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क्या इलेक्शन मोड में आ चुका है बिहार, केंद्रीय मंत्रियों का दौरा यूं ही तो नहीं
क्या इलेक्शन मोड में आ चुका है बिहार, केंद्रीय मंत्रियों का दौरा यूं ही तो नहीं
Authored By: सतीश झा
Published On: Monday, February 24, 2025
Updated On: Monday, February 24, 2025
बीते चार महीने में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी दूसरी बार बिहार में दिखे. इसके बीच में कई केंद्रीय मंत्रियों ने बिहार का दौरा किया. भाजपा अध्यक्ष भी बिहार जाकर कई घोषणा कर चुके हैं. ऐसे में बरबस ही सवाल उठ रहा है कि करीब 10 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व पूरी तरह से एक्टिव हो चुका है ? मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित विपक्षी दलों की रणनीति कब शुरू होगी ?
Authored By: सतीश झा
Updated On: Monday, February 24, 2025
Election Mode in Bihar: असल में, केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह बीते दशक से भाजपा के चाणक्य के रूप में काम कर रहे हैं. इनकी टीम लगातार इलेक्शन मोड में होती है. चौबीसों घंटे अलर्ट. संगठन का काम चौबीसों घंटे जारी है. ऐसे में नवंबर में दरभंगा का दौरा और उसके बाद फरवरी के चौथे सप्ताह में प्रधानमंत्री का भागलपुर दौरे ने इस बात को बल दिया है कि भाजपा पूरी तरह से इलेक्शन मोड में आ चुकी है.
सियासी हलचल तेज
हाल ही में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू यादव को लेकर उनके पूर्व मंत्री और बेहद खास रहे सुभाष यादव ने जिस प्रकार से बयान दिया था, वह भी चुनाव का ही हिस्सा बताया जा रहा है. लोगों को एक बार फिर से जंगलराज की याद दिलाई जा रही है. हालांकि, राजद की ओर से उसे अधिक तवज्जो नहीं दिया गया और सुभाष यादव का बयान सोशल मीडिया पर मीम्स बनकर ही रह गया.
राज्य में सियासी गतिविधियों में तेजी
मिथिला सहित राज्य के तमाम किसानों को साधने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान दो दिन के दौरे पर बिहार में किसानों और किसान उत्पादकों से मिले. मखाना के किसानों से संवाद के दौरान ठेठ बिहारी स्टाइल कीचड़ में मखाना का पौधा रोपते दिखे. इसके सियासे मायने भी हैं. कीचड़ में कमल खिलाने के लिए जरूरी है कि मिथिला के किसानों के साथ मखान का पौधा विकसित किया जाए. हाल के वर्षों में यह परिपाटी दिखी है कि जिधर मिथिला गया है, उसी पार्टी की राज्य में सरकार बनी है.
भाजपा या एनडीए की सरकार
हाल के दिनों में इस सवाल को भी सियासी गलियारों में खूब चटखारे के साथ कहा-सुना जा रहा है कि बिहार में एनडीए की सरकार बनाने के लिए मेहनत की जा रही है अथवा भाजपा की सरकार के लिए . कारण, बिहार में अब तक भाजपा का कोई भी मुख्यमंत्री नहीं बना है. इसलिए भाजपा के रणनीतिकार इस बार इस सुखाड़ को भी समाप्त करने की जुगत में हैं. इसके लिए जरूरी है कि मिथिला क्षेत्र को अपने साथ भरोसे में लिया जाए. तभी को विधानसभा चुनाव को देखते हुए राज्य में भाजपा नेताओं की गतिविधियां बढ़ गई हैं. केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह लगातार बिहार के नेताओं से मेलजोल बढ़ा रहे हैं. बिहार में सरकारी योजनाओं के लिए बजट की दिक्कत न हो, इसके लिए केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण दो दिनों तक बिहार में प्रवास कर चुकी हैं. किसानों के हित का मुद्दा बिहार में बेहद खास है, इसलिए शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से संवाद किया. केंद्रीय मंत्रियों के लगातार हो रहे दौरे इस बात का इशारा कर रहे हैं कि भाजपा और एनडीए गठबंधन अपनी चुनावी तैयारियों को मजबूत करने में जुटे हैं.
केंद्रीय मंत्रियों का है पूरा फोकस
हाल ही में बिहार में कई केंद्रीय मंत्रियों का दौरा सुर्खियों में रहा है. गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत कई बड़े नेता बिहार के अलग-अलग जिलों का दौरा कर चुके हैं. इन यात्राओं के दौरान वे जनता से संवाद कर रहे हैं, सरकारी योजनाओं की समीक्षा कर रहे हैं और पार्टी कार्यकर्ताओं को चुनावी तैयारियों में जुटने का निर्देश दे रहे हैं. माना जा रहा है कि बिहार में भाजपा चुनाव से पहले अपनी स्थिति मजबूत करने में लगी है.
जरा सी चूक भी बर्दाश्त नहीं
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, बिहार अब पूरी तरह चुनावी मोड में आ चुका है. केंद्र सरकार की योजनाओं को जनता तक पहुंचाने और विपक्ष के आरोपों का जवाब देने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत लगा दी है. पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए भी केंद्रीय मंत्री जनता के बीच जा रहे हैं. हाल के वर्षों में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ और उसके बाद दिल्ली में जिस प्रकार से भाजपा ने मुख्यमंत्री बनाया है, उससे हर कार्यकर्ता में यह उम्मीद जग गई है कि एक आम कार्यकर्ता भी जब विधायक बनेगा, तो उसके हिस्से में भी कभी मुख्यमंत्री की कुर्सी आ सकती है.