Pitru Paksha 2024 : 17 सितंबर से शुरू हो रहा है पितृ पक्ष, जानें गयाजी में क्यों किया जाता है पूर्वजों का तर्पण

Pitru Paksha 2024 : 17 सितंबर से शुरू हो रहा है पितृ पक्ष, जानें गयाजी में क्यों किया जाता है पूर्वजों का तर्पण

Authored By: स्मिता

Published On: Friday, August 16, 2024

Last Updated On: Friday, August 23, 2024

pitri paksha
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Pitri Paksha 2024 : पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने के लिए समर्पित अवधि है। इस अवसर पर परिवार के सदस्य गोलाकार पिंड के रूप पूर्वजों को भोजन और जल अर्पित करते हैं। इसके बदले में पूर्वज संपूर्ण परिवार को समृद्धि और सुरक्षा का आशीर्वाद देते हैं। जानते हैं कि इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत कब से हो रही है? साथ में गया जी में पूर्वजों को तर्पण अर्पित करने की क्या है वजह?

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Friday, August 23, 2024

गूगल पर इन दिनों सबसे अधिक सर्च किये जाने वाले स्थान में गया का नाम आता है। अगले महीने पितृ पक्ष (Pitri Paksha 2024) शुरू  होने वाला है। अपने पितरों के प्रति श्राद्ध और तर्पण अर्पित करने के लिए बिहार का गया सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्यादातर लोग जानना चाहते हैं कि इस वर्ष किस दिन से श्राद्ध शुरू हो रहा है और किस दिन खत्म हो रहा है? किस विशेष दिन अपने पितरों को तर्पण देने का विधान किया जाये? इसलिए हम आज आपको बताने जा रहे हैं कि इस वर्ष (Pitri Paksha 2024) किस दिन से श्राद्ध या पितृ पक्ष शुरू हो रहा है।

कब से शुरू है पितृ पक्ष (Pitri Paksha 2024)

पितृ या पितर का अर्थ है पूर्वज। श्राद्ध का अर्थ है पूर्वजों या मृतक परिवार के सदस्यों को दिया जाने वाला तर्पण। हिंदू कैलेंडर में पितृ पक्ष 16-चंद्र दिवस की अवधि है। इस अवधि के दौरान हिंदू अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देकर उनका आशीर्वाद लेते हैं। यह श्रद्धांजलि खासकर उनके प्रिय भोजन को प्रसाद के माध्यम से दी जाती है। इस अवधि को पितृ पक्ष (Pitra Paksha), पितृ पोक्खो (Pitri Pokkho), सोरह श्राद्ध (Sorah Shraddha), कनागत (Kanagat), जितिया (Jitiya), महालया (Mahalaya), अखाड़पाक (akhadpak) और अपरा पक्ष ( Apara Paksha) के रूप में भी जाना जाता है।

पितृ पक्ष मंगलवार 17 सितंबर, 2024 (Pitri Paksha 2024) से शुरू हो रहा है।यह बुधवार 2 अक्टूबर, 2024 को समाप्त हो जायेगा। इसके बाद दुर्गा पूजा महोत्सव की शुरुआत हो जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह अवधि अश्विन माह के दौरान 16 चंद्र दिनों में मनाई जाती है।

पितृ पक्ष से जुड़ी क्या हैं मान्यताएं (Pitri Paksha 2024)

ऐसा माना जाता है कि जब हम पितृ पक्ष अनुष्ठान श्राद्ध या पिंडदान करते हैं, तो हमारे पूर्वज या दिवंगत आत्माएं शांति प्राप्त करती हैं। पूर्वज बदले में अपने परिवार के लोगों को आशीर्वाद देते हैं। श्राद्ध या पिंडदान परिवार के किसी सदस्य द्वारा दिवंगत आत्मा को भोजन और जल अर्पित करने का एक हिंदू अनुष्ठान है। पारंपरिक अनुष्ठानों के साथ-साथ, इस अवधि के दौरान जरूरतमंदों को भोजन कराना, पक्षियों और पशुओं की सेवा करना, दान करना पुण्य का कार्य माना जाता है। ब्रह्मपुराण के अनुसार देवताओं की पूजा करने से पहले मनुष्य को अपने पूर्वजों की पूजा करनी चाहिए। माना जाता है कि इससे देवता प्रसन्न होते हैं। श्राद्ध अनुष्ठान करने के साथ-साथ गरीब और भूखे लोगों को भोजन कराना, अन्नदान करना, गौ सेवा भी की जाती है।

पितृ तर्पण के लिए गयाजी क्यों (Pitri Paksha 2024 in Gaya)?

गया में पितृ पक्ष का मेला 16 दिनों की लंबी अवधि है। इसके दौरान दुनिया भर से लोग मृतक को पिंड दान करने के लिए गया जी के श्राद्ध समारोह में भाग लेते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार श्राद्ध बहुत महत्वपूर्ण है, जिसके माध्यम से अंतिम मोक्ष के लिए मृतक को भोजन के रूप में गोलाकार पिंड अर्पित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम श्राद्ध के लिए गया जी आए थे। उन्होंने फल्गु नदी के तट पर दिवंगत पिता दशरथ को पिंड दान किया था। यही कारण है कि गया जी को श्राद्ध कर्म के लिए महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। यहां पवित्र फल्गु नदी के तट पर श्रीविष्णु (राम) का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है।

घर पर भी की जा सकती है पितृ पूजा (Pitri Paksha Puja 2024)

पितृ पक्ष के दौरान घर पर पितृ पूजा करना भी पूर्वजों से जुड़ने का अर्थपूर्ण तरीका है। अपने घर के भीतर किसी एकांत स्थान का चुनाव कर यह पवित्र पूजा की जा सकती है। इस दिन अपने ईष्ट देव की पूजा करें, धूप- दीप जलाएं। फल-फूल और प्रसाद चढ़ाएं। वैदिक पूजा में आमतौर पर मंत्रों का जाप करना और परिवार की भलाई के लिए आशीर्वाद मांगना शामिल होता है। भक्ति के साथ भोजन, जल और अपने पूर्वज की प्रिय वस्तुएं भी अर्पित की जा सकती हैं।

महालया अमावस्या पूजा (Mahalaya Amavasya Puja) 

पितृ पक्ष में सबसे महत्वपूर्ण दिन महालय अमावस्या है। यह अवधि पितृ पक्ष की परिणति का प्रतीक है। इस दिन अपने पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए विशेष पूजा-अनुष्ठान करने का रिवाज़ है। महालय अमावस्या पूजा विधि का पालन किया जा सकता है। इसमें पूर्वजों का आह्वान करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए विशिष्ट चरण और मंत्र शामिल हैं। विस्तृत पूजा प्रक्रिया के लिए किसी पुजारी या शास्त्रों से मार्गदर्शन लेना जरूरी है। महालय अमावस्या 2 अक्टूबर, 2024 को है।

About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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