां उनका भव्य स्वागत किया गया। यमुना ने उनके माथे पर तिलक लगाया और मिठाई खिलाई। जाने से पहले यमराज ने यमुना से उनकी इच्छा पूछी। यमुना ने वरदान मांगा कि जो भी भाई इस दिन अपनी बहन से मिलने जाएगा और उसके यहां भोजन करेगा, उसका जीवन लंबा और समृद्ध होगा। तब से लेकर आज तक इस दिन को भाई दूज के रूप में मनाया जा रहा है।
उत्सव से जुडी है एक और पौराणिक कथा (Bhai Dooj Mythology)
दिवाली के बाद भाई दूज मनाने का एक और कारण यह है कि भगवान कृष्ण राक्षस नरकासुर का वध करने के बाद बहन सुभद्रा से मिलने गए थे। सुभद्रा ने उनके माथे पर तिलक लगाकर उनका स्वागत किया। एक मान्यता यह भी है कि उसी दिन से भाई दूज का त्योहार शुरू हो गया। भाई दूज रक्षा-बंधन के समान है, जो भाई-बहन के पवित्र बंधन का प्रतीक है।
बहनें टीका या तिलक लगाती हैं (Tilak or Teeka of Bhai Dooj)
भाई दूज भारत भर में किसी न किसी रूप में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह भाई-बहनों के बीच प्रेम, त्याग और सुरक्षा भाव के बंधन को दर्शाता है। इस दिन बहनें टीका या तिलक नाम का अनुष्ठान करके भाइयों की लंबी उम्र और खुशी के लिए प्रार्थना करती हैं। वे भाइयों के माथे पर लाल टीका लगाती हैं, मिठाई और उपहार देती हैं।
प्यार बांटने का त्योहार भाई दूज (Bhai Dooj Celebration)
बदले में भाई उपहार देकर अपनी बहनों की रक्षा करने का वादा करते हैं। वे बहनों के प्रति अपना प्यार और आभार व्यक्त करते हैं। भारत के विभिन्न राज्यों में उत्सव अलग-अलग तरीके से मनाए जाते हैं। कुछ क्षेत्रों में, परिवार उत्सव के भोजन के लिए एक स्थान पर जमा होते हैं, तो कुछ स्थान में इस अवसर पर विशेष कार्यक्रम या समारोह आयोजित किए जाते हैं। कुल मिलाकर भाई दूज परिवार के एक साथ आने, प्यार बांटने और रिश्तों को मजबूती देने का समय है।
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