Prayagraj Mahakumbh 2025: महाशिवरात्रि पर आज अंतिम अमृत स्नान के साथ महाकुंभ सिखा गया जीवन पाठ
Prayagraj Mahakumbh 2025: महाशिवरात्रि पर आज अंतिम अमृत स्नान के साथ महाकुंभ सिखा गया जीवन पाठ
Authored By: स्मिता
Published On: Wednesday, February 26, 2025
Updated On: Wednesday, February 26, 2025
Prayagraj Mahakumbh 2025: महाशिवरात्रि के अवसर पर देश भर के करोड़ों श्रद्धालुओं ने भोले शिवशंकर का जलाभिषेक करने के साथ ही प्रयागराज महाकुंभ में अंतिम अमृत स्नान भी किया. अपने समापन के साथ ही महाकुंभ लोगों को जीवन पाठ भी सिखा गया.
Authored By: स्मिता
Updated On: Wednesday, February 26, 2025
आज महाशिवरात्रि (Maha Shivratri 2025) है और महाकुंभ का अंतिम अमृत स्नान (Last Amrit Snan) भी. सूत्रों के अनुसार, महाकुंभ (Mahakumbh 2025) के अंतिम अमृत स्नान पर्व के अवसर पर 1 करोड़ से भी अधिक श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. विदाई के विशेष अवसर पर आसमान में भी सात ग्रह (बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून) एकसाथ उपस्थित होंगे. इस अद्भुत खगोलीय घटना के साथ महाकुंभ का समापन हो रहा है. महाग्रंथों के अनुसार, शुरुआत जहां परिवर्तन का प्रतीक है, वहीं अंत संपूर्णता का प्रतीक (Mahakumbh 2025 Learning) है. अपने समापन पर पहुंचा महाकुंभ (Prayagraj Mahakumbh 2025) हमें जीवन का पाठ भी पढ़ा रहा है.
महाकुंभ के हैं विशेष आध्यात्मिक अर्थ (Spiritual meaning of Mahakumbh)
हिंदू धर्म की यह मान्यता रही है कि पवित्र नदियों में स्नान करने से तन के साथ-साथ आत्मा भी शुद्ध हो जाती है. हमें इस बात का विशेष ध्यान रखना होता है कि स्नान अनुष्ठान शुद्ध मन, विनम्रता और भक्ति के साथ किया जाए. पवित्र नदियों (महाकुंभ) में स्नान करते समय “हर हर गंगे”, “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप सर्वोत्तम है. महाशिवरात्रि के अवसर पर अंतिम अमृत स्नान के समय गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम पर भक्तगण “हर हर गंगे” के साथ-साथ गंगा को अपनी जटा पर धारण किए हुए शिवजी के लिए “ओम नमः शिवाय” का जाप भी करते हैं. अंतिम अमृत स्नान के साथ ही महाकुंभ भक्तों को कई जीवन पाठ भी पढ़ा रहा है.
महाकुंभ से मिली जीवन के लिए महत्वपूर्ण सीख (Mahakumbh 2025 Life Lessons)
आध्यात्मिक जागृति (Spiritual Awakening)
महाकुंभ के अवसर पर स्नान हमें आत्मनिरीक्षण और चेतना को जाग्रत करने की प्रेरणा देता है. यह हमें –“मैं कौन हूं, किस सद्कर्म के निमित्त मानव जीवन मिला है” – यह विचार करने के लिए प्रेरित करता है. महाकुंभ हमें एकसार हो चुके दैनिक जीवन से अवकाश लेकर स्वयं को आत्मा से जुड़ने और मानव के सदउद्देश्य को तलाशने पर जोर देता है.
आस्था और विश्वास
अब तक महाकुंभ में आधे अरब से अधिक श्रद्धालु श्रद्धा की डुबकी लगा चुके हैं. यह लाखों लोगों की प्रकृति और सृष्टि के प्रति अटूट आस्था और विश्वास का प्रमाण है. यह आस्था और विश्वास शक्ति बनकर जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए दृढ़ बनाता है.
भेदभाव दूर होने का अमृत
महाकुंभ सभी को एक दृष्टि से देखने की सीख देकर जा रहा है. संगम तट के लिए कोई छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब नहीं है. स्नान और अमृत स्नान से सभी को बराबर अमृत मिलता है. आस्था की डुबकी से सभी को बराबर पुण्य मिलता है.
एकता की शक्ति
महाकुंभ मेला को स्वच्छ, सुरक्षित रखने के लिए लोगों ने समूह बनाकर प्रयास किया. सामूहिक एकता के कारण ही यह विशाल आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. यदि लोग समुदाय और संप्रदाय के स्तर पर बंटे रहते, तो इस महती कार्य में सफलता नहीं मिलती.
पर्यावरण प्रेम का संदेश
महाकुंभ 2025 के अवसर पर कई रिकॉर्ड भी बने. एक रिकॉर्ड यह भी बना कि 25 हजार से अधिक लोगों ने मिलकर संगम तट और नदी के जल में बहने वाले कचरे को साफ़ किया. इन लोगों के सद्कर्म ने अन्य लोगों को भी प्रकृति संरक्षण के प्रति जागरूक किया. वास्तव में परंपरागत रूप से पवित्र नदियों के पास आयोजित होने वाला महाकुंभ प्राकृतिक संसाधनों, विशेष रूप से जल संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डालता है. यह मनुष्य और प्रकृति के बीच परस्पर जुड़ाव की याद दिलाता है.
समृद्धशाली भारतीय संस्कृति के प्रति गर्व का भाव
महाकुंभ उत्सव भारतीय संस्कृति और परंपरा का जीवंत संग्रहालय प्रतीत हुआ. महाकुंभ में कई संत और भक्त सादा जीवन जीते हैं. यह हमें अपने जीवन को शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक रूप से व्यवस्थित करने की भी सीख देता है. भिन्न-भिन्न अनुष्ठान, यज्ञ, अन्य वैदिक प्रथाएं, लोक कलाओं और लोक कथाओं ने न सिर्फ मन को मोहा, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक विरासत के प्रति लोगों में गर्व भी उत्पन्न कर गया. इससे युवा पीढ़ी और अधिक अपनी जड़ों से जुड़ पाएगी.
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