कितनी घातक है हाशिमोटो, जिससे पीड़ित हैं आजकल अर्जुन कपूर

कितनी घातक है हाशिमोटो, जिससे पीड़ित हैं आजकल अर्जुन कपूर

Authored By: सतीश झा

Published On: Friday, November 8, 2024

bollywood actor arjun kapoor

हाशिमोटो थायरॉयडिटिस (Hashimoto’s Thyroiditis) एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से थायरॉयड ग्रंथि पर हमला करती है। यह स्थिति शरीर में थायरॉयड हार्मोन के निर्माण को प्रभावित करती है, जिससे हाइपोथायरॉयडिज्म (थायरॉयड हार्मोन की कमी) का खतरा बढ़ जाता है। अर्जुन कपूर हाल ही में हाशिमोटो थायरॉयडिटिस से प्रभावित हुए हैं, जिससे लोगों में इस बीमारी को लेकर चिंता बढ़ गई है।

बॉलीवुड एक्टर अर्जुन कपूर (Bollywood Actor Arjun Kapoor) इन दिनों अपनी फिल्म ‘सिंघम अगेन’ को लेकर सुर्खियों में हैं। इस फिल्म में अर्जुन कपूर ने विलेन का किरदार निभाया है। इस फिल्म में अर्जुन का किरदार दर्शकों को काफी पसंद आया है। हाल ही में एक इंटरव्यू में अर्जुन ने बताया कि उनकी फिल्मों ने उनकी सेहत पर असर पड़ा है। वह हाशिमोटो बीमारी से पीड़ित हैं।

हाशिमोटो थायरॉयडिटिस के लक्षण

  • थकान: यह सबसे सामान्य लक्षण है, क्योंकि थायरॉयड हार्मोन की कमी से मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है।
  • वजन बढ़ना: थायरॉयड हार्मोन की कमी के कारण मेटाबॉलिज्म धीमा हो सकता है, जिससे वजन बढ़ता है।
  • बालों का झड़ना और त्वचा का सूखापन: थायरॉयड हार्मोन की कमी से त्वचा और बालों पर असर पड़ता है।
  • मूड में बदलाव: यह बीमारी अवसाद, चिंता और मूड स्विंग्स का कारण बन सकती है।
  • स्मरणशक्ति की समस्या: थायरॉयड हार्मोन की कमी से मस्तिष्क में भी धीमापन आ सकता है, जिससे स्मरणशक्ति प्रभावित होती है।

कितनी गंभीर हो सकती है यह बीमारी?

अगर हाशिमोटो थायरॉयडिटिस का समय पर इलाज न किया जाए, तो यह हृदय रोग, उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर, और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसी जटिलताओं का कारण बन सकती है। सही इलाज और जीवनशैली में बदलाव से इसे नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन पूरी तरह ठीक करना मुश्किल है।

इलाज और सावधानियां

हाशिमोटो थायरॉयडिटिस का मुख्य इलाज थायरॉयड हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी है, जिसमें सिंथेटिक थायरॉयड हार्मोन दिया जाता है। इसके अलावा, स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और तनाव प्रबंधन पर ध्यान देना भी महत्वपूर्ण होता है।

नहीं चलती है फिल्में तो होता है सवाल

अर्जुन कपूर ने इंटरव्यू में कहा कि, ’जब आपकी फिल्में नहीं चलती हैं तो आप खुद से सवाल करना शुरू कर देते हैं। यह मेरे साथ भी हुआ। जिनकी जान फिल्में हैं। मैंने फिल्मों का आनंद लेना बंद कर दिया था।’ मैं अचानक दूसरे लोगों के काम को देख रहा था और खुद से पूछ रहा था कि क्या मैं यह कर सकता हूं और क्या मुझे यह अवसर मिलेगा। कुछ देर बाद मुझे एहसास हुआ कि कुछ दिक्कत है। फिर मैंने थेरेपी शुरू की।’

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थेरेपी से नहीं मिल रहा है कोई लाभ

अर्जुन कपूर का कहना है कि मैंने थेरेपी शुरू की, कुछ थेरेपिस्ट के पास गया लेकिन इससे कोई फायदा नहीं हुआ। फिर मैं किसी ऐसे व्यक्ति से मिला जिसने मुझे बात करने का मौका दिया। उसने मुझे बताया कि मैं उदास था। मैं कभी भी इसके बारे में खुलकर बात नहीं कर सका, लेकिन मैं हाशिमोटो था। एक ऑटोइम्यून बीमारी जो थायराइड को नुकसान पहुंचाती है। उदाहरण के लिए, अगर मैं यात्रा कर रहा हूं और मेरा दिमाग सोचता है कि मैं मुसीबत में हूं, तो मेरा वजन बढ़ जाता है। जब मैं 30 साल का था, तब मुझे ये बीमारी हुई, मेरी मां को भी ये बीमारी थी और मेरी बहन अंशुला को भी ये बीमारी है।’

अर्जुन ने कहा, “यह मेरे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डालता है। इससे कई शारीरिक समस्याएं होती हैं। इसका असर मेरी जीवनशैली पर भी पड़ता है। शरीर में ऊर्जा का स्तर धीरे-धीरे कम होने लगता है। एक अभिनेता होने के नाते मैं अपनी सेहत पर ज्यादा ध्यान देता हूं।“

(हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी के इनपुट के साथ)

About the Author: सतीश झा
समसामायिक मुद्दों पर बीते दो दशक से लेखन। समाज को लोकदृष्टि से देखते हुए उसे शब्द रूप में सभी के सामने लाने की कोशिश।

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