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अति पिछड़ों पर सबकी नजर, RJD ने तभी आगे किया है मंगनीलाल मंडल को
अति पिछड़ों पर सबकी नजर, RJD ने तभी आगे किया है मंगनीलाल मंडल को
Authored By: सतीश झा
Published On: Sunday, June 15, 2025
Last Updated On: Sunday, June 15, 2025
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले अति पिछड़ा वर्ग (EBC) एक बार फिर राजनीतिक दलों की प्राथमिकता में आ गया है. आंकड़ों के अनुसार, राज्य की 63% आबादी पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखती है. इन्हीं आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने मंगनीलाल मंडल (Mangni Lal Mandal) को आगे कर चतुर राजनीतिक दांव चला है.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Sunday, June 15, 2025
बिहार की राजनीति में एक नई करवट लेते हुए राजद (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने अपने पुराने साथी और वरिष्ठ नेता मंगनी लाल मंडल (Mangni Lal Mandal) को प्रदेश RJD अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपने का बड़ा फैसला लिया है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, 19 जून को उनके निर्वाचन की औपचारिक घोषणा की जाएगी.
बिहार की राजनीति में तीन प्रमुख पिछड़े नेताओं में गिने जाते हैं मंगनी लाल मंडल
77 वर्षीय मंगनी लाल मंडल (Mangni Lal Mandal) बिहार की राजनीति में तीन प्रमुख पिछड़े नेताओं में गिने जाते हैं. इस सूची में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और मंगनी लाल मंडल का नाम लिया जाता है। इन तीनों नेताओं को जननायक कर्पूरी ठाकुर का सान्निध्य और मार्गदर्शन प्राप्त हुआ था, जिसने इन्हें सामाजिक न्याय की राजनीति का मजबूत आधार दिया.
मंगनीलाल मंडल, जो कि अति पिछड़ा वर्ग से आते हैं, को RJD ने रणनीतिक रूप से आगे बढ़ाया है. पार्टी को उम्मीद है कि उनका चेहरा अति पिछड़ों के बीच विश्वास और प्रतिनिधित्व का प्रतीक बनेगा. राजनीतिक पंडितों का मानना है कि यह कदम आगामी चुनाव में RJD को नया जनाधार दिला सकता है.
अब “किंगमेकर” की भूमिका में
करीब दो साल पहले जारी हुई बिहार सरकार की सामाजिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह सामने आया था कि अति पिछड़ा वर्ग (EBC) की संख्या राज्य में सबसे अधिक है. यह वर्ग अब “किंगमेकर” की भूमिका में नजर आ रहा है. इसी वजह से सभी प्रमुख राजनीतिक दलों की नजर इस वर्ग पर टिकी हुई है.
वहीं, जातिगत आंकड़ों की बात करें तो यादव बिरादरी, जो अब तक RJD का परंपरागत वोटबैंक मानी जाती रही है, 14% के करीब है. ब्राह्मणों की संख्या लगभग 4% बताई गई है, जबकि अनुसूचित जातियों (SC) की हिस्सेदारी लगभग 20% है.
इस सामाजिक संरचना को देखते हुए राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि RJD अब केवल यादव-मुस्लिम समीकरण पर निर्भर नहीं रहना चाहती. अति पिछड़ा वर्ग को जोड़कर एक व्यापक सामाजिक गठबंधन तैयार करने की दिशा में काम कर रही है.
अति पिछड़ा वर्ग (EBC) के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए राजद ने यह दांव चला
लालू-राबड़ी शासनकाल में मंगनी लाल मंडल मंत्री भी रह चुके हैं. इसके अलावा वे जदयू के साथ सांसद भी रहे, लेकिन बाद में उन्होंने फिर से राजद की ओर रुख किया. वर्तमान में वे राजद के कोर नेताओं में शुमार हैं और अब उन्हें पार्टी की कमान सौंपकर लालू प्रसाद ने एक बार फिर राजनीतिक संतुलन साधने की कोशिश की है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अति पिछड़ा वर्ग (EBC) के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए राजद ने यह दांव चला है. मंगनी लाल मंडल की साफ छवि और लंबा राजनीतिक अनुभव पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत बना सकता है, खासकर ऐसे समय में जब बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक है.
अति पिछड़े वर्ग को साधने में जुट गई BJP और जदयू JDU
इस बीच, भाजपा (BJP) और जदयू (JDU) भी अति पिछड़े वर्ग को साधने में जुट गई हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) खुद अति पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन और योजनाओं के माध्यम से इस वर्ग को अपने पाले में बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं.
असली लड़ाई अब ‘EBC बनाम OBC/SC’
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगले चुनाव की असली लड़ाई अब ‘EBC बनाम OBC/SC’ ध्रुवीकरण की दिशा में जाती दिख रही है. ऐसे में RJD का यह दांव कितना असरकारक होगा, इसका जवाब चुनावी नतीजे ही देंगे. बहरहाल, यह स्पष्ट है कि अति पिछड़ा वर्ग बिहार की राजनीति की धुरी बन चुका है. आने वाले दिनों में इसी वर्ग के समर्थन से सत्ता की चाबी तय होगी.