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Delhi Blasts: 10 करोड़ के लालच में हुआ था लाल किला ब्लास्ट, PoK-अफगानिस्तान से जुड़े हैंडलर बेनकाब, असली मास्टरमाइंड…..
Authored By: Nishant Singh
Published On: Thursday, November 27, 2025
Last Updated On: Thursday, November 27, 2025
Delhi Blasts: यह मामला सिर्फ एक ब्लास्ट का नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चेतावनी साबित हो रहा है. दिल्ली धमाके की जांच में खुलासा हुआ है कि PoK और अफगानिस्तान से जुड़े हैंडलर करोड़ों की फंडिंग और आतंकी संगठन में ऊंचे पद का लालच देकर एक मॉड्यूल तैयार कर रहे थे. बम बनाने की ट्रेनिंग, डिजिटल कमांड और 10 करोड़ का वादा- ये सब दिखाता है कि खेल गहरा था और निशाना भारत …….
Authored By: Nishant Singh
Last Updated On: Thursday, November 27, 2025
Delhi Blasts: दिल्ली ब्लास्ट केस अब सिर्फ़ एक आतंकी घटना भर नहीं रहा, बल्कि एक ऐसी साजिश बनकर सामने आया है जिसने भारत की सुरक्षा एजेंसियों को चौंका दिया है. जांच आगे बढ़ी तो खुलासा हुआ कि इस पूरे मॉड्यूल के धागे दिल्ली से नहीं, बल्कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर (PoK) से जुड़े हैं. सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि इस ऑपरेशन के लिए करोड़ों रुपये के फंडिंग और आतंकी संगठन में ऊंचे पद का लालच दिया गया था.
आतंकी डॉक्टरों का नेटवर्क – कैसे तैयार हुआ मॉड्यूल?
पूछताछ में एजेंसियों के हाथ ऐसे तथ्य लगे हैं जो इस मॉड्यूल को और भी खतरनाक बनाते हैं. बताया जा रहा है कि गिरफ्तार आरोपी डॉक्टर शाहीन, डॉक्टर मुजफ्फर, डॉक्टर उमर और डॉक्टर आदिल किसी सामान्य सोच से इस मॉड्यूल का हिस्सा नहीं बने थे. इन सभी को आतंक का ग्लैमर दिखाया गया था और भारत में बड़े आतंकी हमलों का खाका खींचते हुए भरोसा दिलाया गया था कि वो “निज़ाम-ए-मुस्तफा” की स्थापना का हिस्सा बनेंगे.
डॉक्टर शाहीन ने पूछताछ के दौरान स्वीकार किया कि वह इस मॉड्यूल में डॉक्टर मुजम्मिल के दबाव और निर्देशों पर शामिल हुई थी. उसने माना कि उसे नहीं पता था कि यह रास्ता कितनी दूर और कितना खतरनाक जाएगा.
10 करोड़ रुपये और ‘आतंकी चीफ़’ बनने का लालच
सूत्रों के मुताबिक, सरहद पार से बैठे हैंडलर्स ने आरोपियों को बड़ी पेशकश की थी. दावा है कि डॉक्टर आदिल के भाई डॉक्टर मुज़फ़्फ़र को अंसार गज़वात-उल-हिंद का प्रमुख बनाने का वादा किया गया था. इतना ही नहीं, इस नेटवर्क के लिए हर साल 10 करोड़ रुपये की फंडिंग देने का वादा किया गया था.
फैसल इशफ़ाक़ भट नाम के हैंडलर ने उन्हें सिखाया था कि अगर भारत में इंडियन मुजाहिद्दीन की तरह लगातार बड़े धमाके होंगे, तो इस्लामिक संगठनों की नजर में उनकी हैसियत बढ़ेगी. उनकी मुलाकात अल-कायदा और जैश-ए-मोहम्मद के बड़े नामों से करवाने का आश्वासन भी दिया गया था.
हैंडलर कौन? अफगानिस्तान और PoK से ऑपरेट होने वाले कनेक्शन
जांच में एक और बड़ा नाम सामने आया – डॉक्टर अबू उकाशाह. यह हैंडलर अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत से ऑपरेट करता है और tटेलीग्राम के ज़रिए संपर्क में रहता था. साल 2022 में आरोपी उससे मिलने तुर्की भी गए थे. पूछताछ में खुलासा हुआ कि उकाशाह पाकिस्तान के कराची का रहने वाला है और जैश-ए-मोहम्मद, तहरीक-ए-तालिबान और अल-कायदा के लिए काम करता है.
उसी ने डॉक्टर उमर और दूसरे आरोपियों को अन्य हैंडलर्स से मिलवाया था, जिनमें सबसे दिलचस्प नाम है – हंजुल्लाह उर्फ उमर बिन ख़त्ताब.
बम बनाने की ट्रेनिंग: 42 वीडियो और डिजिटल कम्युनिकेशन
हंजुल्लाह ने डॉक्टर उमर को 42 बम बनाने की वीडियो भेजी थीं. हैरानी ये कि उसकी IP लोकेशन पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर, यानी PoK से ट्रेस हुई है. यह भी शक है कि वही जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर पर दिखा कुख्यात आतंकी हंज़ल्ला है.
दिलचस्प बात यह है कि मॉड्यूल से जुड़े किसी भी आरोपी ने उससे कभी आमने-सामने बात नहीं की. पूरी कम्युनिकेशन सिर्फ़ डिजिटल माध्यमों पर चल रही थी, जिससे यह साफ है कि ऑपरेशन अत्याधुनिक तरीके से चलाया जा रहा था.
अब आगे क्या? जांच एजेंसियों की नई चुनौती
भारत की जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुट गई हैं कि इस मॉड्यूल की जड़ें कितनी गहरी हैं और क्या भारत के अन्य शहर भी इस नेटवर्क की साजिश का हिस्सा थे. इसके साथ ही यह भी जांच हो रही है कि कहीं और भी sleeper cells सक्रिय तो नहीं.
दिल्ली ब्लास्ट सिर्फ हमला नहीं – चेतावनी थी
यह केस बताता है कि दुश्मन अब सीमा पार से नहीं, बल्कि डिजिटल रास्तों और वैचारिक ब्रेनवाशिंग के जरिए भारत को टारगेट कर रहा है. दिल्ली ब्लास्ट मामले ने साफ कर दिया है- आतंक अब सिर्फ बंदूक नहीं, दिमागों से भी लड़ा जा रहा है.
भारत की सुरक्षा एजेंसियों के सामने अब सिर्फ एक केस नहीं, बल्कि एक बड़े आतंकी नेटवर्क को समाप्त करने की चुनौती खड़ी है.
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