UN80 Initiative : संयुक्त राष्ट्र क्या अपनी नई पहल से वैश्विक चुनौतियों से निपटने में सक्षम हो पाएगा?

UN80 Initiative : संयुक्त राष्ट्र क्या अपनी नई पहल से वैश्विक चुनौतियों से निपटने में सक्षम हो पाएगा?

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Published On: Monday, March 17, 2025

Updated On: Monday, March 17, 2025

UN80 Initiative पर संयुक्त राष्ट्र की नई पहल और इसकी वैश्विक चुनौतियों से निपटने की क्षमता पर एक विस्तृत विश्लेषण।
UN80 Initiative पर संयुक्त राष्ट्र की नई पहल और इसकी वैश्विक चुनौतियों से निपटने की क्षमता पर एक विस्तृत विश्लेषण।

इसी साल 24 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र (United Nations) 80वीं वर्षगांठ मनाएगा. उससे पहले संयुक्त राष्ट्र (यूएन) महासचिव ने इसमें सुधार के लिए एक नई पहल शुरू की है. ताकि यूएन दुनिया की चुनौतियों से निपटने के लिए सक्षम हो सके. संयुक्त राष्ट्र पिछले कुछ वर्षों से फंडिंग कटौती की समस्या से भी जूझ रहा है.

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Updated On: Monday, March 17, 2025

हाईलाइट

  • पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र ने यूएन80 पहल शुरू किया है.
  • इसकी घोषणा संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने की.
  • इसके तहत यूएन फंडिंग कटौती से लेकर वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए खुद को तैयार करेगा.
  • अमेरिका में ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से यूएन-अमेरिका संबंधों में खटास बढ़ गया है.

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र में सुधार के लिए एक नई पहल शुरू की. संयुक्त राष्ट्र इसी साल 24 अक्टूबर को अपनी 80वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है. इसलिए इन्होंने नई पहल का नाम यूएन80 (UN80 Initiative) रखा है. दरअसल, पिछले कई वर्षों से संयुक्त राष्ट्र की उपयोगिता पर ही सवाल उठाने लगे हैं. क्योंकि 193 सदस्यीय यह वैश्विक संगठन मजबूत देशों के खिलाफ कोई बड़ा कदम उठाने में अभी तक असफल रहा है.

कई देशों ने इसकी फंडिंग में भी बड़ी कटौती किया है. इस कारण संयुक्त राष्ट्र फंडिंग की कमी से भी जूझ रहा है. इसीलिए फंडिंग की कमी से लेकर दुनिया की चुनौतियों से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र खुद को तत्काल अपडेट करने की जरूरत महसूस करने लगा है.

यूएन 80 पहल का उद्देश्य

महासचिव गुटेरेस ने यूएन80 पहल की शुरुआत करने के दौरान कहा, ‘यह उस काम की निरंतरता और गहनता के लिए है, जो हम हमेशा से करते आ रहे हैं. यूएन80 पहल का उद्देश्य सदस्य देशों को संगठन के काम करने के तरीके में सुधार के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करना. सुरक्षा परिषद और महासभा से जनादेश की बढ़ती संख्या की समीक्षा करना. साथ ही संचालन को और सुव्यवस्थित करने के लिए संरचनात्मक परिवर्तन करना जरूरी है.’

यूएन80 का नेतृत्व संयुक्त राष्ट्र के नीति उप-महासचिव गाय राइडर को सौंपा गया है. राइडर यूएन प्रणाली के शीर्ष अधिकारियों के एक टास्क फोर्स का नेतृत्व करेंगे. इस पहल में यूएन सचिवालय सहित इसकी सभी एजेंसियां, जिनेवा, नैरोबी और वियना में स्थित कार्यालय शामिल होंगे. महासचिव ने यह भी बताया कि यूएन80 पहल केवल संयुक्त राष्ट्र में सुधार के लिए नहीं है, बल्कि उन लोगों की बेहतर सेवा करने के बारे में है, जिनका जीवन हम पर निर्भर करता है.

यूएन की चिंता क्या है?

संयुक्त राष्ट्र की सबसे बड़ी चिंता महासचिव, यूएन प्रशासन और अधिकांश सदस्य देशों के चाहने के बावजूद इसमें सुधार न होना है. अभी भी इस पर कुछ विकसित देशों का कब्जा है. साथ ही इसे विभिन्न शक्तियों, नई तकनीक और अधिक वैश्विक विभाजन के साथ एक आधुनिक सुधार न कर पाना भी इसकी सबसे बड़ी चिंता है.

यूएन पर क्यों उठ रहे हैं सवाल

संयुक्त राष्ट्र पर सवाल लगातार उठते रहे हैं. इसका कारण यह है कि यूएन ने संघर्षों में कमी, गरीबी को कम करने में अपर्याप्त प्रगति, अंतरराष्ट्रीय कानून का व्यापक उल्लंघन, मानवाधिकारों का उल्लंघन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) सहित नई तकनीकों के लिए सुरक्षा की कमी है.

युद्ध रोकने में नाकामयाब क्यों?

सुरक्षा परिषद का नेतृत्व महासचिव करता है. वही यूएन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी हैं. लेकिन इनके पास ज्यादा कुछ शक्ति नहीं है. संयुक्त राष्ट्र की शक्ति 193 सदस्य देशों के पास है. इसमें सुरक्षा परिषद सर्व शक्तिशाली है. सुरक्षा परिषद में शामिल पांच सदस्यों के पास वीटो लगाने की शक्ति है. इस कारण संयुक्त राष्ट्र किसी बड़े देशों के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर पाता है.

यही कारण है कि वह किसी युद्ध को भी रोक नहीं पाता है. संयुक्त राष्ट्र, अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने में विफल रहा है. सबसे ताजा उदाहरण रूस-यूक्रेन युद्ध है. दो सालों से अधिक समय से चल रहे इस युद्ध को संयुक्त राष्ट्र रोक नहीं पाया. उसी प्रकार गाजा, सूडान और कांगो में युद्ध शुरू होने से नहीं रोक सका. क्योंकि सुरक्षा परिषद में कोई न कोई देश वीटो लगाकर निर्णय तक पहुंचने नहीं देता है.

यूएन मुख्यतः लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने तक सीमित हो गया है. साथ ही यह युद्ध एवं संघर्षों के बाद शरणार्थियों एवं बच्चों की मदद करने से ज्यादा कुछ नहीं कर पा रहा है.

अमेरिका और यूएन में बिगड़ते रिश्ते

ट्रंप के सत्ता में आते ही यूएन से उनके रिश्ते खराब होने शुरू हो गए. अपने पिछले कार्यकाल के दौरान भी ट्रंप ने यूएन की फंडिंग में भारी कटौती कर दिया था. राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसमें कहा गया कि कुछ संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां और निकाय शांति को बढ़ावा देने और भविष्य में वैश्विक संघर्षों को रोकने के अपने मिशन से भटक गए हैं. उन्होंने उनके संचालन की समीक्षा का आदेश भी दे दिया है.

ट्रंप ने कहा है, ‘मेरा स्पष्ट मानना है कि संयुक्त राष्ट्र में जबरदस्त क्षमता है. पर वह अभी उस क्षमता के अनुरूप कार्य नहीं कर पा रहा है. उन्हें अपने काम को सही दिशा में लाना ही होगा.’ ट्रंप प्रशासन ने मानवीय सहायता के लिए जिम्मेदार यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) को खत्म कर दिया है. साथ ही यूएसएआईडी के 83 प्रतिशत कार्यक्रमों में भी कटौती की गई है. दरअसल, यही डिपार्टमेंट यूएन के मानवीय सहायता कार्यक्रमों में मदद करता है. यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) सहित अन्य देश भी मानवीय सहायता में कटौती कर रहे हैं.

फंडिंग की कमी

फंडिंग की कमी यूएन की सबसे बड़ी समस्या बनती जा रही है. महासचिव गुटेरेस ने कहा है कि यूएन के संसाधन कम होते जा रहे हैं. कम से कम पिछले सात वर्षों से यूएन को मिलने वाली फंडिंग संकट की ओर इशारा कर रहे हैं. क्योंकि सभी सदस्य देश अपने वार्षिक बकाया का भुगतान नहीं करते हैं. जो कर रहे हैं, उनमें से कई समय पर भुगतान नहीं कर रहे हैं.

यूएन का बजट

पिछले दिसंबर में स्वीकृत 2025 के लिए संयुक्त राष्ट्र का बजट 3.72 बिलियन डॉलर है. अभी भी अमेरिका यूएन को सबसे अधिक फंडिंग करने वाला देश है. उसके बाद चीन है. यूएन को उम्मीद है कि अमेरिका से उसे 22 प्रतिशत फंड का भुगतान होगा. दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले चीन ने अभी अपना हिस्सा बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया है.

गुंजन शांडिल्य समसामयिक मुद्दों पर गहरी समझ और पटकथा लेखन में दक्षता के साथ 10 वर्षों से अधिक का अनुभव रखते हैं। पत्रकारिता की पारंपरिक और आधुनिक शैलियों के साथ कदम मिलाकर चलने में निपुण, गुंजन ने पाठकों और दर्शकों को जोड़ने और विषयों को सहजता से समझाने में उत्कृष्टता हासिल की है। वह समसामयिक मुद्दों पर न केवल स्पष्ट और गहराई से लिखते हैं, बल्कि पटकथा लेखन में भी उनकी दक्षता ने उन्हें एक अलग पहचान दी है। उनकी लेखनी में विषय की गंभीरता और प्रस्तुति की रोचकता का अनूठा संगम दिखाई देता है।
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