चाचा-भतीजे में क्यों नहीं हो रही सुलह? शरद-अजीत पवार विवाद पर फिर मचा बवाल!

चाचा-भतीजे में क्यों नहीं हो रही सुलह? शरद-अजीत पवार विवाद पर फिर मचा बवाल!

Authored By: सतीश झा

Published On: Wednesday, June 11, 2025

Updated On: Wednesday, June 11, 2025

शरद पवार और अजीत पवार के बीच सुलह की कोशिशें नाकाम, पार्टी नेतृत्व और वैचारिक मतभेद बने बड़ी रुकावट। जानें चाचा-भतीजे की सियासी खींचतान की पूरी कहानी.

महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर चाचा-भतीजे की सुलह की संभावनाएं चर्चा में हैं, लेकिन यह सवाल अब भी बना हुआ है — आखिर शरद पवार (Sharad Pawar) और अजीत पवार (Ajit Pawar) के बीच मतभेद खत्म क्यों नहीं हो पा रहे हैं? राष्ट्रीय स्तर पर पहचान रखने वाले वरिष्ठ नेता शरद पवार और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के बीच सियासी फासले लगातार सुर्खियों में हैं. कभी एकजुट पार्टी की पहचान रही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) अब दो धड़ों में बंटी हुई है — एक शरद पवार के नेतृत्व में, दूसरा अजीत पवार के नेतृत्व में, जो फिलहाल एनडीए सरकार का हिस्सा हैं.

Authored By: सतीश झा

Updated On: Wednesday, June 11, 2025

Sharad Pawar vs Ajit Pawar: महाराष्ट्र की राजनीति में चाचा-भतीजे की खींचतान अब भी बरकरार है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के संस्थापक शरद पवार (Sharad Pawar) और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार (Ajit Pawar) के बीच मतभेद खत्म होने का नाम नहीं ले रहे हैं. दोनों गुटों के बीच लंबे समय से चल रही सियासी रस्साकशी और पार्टी के विलय को लेकर बातचीत में अब तक कोई ठोस प्रगति नहीं हो पाई है.

सूत्रों के मुताबिक, दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर सहमति नहीं बन पा रही है, खासकर पार्टी नेतृत्व, संगठनात्मक ढांचा और भविष्य की रणनीति को लेकर. यही वजह है कि अजीत पवार गुट और शरद पवार गुट के बीच औपचारिक एकीकरण की प्रक्रिया टालती नजर आ रही है.

सुलह की अटकलें लेकिन जमीनी हकीकत उलट

हाल ही में दोनों गुटों में संभावित विलय को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा तेज हुई थी. लेकिन अंदरखाने की खबरें बताती हैं कि सिर्फ सियासी बयानबाजी चल रही है, असल सुलह अभी दूर की बात लगती है. एक ओर जहां अजीत पवार गुट सत्ता में भागीदारी के चलते खुद को मजबूत मानता है, वहीं शरद पवार गुट वैचारिक मजबूती और जनता के बीच छवि को अपनी ताकत मानता है.

मुख्य वजहें जो सुलह में बन रही हैं बाधा

  • नेतृत्व का मुद्दा: दोनों गुट इस बात को लेकर असहज हैं कि सुलह के बाद नेतृत्व किसके हाथ में होगा ? अजीत पवार मुख्यमंत्री पद की महत्वाकांक्षा रखते हैं, जबकि शरद पवार के समर्थक इसे उनके नेतृत्व को चुनौती मानते हैं.
  • वैचारिक अंतर: अजीत पवार जहां भाजपा के साथ गठबंधन में हैं, वहीं शरद पवार ने अब भी विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ को समर्थन दे रखा है। यह वैचारिक दूरी एक बड़ी बाधा बनी हुई है.
  • विश्वास की कमी: अजीत पवार द्वारा अचानक NDA में शामिल होना शरद पवार खेमे के लिए एक तरह का ‘धोखा’ माना गया, जिससे अब आपसी भरोसे की भारी कमी देखी जा रही है.
  • विधानसभा चुनाव की रणनीति: आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों गुटों की रणनीति अलग-अलग है. एक ओर अजीत गुट सत्ता की शक्ति के सहारे चुनावी मोर्चा साधना चाहता है, वहीं शरद पवार गुट जनता से जुड़ाव और पुराने सहयोगियों के साथ आगे बढ़ना चाहता है.

अजीत पवार गुट चाहता है राजनीतिक नेतृत्व की भूमिका

अजीत पवार गुट की ओर से यह संकेत लगातार मिलता रहा है कि वे राजनीतिक नेतृत्व में स्पष्ट भूमिका चाहते हैं, जबकि शरद पवार समर्थकों का मानना है कि पार्टी की वैचारिक विरासत और नेतृत्व में शरद पवार की भूमिका सर्वोपरि होनी चाहिए. इससे दोनों खेमों के बीच आपसी विश्वास की कमी अब तक बनी हुई है.

एकजुटता की कोशिशें जारी, लेकिन भरोसे की कमी

हाल के महीनों में यह चर्चा जोर पकड़ रही थी कि दोनों गुट जल्द ही एक मंच पर आ सकते हैं, लेकिन जिस तरह से बातचीत में रुकावटें आ रही हैं, उससे साफ है कि विलय की राह फिलहाल आसान नहीं है. दोनों पक्षों के नेता सार्वजनिक तौर पर तो एकजुटता की बात करते हैं, लेकिन पर्दे के पीछे मतभेद और भी गहरे हैं.

शरद पवार की सक्रियता और विपक्षी गठबंधन

शरद पवार की विपक्षी गठबंधन ’INDIA’ में सक्रिय भूमिका और भाजपा-विरोधी तेवर को देखते हुए अजीत पवार गुट के लिए खुद को उस लाइन के साथ जोड़ना राजनीतिक रूप से कठिन हो सकता है, खासकर जब वे NDA सरकार में भागीदार हैं. शरद पवार और अजीत पवार के बीच गहराते मतभेद अब सिर्फ पारिवारिक नहीं, बल्कि पूरी तरह राजनीतिक बन चुके हैं. आने वाले समय में यदि इन मतभेदों को दूर नहीं किया गया, तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का दोबारा एक होना एक लंबी और कठिन प्रक्रिया साबित हो सकता है. फिलहाल यह कहना गलत नहीं होगा कि चाचा-भतीजे के बीच सियासी दरार अब भी कायम है. हालांकि सुलह की कोशिशें पूरी तरह बंद नहीं हुई हैं, लेकिन जो मतभेद हैं, वे सिर्फ राजनीतिक नहीं, निजी और भावनात्मक भी बन चुके हैं. यही वजह है कि NCP की फिर से एकता की संभावनाएं हर बार चर्चा में आती हैं, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाता.

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है
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