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कौन हैं संत चिन्मय दास, जिन्हें आज मिली है बांग्लादेश में राजद्रोह के केस में जमानत!
कौन हैं संत चिन्मय दास, जिन्हें आज मिली है बांग्लादेश में राजद्रोह के केस में जमानत!
Authored By: सतीश झा
Published On: Wednesday, April 30, 2025
Last Updated On: Wednesday, April 30, 2025
बांग्लादेश (Bangladesh) की उच्च न्यायालय ने हिंदू संत और इस्कॉन (ISCKON) के पूर्व नेता चिन्मय कृष्ण दास (Chinmoy Krishna Das) को राजद्रोह के मामले में जमानत दे दी. वे पिछले छह महीनों से जेल में बंद थे, जब उन्हें 25 नवंबर 2024 को ढाका एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था. उन पर आरोप था कि उन्होंने चटग्राम में आयोजित एक रैली के दौरान राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया, जिससे देशभर में विरोध और हिंसा फैल गई थी.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Wednesday, April 30, 2025
Chinmoy Krishna Das Bail : बांग्लादेश की उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मोहम्मद अताउर रहमान और न्यायमूर्ति मोहम्मद अली रजा की खंडपीठ ने चिन्मय की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सुनाया. चिन्मय की ओर से यह याचिका उनके वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने 23 अप्रैल 2025 को प्रस्तुत की थी. याचिका में बिगड़ते स्वास्थ्य और बिना मुकदमे के लंबे समय तक हिरासत में रखे जाने को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की गई थी.
कौन हैं चिन्मय कृष्ण दास?
चिन्मय कृष्ण दास (Chinmoy Krishna Das), जिनका वास्तविक नाम चंदन कुमार धर है, बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के एक प्रभावशाली नेता और पूर्व इस्कॉन (ISCKON) पुजारी हैं. वे “संमिलित सनातनी जागरण जोटे” नामक संगठन के प्रवक्ता हैं, जो हिंदू अल्पसंख्यकों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के लिए सक्रिय है. उन्होंने बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यक मंत्रालय की स्थापना, उत्पीड़न के मामलों की फास्ट ट्रैक सुनवाई के लिए विशेष न्यायाधिकरण और अल्पसंख्यक संरक्षण कानून बनाने जैसी मांगें रखी हैं.
गिरफ्तारी और उत्पन्न विवाद
25 अक्टूबर 2024 को चटग्राम के लालदिघी मैदान में हुई रैली में चिन्मय दास और उनके समर्थकों पर आरोप लगा कि उन्होंने बांग्लादेश के झंडे के ऊपर भगवा ध्वज फहराया, जिसे राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान माना गया. इसके बाद 31 अक्टूबर को उनके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया और 25 नवंबर को उनकी गिरफ्तारी हुई. इस घटना के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए, जिनमें एक वकील की मृत्यु भी हुई.
जमानत और कानूनी प्रक्रिया
चिन्मय दास की जमानत पर सुनवाई न्यायमूर्ति मोहम्मद अताउर रहमान और न्यायमूर्ति मोहम्मद अली रजा की पीठ ने की. उनके वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने अदालत में कहा कि उनकी स्वास्थ्य स्थिति खराब हो रही है और उन्हें बिना मुकदमे के लंबे समय से हिरासत में रखा गया है. यदि सुप्रीम कोर्ट इस फैसले पर रोक नहीं लगाता, तो उन्हें जल्द ही जेल से रिहा किया जा सकता है.
भारत-बांग्लादेश संबंधों पर प्रभाव
चिन्मय दास की गिरफ्तारी और उसके बाद की घटनाओं ने भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव उत्पन्न किया है. भारत के कई संगठनों ने इस गिरफ्तारी की कड़ी आलोचना की और बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सवाल उठाए. बांग्लादेश सरकार ने सफाई दी कि यह मामला पूर्ण रूप से न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है. इसमें कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं किया गया है.
चिन्मय कृष्ण दास को मिली जमानत ने बांग्लादेश में धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों को लेकर नई बहस छेड़ दी है. अब निगाह इस बात पर टिकी है कि बांग्लादेश सरकार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और संवैधानिक अधिकारों के संरक्षण के लिए क्या कदम उठाएगी.