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Hanuman Jayanti 2025: अतुलनीय बल के स्वामी श्री हनुमान हैं ज्ञानवान
Hanuman Jayanti 2025: अतुलनीय बल के स्वामी श्री हनुमान हैं ज्ञानवान
Authored By: स्मिता
Published On: Tuesday, April 8, 2025
Updated On: Tuesday, April 8, 2025
Hanuman Jayanti 2025: अतुलनीय बल के स्वामी श्री हनुमान चारों वेदों के ज्ञाता भी हैं. इसलिए उन्हें ज्ञान का सागर कहा जाता है इस वर्ष चैत्र माह में मनाई जाने वाली हनुमान जयंती शनिवार, 12 अप्रैल को है.
Authored By: स्मिता
Updated On: Tuesday, April 8, 2025
Hanuman Jayanti 2025: हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) साल में दो बार मनाई जाती है. चैत्र माह की पूर्णिमा और कार्तिक माह की कृष्ण चतुर्दशी तिथि को हनुमान जयंती मनाई जाती है. इस साल चैत्र माह की पूर्णिमा 12 अप्रैल को है। इसलिए शनिवार 12 अप्रैल को हनुमान जयंती मनाई जा रही है. हनुमान जी अपने कर्मों से संदेश देते हैं कि व्यक्ति के पास बल के साथ-साथ विवेक और ज्ञान भी होना चाहिए. ज्ञान से ही अच्छे और बुरे कर्म के बीच भेद करना आ सकता है. इसलिए स्वयं हनुमान जी (Hanuman Jayanti 2025) ने चारों वेदों का पाठ किया है.
रामजी के साथ हनुमानजी का पत्र व्यवहार!
हनुमानजी के पास बहुत ज्ञान और समझ है, जो उनकी एक और शक्ति है. इसलिए उन्हें विद्वान और बुद्धिमान देवता के रूप में चित्रित किया जाता है. वे अपने ज्ञान को दूसरों के साथ साझा करते हैं और अपने भक्तों को दिशा -निर्देश भी दे सकते हैं. रामायण के तिब्बती संस्करण में बताया गया है कि रामजी हनुमान को उनके साथ अधिक बार पत्र व्यवहार न करने के लिए डांटते हैं. इसका अर्थ यह है कि वानर-दूत और योद्धा हनुमानजी एक विद्वान प्राणी हैं, जो पढ़ और लिख सकते हैं.
हनुमान जी का ज्ञान और संदेश
रामचरितमानस के संदेश के अनुसार, जब सीताजी का हरण रावण द्वारा कर लिया जाता है तब भगवान श्रीराम की भेंट ऋष्यमूक पर्वत (कर्नाटक के हम्पी में तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित है ऋष्यमूक पर्वत. यह वाल्मीकि रामायण में वर्णित वानरों की राजधानी किष्किंधा के नज़दीक है.) पर रहने वाले सुग्रीव के मंत्री श्रीहनुमान से होती है. श्रीराम हनुमानजी से पहली मुलाकात में ही जान जाते हैं कि हनुमान चारों वेदों के ज्ञाता हैं. वाल्मीकि रामायण के किष्किन्धाकाण्ड के तृतीय सर्ग के 29 से 36 तक के श्लोक में खुद श्रीराम कहते हैं कि लक्ष्मण ! हनुमान की बातों से प्रकट होता है कि इन्हें चारों वेदों, भाषा, व्याकरण का उत्कृष्ट ज्ञान है. इसलिए श्रीराम ने हनुमान जी को लंका भेजा. श्री हनुमान ने अपने ज्ञान के आधार पर लंका गये और लोगों की विकृतियों और नकारात्मकता को समाप्त करने का प्रयास किया.
विद्या और विवेक के स्वामी हनुमानजी
हनुमान जी प्राणतत्व के रूप में हैं, जिसके शरीर में प्रवेश करने पर विकार रूपी व्याधियां नष्ट हो जाती हैं. हनुमान जी बल के साथ-साथ विद्या पर जोर देते हैं. इसलिए हनुमानचालीसा की चौपाई में कहा गया है -बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार… हनुमान जी जानते हैं कि सिर्फ बल से हानि हो सकती है, इसलिए विद्या का साथ होना जरूरी है, विद्या विवेक लाती है. विवेक के माध्यम से बल भी संयमित रूप से काम करता है. वह कभी विध्वंश नहीं कर सकता है. साथ ही कलुषित विचार भी ज्ञान से ही समाप्त हो सकते हैं.
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