Kashi Vishwanath Temple: दिलचस्प है काशी विश्वनाथ मंदिर का सालों पुराना इतिहास, जानें मंदिर से जुड़े रहस्य, ड्रेस कोड और पहुंचने का रास्ता

Kashi Vishwanath Temple: दिलचस्प है काशी विश्वनाथ मंदिर का सालों पुराना इतिहास, जानें मंदिर से जुड़े रहस्य, ड्रेस कोड और पहुंचने का रास्ता

Authored By: Ranjan Gupta

Published On: Monday, July 21, 2025

Last Updated On: Monday, July 21, 2025

About the Kashi vishwanath Temple
About the Kashi vishwanath Temple

उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित Kashi Vishwanath Temple भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इसके निर्माण, ध्वंस और पुनर्निर्माण की गाथा भारत के इतिहास का अनमोल दस्तावेज है. ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्‍नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. अगर आप भी Kashi vishwanath Corridor घूमने का बना रहे हैं प्लान तो पहले जान लीजिए महत्वपूर्ण बातें. इस लेख में हम बताएंगे मंदिर का इतिहास, काशी विश्वनाथ कैसे पहुंचे, मंदिर का रहस्य, मंदिर से जुड़ी रोचक बातें, ड्रेस कोड, टिकट की कीमत और बहुत कुछ.

Authored By: Ranjan Gupta

Last Updated On: Monday, July 21, 2025

हिंदू धर्म की आत्मा मानी जाने वाली नगरी काशी, जिसे वाराणसी भी कहा जाता है, अनादि काल से मोक्ष और ज्ञान की भूमि रही है. यहीं स्थित है काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple). वह पवित्र स्थल जहां स्वयं भगवान शिव विश्व के स्वामी के रूप में विराजमान हैं. लाखों श्रद्धालु प्रतिवर्ष यहां दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन इस मंदिर का महत्व सिर्फ धार्मिक ही नहीं, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत व्यापक है. इस लेख में हम काशी विश्वनाथ मंदिर की प्रत्येक परत को खोलेंगे. इसके प्राचीन इतिहास से लेकर औरंगजेब के ध्वंस तक, मंदिर का निर्माण से लेकर आकार और वास्तुकला तक, और साथ ही इससे जुड़े गहरे रहस्यों व विशेषताओं की चर्चा करेंगे.

काशी विश्वनाथ मंदिर के बारे में

काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन ज्योतिर्लिंग मंदिर है, जो उत्तर प्रदेश के वाराणसी (पूर्व नाम काशी) में स्थित है. इसे ‘विश्वनाथ’ यानी ‘विश्व के स्वामी’ कहा जाता है. मान्यता है कि यह स्थल भगवान शिव की आराधना का सर्वोच्च केंद्र है, जहां स्वयं शिव ने माता पार्वती से कहा था कि “काशी मुझे अतिप्रिय है.” यह मंदिर हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है और यह भी माना जाता है कि काशी में मृत्यु से मोक्ष की प्राप्ति होती है.

विवरण जानकारी
मंदिर का नाम काशी विश्वनाथ मंदिर
स्थान वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत
मुख्य देवता भगवान शिव (विश्वनाथ या विश्वेश्वर)
शिल्प शैली नागर शैली (उत्तर भारतीय मंदिर वास्तुकला)
शिखर की ऊंचाई लगभग 15.5 मीटर
शिखर पर सोना 800 किलो सोने से ढका हुआ शिखर
दर्शन समय सुबह 3:00 बजे से रात 11:00 बजे तक
प्रबंधन श्री काशी विश्वनाथ विशेष क्षेत्र विकास बोर्ड

काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास

About the Kashi vishwanath Temple

काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास भारत की धार्मिक सहिष्णुता, विदेशी आक्रमणों और पुनर्निर्माण की अद्भुत कथा है. यह मंदिर बार-बार बना और टूटा, लेकिन श्रद्धा कभी नहीं टूटी. मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा इसे नष्ट करने की कोशिश की गई, लेकिन हर बार किसी न किसी रूप में इसका पुनः निर्माण हुआ.

मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण, लिंग पुराण और महाभारत में भी मिलता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह स्थान हजारों वर्षों से श्रद्धा का केंद्र रहा है.

काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण

मंदिर के मूल निर्माण की तिथि स्पष्ट नहीं है, परंतु यह मान्यता है कि इसका अस्तित्व पौराणिक काल से है. स्कंद पुराण में इस मंदिर का उल्लेख मिलता है. कहा जाता है कि इस मंदिर का दोबारा निर्माण 11 वीं सदी में राजा हरीशचन्द्र ने करवाया था. साल 1194 में मुहम्मद गौरी ने इसे तुड़वा दिया था. मंदिर को एक बार फिर से बनाया गया लेकिन साल 1447 में इसे फिर से जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह ने तुड़वा दिया. इतिहास के पन्नों को पलटे तो पता चलता है कि काशी मंदिर के निर्माण और तोड़ने की घटनाएं 11वीं सदी से लेकर 15वीं सदी तक चलती रही.

शाहजंहा ने तुड़वाने के लिए सेना भेजी

साल 1585 में राजा टोडरमल की मदद से पंडित नारायण भट्ट ने इसे बनाया था लेकिन साल 1632 में शाहजंहा ने इसे तुड़वाने के लिए सेना की एक टुकड़ी भेज दी. हिंदूओं के विरोध के कारण सेना अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाई. कहा जाता है कि 18 अप्रैल 1669 में औरंगजेब ने इस मंदिर को ध्वस्त कराने के आदेश दिए थे.

मौजूदा मंदिर का निर्माण कब

मौजूदा मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने 1780 में करवाया था. बाद में महाराजा रणजीत सिंह ने 1853 में 1000 किलोग्राम सोना सोना दान दिया था.

मंदिर का आकार और वास्तुकला

About the Kashi vishwanath Temple

काशी विश्वनाथ मंदिर वास्तुशिल्प की दृष्टि से उत्तर भारतीय मंदिर शैली (नागर शैली) का एक अद्वितीय उदाहरण है. इसका मुख्य शिखर स्वर्ण जड़ा हुआ है, जिसे पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने 1835 में दान किया था. उन्होंने लगभग 1 टन सोना मंदिर के शिखर के लिए भेंट किया. यही कारण है कि यह मंदिर ‘स्वर्ण मंदिरों’ में गिना जाता है.

मंदिर परिसर में कई छोटे-बड़े मंदिर हैं जैसे कि काल भैरव, महाकाली, विनायक और संतोषी माता के मंदिर. मंदिर की ऊंचाई लगभग 15.5 मीटर है, जबकि गर्भगृह में स्थित शिवलिंग लगभग 60 सेंटीमीटर ऊंचा और 90 सेंटीमीटर चौड़ा है.

काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े रहस्य

काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े कई रहस्य हैं जो इसे और भी रहस्यमय और पवित्र बनाते हैं:

  • ज्ञानवापी कुंआ: कहा जाता है कि औरंगजेब के हमले के दौरान पुजारियों ने शिवलिंग को बचाने के लिए ज्ञानवापी कुंए में छुपा दिया था. कुछ मान्यताओं के अनुसार आज भी वही प्राचीन शिवलिंग वहीं मौजूद है.
  • काशी नहीं डूबती: मान्यता है कि जब सृष्टि का अंत होगा, तब भी काशी नष्ट नहीं होगी. स्वयं भगवान शिव इसे त्रिशूल पर धारण कर लेंगे.
  • मुक्ति भूमि: काशी में प्राण त्यागने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. भगवान शिव स्वयं कान में तारक मंत्र सुनाते हैं.
  • शिव का प्राचीन निवास: पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव यहीं सर्वप्रथम प्रकट हुए और यही उनका स्थायी निवास स्थान माना जाता है.

काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में देखने लायक चीजें

About the Kashi vishwanath Temple

काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में देखने लायक कई चीजें हैं. मुख्य मंदिर का परिसर ही अपने आप में अद्भुत है. आपको यहां आने के बाद दैवीय अनुभूति होगी. इसके अलावा 50 हजार वर्ग मीटर में फैला काशी विश्वनाथ कॉरिडोर है. यहां आपको 22 शिलालेख मिलते हैं, जिनमें काशी की महिमा बताई गई है. यहां तमाम घूमने लायक जगहें हैं. यात्री सुविधा केंद्र हैं. मंदिर परिसर के पास में ही गंगा घाट है. मंदिर के आसपास के बाजार को भी एक्सप्लोर किया जा सकता है.

इस मंदिर से जुड़ी रोचक जानकारी

  • यह मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और सबसे प्रतिष्ठित भी.
  • महारानी अहिल्याबाई होलकर, रणजीत सिंह और बनारस के राजाओं का मंदिर पुनर्निर्माण में अहम योगदान रहा है.
  • मंदिर की सुरक्षा अत्यंत कड़ी होती है और यहां रोजाना हजारों श्रद्धालु दर्शन करते हैं.
  • मंदिर के ठीक बगल में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद आज एक संवेदनशील ऐतिहासिक स्थल बन चुका है.पीएम नरेंद्र मोदी ने 2021 में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया जिससे मंदिर तक पहुंच और सुविधाएं अत्यंत सहज हो गईं.

काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन के लिए ड्रेस कोड

मंदिर दर्शन के लिए ड्रेस कोड का पालन करना कई जगहों पर अनिवार्य होता है. कई मंदिरों में बकायदा इसके लिए प्रावधान है. हालांकि, काशी विश्वनाथ मंदिर दर्शन के लिए ऐसा कोई ड्रेस कोड फिलहाल नहीं है. वैसे ट्रस्ट की वेबसाइट पर मौजूद FAQs की लिस्ट में बताया गया है कि अपमानजनक पोशाकें पहनकर जाने से बचना चाहिए.

इसकी बेमिसाल विशेषताएं

  1. स्वर्ण शिखर: लगभग 1 टन शुद्ध सोने से बना शिखर मंदिर की भव्यता का प्रतीक है.
  2. कॉरिडोर परियोजना: अब मंदिर गंगा घाट से सीधे जुड़ा है, जिससे दर्शनार्थियों को बड़ा फायदा हुआ है.
  3. सांस्कृतिक धरोहर: मंदिर संगीत, कला और दर्शन की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है. तुलसीदास, कबीर, रविदास जैसे संतों ने काशी में साधना की.
  4. पंचतत्व दर्शन: मंदिर परिसर में दर्शन के क्रम में पंचतत्व – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश – का अनुभव कराया जाता है.
  5. धार्मिक समावेशिता: विभिन्न पंथों के लोग इस मंदिर में आकर भगवान शिव के दर्शन करते हैं. यह एकता और अखंडता का प्रतीक स्थल है.

काशी विश्वनाथ मंदिर टिकट की कीमत

काशी विश्वनाथ मंदिर में एंट्री के लिए कोई टिकट नहीं है. हालांकि सुगम दर्शन, अलग-अलग आरती, रुद्राभिषेक, महादेव पूजा इत्यादि के लिए आपको फिक्स चार्ज अदा करना पड़ता है. जैसे आरती के कई प्रकार हैं. मंगला आरती, मिड डे भोग आरती, सप्त ऋषि आरती, श्रृंगार/भोग आरती. इसके लिए 300 से लेकर 500 रुपये तक चार्ज हैं.

काशी विश्वनाथ मंदिर में रुद्राभिषेक के लिए चार्ज 450 रुपये से लेकर 25 हजार रुपये या अधिक भी हो सकता है. इन सारी बातों की विस्तार से आधिकारिक जानकारी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट की आधिकारिक वेबसाइट से ली जा सकती है.

काशी विश्वनाथ मंदिर कैसे पहुंचें?

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काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले वाराणसी पहुंचना होगा. वाराणसी देशभर के बड़े-बड़े शहरों से वेल कनेक्टेड है. आप चाहें तो हवाई जहाज से भी वाराणसी पहुंच सकते हैं. यहां लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है. यहां से आपको काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए टैक्सी सर्विस मिल जाएगी. काशी विश्वनाथ मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टशन वाराणसी कैंट है.

इसके अलावा बनारस स्टेशन भी है. यहां से देश के हर कोने से ट्रेनें आती-जाती रहती हैं. इसके अलावा वाराणसी भारत के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है. आप बस, कार या टैक्सी से वाराणसी आ सकते हैं और काशी विश्वनाथ मंदिर तक पहुंच सकते हैं.

निष्कर्ष

काशी विश्वनाथ मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है. यह मंदिर हमें न केवल भक्ति की शक्ति सिखाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि संस्कृति और आस्था कभी मिटाई नहीं जा सकती. यहां की दिव्यता, रहस्य, इतिहास और ऊर्जा हर श्रद्धालु को एक अलौकिक अनुभूति प्रदान करती है. काशी, शिव और संस्कृति का यह त्रिवेणी संगम युगों-युगों तक श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा स्रोत बना रहेगा.

FAQ

मंदिर प्रातः 3 बजे मंगला आरती के साथ खुलता है और रात्रि 11 बजे तक खुला रहता है.
यह परियोजना मंदिर तक सीधी पहुंच और सुविधाजनक दर्शन के लिए शुरू की गई थी. इसमें घाट से मंदिर तक चौड़ी सड़क, बैठने की व्यवस्था और पार्किंग शामिल है.
मंगला आरती और सायं आरती को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं.
मुख्य गर्भगृह में प्रवेश केवल हिंदू धर्मावलंबियों को अनुमति है, परंतु अन्य परिसर क्षेत्र का दर्शन कर सकते हैं.
हां, उत्तर प्रदेश सरकार और मंदिर समिति ने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाइव दर्शन और आरती की सुविधा शुरू की है.
About the Author: Ranjan Gupta
रंजन कुमार गुप्ता डिजिटल कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें डिजिटल न्यूज चैनल में तीन वर्ष से अधिक का अनुभव प्राप्त है. वे कंटेंट राइटिंग, गहन रिसर्च और SEO ऑप्टिमाइजेशन में माहिर हैं. शब्दों से असर डालना उनकी कला है और कंटेंट को गूगल पर रैंक कराना उनका जुनून! वो न केवल पाठकों के लिए उपयोगी और रोचक लेख तैयार करते हैं, बल्कि गूगल के एल्गोरिदम को भी ध्यान में रखते हुए SEO-बेस्ड कंटेंट तैयार करते हैं. रंजन का मानना है कि "हर जानकारी अगर सही रूप में दी जाए, तो वह लोगों की जिंदगी को प्रभावित कर सकती है." यही सोच उन्हें हर लेख में निखरने का अवसर देती है.
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