डिजिटल अरेस्ट : साइबर ठगी का नया तरीका

Authored By: संतोष आनंद, तकनीकी विषयों के जानकार

Published On: Sunday, May 26, 2024

Categories: Technology

Updated On: Saturday, June 29, 2024

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हाल के दिनों में डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है। 'डिजिटल अरेस्ट' की चपेट में पढ़े-लिखे समझदार माने जाने वाले लोग भी आ जा रहे हैं, जिससे उन्हें मानसिक आघात के साथ लाखों-करोडों की चपत भी लग जा रही है। डिजिटल अरेस्ट के तहत लोगों को ब्लैकमेल करते हुए उन्हें जांच के नाम पर स्काइप या वीडियो काल पर तब तक उलझाए रखा जाता है, जब तक कि उनसे लाखों रुपये ट्रांसफर नहीं करा लिए जाते। आइए जानते हैं क्या है डिजिटल अरेस्ट और इससे बचने लिए किन बातों का ध्यान रखें...

डिजिटल अरेस्ट साइबर ठगी का एक नया तरीका है। इसके जरिए ब्लैकमेल करके लोगों से लाखों-करोड़ों रुपये की ठगी की जा रही है। इस मामले में खास बात यह है कि पढ़े-लिखे वकील, इंजीनियर, गवर्नमेंट सर्विस से जुड़े लोग आदि साइबर ठगों के शिकार बन रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट का मतलब है कि कोई आपको ऑनलाइन धमकी देकर वीडियो कॉलिंग के जरिए आप पर नजर रख रहा है। डिजिटल अरेस्ट के दौरान साइबर ठग नकली पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को धमकाते हैं और अपना शिकार बनाते हैं। हाल के दिनों में डिजिटल अरेस्ट के मामले तेजी से बढ़े हैं। जानें क्या है डिजिटल अरेस्ट और कैसे इससे बच सकते हैं? लेकिन इससे पहले जान लेते हैं डिजिटल अरेस्ट के जरिए कैसे लोगों को झांसे में लिया जा रहा है?

डिजिटल अरेस्ट से जुड़े हालिया मामले…

  • पहला केसः हाल ही डिजिटल अरेस्ट का नोएडा (यूपी) में आया है। इसमें साइबर ठग भारतीय रेलवे के सेवानिृवत्त जीएम को 24 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट कर 52.50 लाख रुपये की ठगी करता है। ठग ताइवान भेजे गए पार्सल में ड्रग्स, अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम से संबंध और मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी देकर इस डिजिटल अरेस्ट की घटना को अंजाम देता है।

  • दूसरा केसः डिजिटल अरेस्ट का दूसरा मामला यूपी के मुरादाबाद का है, जहां सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर को 29 घंटे तक घर में डिजिटल अरेस्ट कर 11 लाख 95 हजार 504 रुपये की चपत लगा देते हैं। इसमें ठग क्राइम ब्रांच अधिकारी बनकर इंजीनियर और उसकी पत्नी को घर में ही जांच के नाम पर फोन पर उलझाए रखता है और वेरिफिकेशन के नाम पर रकम ट्रांसफर करा लेता है।

  • तीसरा केसः यह मामला यूपी की राजधानी लखनऊ से जुड़ा है, जहां ठग खुद को सीबीआई और एनआईए अफसर बताकर रिटायर पीडब्ल्यूडी अधिकारी को डिजिटल अरेस्ट कर लेता है। ठग फोन पर धमकाते हुए दिल्ली से कंबोडिया भेजे गए उनके नाम से बुक पार्सल में पासपोर्ट और एटीएम कार्ड मिलने की बात कहता है और मनी लॉन्ड्रिंग का शक जाहिर करता है। इसके बाद फर्जी अफसर दहशत में आए पीड़ित से 30 लाख रुपये जमा करा लेता है।

डिजिटल अरेस्ट क्या है?

डिजिटल अरेस्ट साइबर क्राइम का एडवांस तरीका है। इसके जरिए साइबर ठग लोगों को फंसाने के लिए ब्लैकमेलिंग का खेल खेलता है और लोग उसके जाल में फंस जाते हैं। डिजिटल अरेस्ट में साइबर ठग वीडियो कॉल के जरिए लोगों को उसके घर में ही बंधक बना लेता है। सबसे पहले ठग पुलिस का अधिकारी बनकर वीडियो कॉल करता है। फिर बताता है कि आपका आधार कार्ड, सिम कार्ड, बैंक अकाउंट का उपयोग किसी गैरकानूनी कार्यों के लिए हुआ है। इसके बाद डराने-धमकाने का ‘खेल’ शुरू होता है। साइबर ठग गिरफ्तारी का डर दिखाकर आपको घर में ही कैद कर देते हैं। ठग वीडियो कॉल में अपने बैकग्राउंड को किसी पुलिस स्टेशन की तरह बना लेते हैं, जिसे देखकर पीड़ित डर जाता है और वह उनके बातों में आ जाता है। ठग जमानत की बात कहकर आपसे ठगी शुरू करते हैं। साथ ही, अपराधी वीडियो कॉल से न हटने देता है न ही किसी को कॉल करने देता है।

कैसे होता है डिजिटल अरेस्ट का खेल

  • डिजिटल अरेस्ट में नार्कोटिक्स, आईटी, ईडी आदि जैसी सरकारी एजेंसी और अधिकारी के नाम पर कॉल किया जाता है। इसलिए अगर आपको ऐसी कोई कॉल आती है, तो पहले कॉल करने वाले की पहचान और क्रेडेंशियल्स को वेरिफाई करें। इन विभागों द्वारा आमतौर पर सीधे इस तरह की कोई कॉल नहीं की जाती, इसलिए ऐसी कॉल्स को हमेशा संदिग्ध मानते हुए सावधान रहें।
  • इस तरह के फर्जी कॉल आने पर किसी भी परिस्थिति में अपनी गोपनीय जानकारी कभी भी उजाकर न करें। खासतौर पर बैंक खाते, पैन कार्ड या आधार कार्ड से जुड़ी जानकारी।
  • जब भी कोई आपके ऊपर इस तरह के कानूनी आरोप लगाएं, तो उनकी पुष्टि के लिए ऑफिशियल चैनलों के माध्यम से सरकारी एजेंसियों या अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश करें।
  • भारतीय कानून में डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज फिलहाल नहीं है। ऐसी कॉल आए तो घबराएं नहीं, कॉल को डिस्कनेक्ट कर दें। साथ ही, अपनी फैमिली और दोस्तों को भी इस बारे में अवगत कराएं।
  • आप इस तरह की कॉल आने पर 1930 या 112 पर डायल कर भी वेरिफाई कर सकते हैं।
  • डर का फायदा उठाकर कोई वर्दी पहनकर आ जाए, उस समय भी डरे नहीं, बल्कि 112 पर कॉल करें। पीसीआर (पुलिस) आएगी तो नकली पुलिस वाला खुद ही भाग जाएगा।
  • हमेशा सतर्क रहें और अज्ञात नंबरों से आने वाली अनचाही कॉल या टेक्स्ट पर बिल्कुल भी भरोसा न करें।
  • किसी के द्वारा कहे गए किसी भी ऐप को डाउनलोड न करें या उनके द्वारा भेजे गए लिंक पर क्लिक न करें।
  • आपके बेटे, बेटी, पत्नी, भाई, पिता, दोस्त आदि के नाम पर कोई आपको ब्लैकमेल करने का प्रयास करे, तो आपको किसी न किसी बहाने इसकी पुष्टि अवश्य कर लेनी चाहिए ताकि ब्लैकमेलर के झांसे में आने से बच सकें।
  • कई बार साइबर ठग आपके बेटे या बेटी के नाम उस समय कॉल करते हैं, जब वह कोई परीक्षा दे रहा होता है, क्योंकि ठग जानते हैं कि उस दौरान आप उन्हें फोन करके पुष्टि नहीं कर सकते हैं। ऐसे में आपको विशेष रूप से सावधान रहने की जरूरत है। ऐसे में आप परीक्षा भवन या बेटे/बेटी के दोस्तों से बात करके चेक कर सकते हैं।
  • इन कदमों से आप इस तरह के किसी भी स्कैम में फंसने से बच सकते हैं।

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