pope francis: क्या था पोप फ्रांसिस का असली नाम, 21 साल की उम्र में हुई थी कौन सी खतरनाक बीमारी; जानिये और भी कई रोचक बातें

pope francis: क्या था पोप फ्रांसिस का असली नाम, 21 साल की उम्र में हुई थी कौन सी खतरनाक बीमारी; जानिये और भी कई रोचक बातें

Authored By: JP Yadav

Published On: Monday, April 21, 2025

Last Updated On: Monday, April 21, 2025

pope francis: क्या था पोप फ्रांसिस का असली नाम, 21 साल की उम्र में हुई थी कौन सी खतरनाक बीमारी; जानिये और भी कई रोचक बातें
pope francis: क्या था पोप फ्रांसिस का असली नाम, 21 साल की उम्र में हुई थी कौन सी खतरनाक बीमारी; जानिये और भी कई रोचक बातें

pope francis : पोप फ्रांसिस का ईस्टर (सोमवार) पर 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उनके निधन से पूरी दुनिया में शोक की लहर है. इस स्टोरी में जानते हैं पोप के बारे में रोचक बातें.

Authored By: JP Yadav

Last Updated On: Monday, April 21, 2025

pope francis : ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरू पोप फ्रांसिस का निधन हो गया है. पोप फ्रांसिस ने ईस्टर (सोमवार, 21 अप्रैल, 2025) को 88 वर्ष की आयु में वेटिकन के कासा सांता मार्टा स्थित अपने निवास पर अंतिम सांस ली. डेविन वॉटकिंस द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, सुबह 9:45 बजे कार्डिनल केविन फैरेल, अपोस्टोलिक चैंबर के कैमरलेंगो (Cardinal Kevin Farrell) ने कासा सांता मार्टा से पोप फ्रांसिस की मृत्यु की घोषणा.

क्या कहा निधन पर

प्रिय भाइयों और बहनों, मुझे बहुत दुख के साथ हमारे पवित्र पिता फ्रांसिस की मृत्यु की घोषणा करता हूं. आज सुबह 7:35 बजे रोम के बिशप फ्रांसिस पितायानी घर लौट लौट गए. उनका पूरा जीवन प्रभु और उनके चर्च की सेवा के लिए समर्पित था. उन्होंने हमें निष्ठा, साहस और सार्वभौमिक प्रेम के साथ सुसमाचार के मूल्यों को जीना सिखाया. विशेष रूप से वह सबसे गरीब और सबसे हाशिए पर पड़े लोगों के पक्ष में रहे. प्रभु यीशु के सच्चे शिष्य के रूप में उनके उदाहरण के लिए अपार कृतज्ञता के साथ हम पोप फ्रांसिस की आत्मा को एक और त्रिदेव ईश्वर के असीम दयालु प्रेम के लिए समर्पित करते हैं.

ब्रोंकाइटिस से पीड़ित होने के बाद अस्पताल में कराया गया था भर्ती

यहां पर बता दें कि पोप को कई दिनों तक ब्रोंकाइटिस से पीड़ित होने के बाद शुक्रवार 14 फरवरी, 2025 को एगोस्टिनो जेमेली पॉलीक्लिनिक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. पोप फ्रांसिस की नैदानिक ​​स्थिति धीरे-धीरे खराब होती गई और उनके डॉक्टरों ने मंगलवार, 18 फरवरी को द्विपक्षीय निमोनिया का निदान किया. अस्पताल में 38 दिनों के बाद, दिवंगत पोप अपने स्वास्थ्य लाभ को जारी रखने के लिए कासा सांता मार्टा में अपने वेटिकन निवास पर लौट आए.

उम्र के साथ बढ़ीं दिक्कतें

1957 में अपने शुरुआती 20 दशक के दौरान जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो ने अपने मूल अर्जेंटीना में अपने फेफड़े के एक हिस्से को हटाने के लिए सर्जरी करवाई थी जो एक गंभीर श्वसन संक्रमण से प्रभावित था. बताया जा रहा है कि जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती गई. पोप फ्रांसिस को अक्सर श्वसन संबंधी बीमारियों का सामना करना पड़ा. यहां तक कि इन्फ्लूएंजा और फेफड़ों की सूजन के कारण नवंबर 2023 में संयुक्त अरब अमीरात की अपनी योजनाबद्ध यात्रा भी रद्द कर दी.

जानें पॉप फ्रांसिस के बारे में

  • पोप फ्रांसिस बीते दिनों गंभीर रूप से बीमार हुए थे और हाल ही में अस्पताल से डिस्चार्ज हुए थे.
  • पोप फ्रांसिस पहले लैटिन अमेरिकी धर्मगुरु थे, जो पोप के पद पर पहुंचे.
  • साल 2013 में पोप की उपाधि मिली थी.
  • पोप ने अपने 12 साल के कार्यकाल में पोप फ्रांसिस ने कई अहम काम किए.
  • पोप फ्रांसिस का जन्म 17 दिसंबर 1936 में अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में हुआ था.
  • उनका नाम जोर्गे मारियो बर्गोलियो था.
  • पोप की उपाधि पाने वाले पोप फ्रांसिस पहले जेसुइट थे.
  • धर्म की राह पर आने से पहले जोर्गे मारियो बर्गोलियो ने बतौर केमिकल टेक्निशियन अपने करियर का शुरुआत की और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में लंबे समय तक काम किया.
  • उनका धर्म की तरफ झुकाव बढ़ा और वे चर्च से जुड़ गए.
  • साल 1958 में वे ईसाई धर्म की एक परंपरा जेसुइट से जुड़ गए और धार्मिक शिक्षा देना शुरू कर दिया.
  • साल 1969 में वे पादरी बने.
  • 21 साल की उम्र में वह न्यूमोनिया से पीड़ित हो गए, इसके चलते उनके फेफड़े का एक हिस्सा भी निकालना पड़ा.

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About the Author: JP Yadav
जेपी यादव डेढ़ दशक से भी अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। वह प्रिंट और डिजिटल मीडिया, दोनों में समान रूप से पकड़ रखते हैं। अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक हिंदुस्तान, लाइव टाइम्स, ज़ी न्यूज और भारत 24 जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में अपनी सेवाएं दी हैं। कई बाल कहानियां भी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं. मनोरंजन, साहित्य और राजनीति से संबंधित मुद्दों पर कलम अधिक चलती है। टीवी और थिएटर के प्रति गहरी रुचि रखते हुए जेपी यादव ने दूरदर्शन पर प्रसारित धारावाहिक 'गागर में सागर' और 'जज्बा' में सहायक लेखक के तौर पर योगदान दिया है. इसके अलावा, उन्होंने शॉर्ट फिल्म 'चिराग' में अभिनय भी किया है।
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