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Magha Purnima 2025 : प्रार्थना-पूजा और दान से माघी पूर्णिमा पर मिलता है श्री विष्णु का आशीर्वाद
Magha Purnima 2025 : प्रार्थना-पूजा और दान से माघी पूर्णिमा पर मिलता है श्री विष्णु का आशीर्वाद
Authored By: स्मिता
Published On: Monday, February 10, 2025
Updated On: Wednesday, February 12, 2025
12 फरवरी, बुधवार को माघ पूर्णिमा (Magha Purnima 2025) है. आध्यात्मिक दृष्टिकोण से माघ महीना और माघ पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व है. मान्यता है कि माघ पूर्णिमा को पूजा-अर्चना, व्रत-उपवास, दान-प्रार्थना करने से मन-तन दोनों पवित्र होते हैं. श्री विष्णु का दिव्य आशीर्वाद मिलता है.
Authored By: स्मिता
Updated On: Wednesday, February 12, 2025
Magha Purnima 2025: हिंदू कैलेंडर में माघ का महीना पवित्र और सौभाग्यशाली माना जाता है. यह स्नान, दान और प्रार्थना करने जैसी आध्यात्मिक कार्यों का समय है. माघ के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करना, विशेष रूप से प्रयाग में शुभ माना जाता है. माघ के मौनी अमावस्या के दिन गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान करना लाभकारी माना जाता है. माघ का बसंत पंचमी वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है. जैसे-जैसे माघ आगे बढ़ता है, मौसम ठंडा से गर्म होता जाता है, दिन लंबे और रातें छोटी होती जाती हैं. सिख धर्म में माघी शहीद चाली मुक्ते को सम्मानित करता है, जो गुरु गोबिंद सिंह पर हमले का विरोध करते हुए मारे गए थे. माघ पूर्णिमा (Magha Purnima 2025) का भी आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है.
माघ पूर्णिमा 2025 का महत्व (Magha Purnima Significance)
माघ पूर्णिमा हिंदुओं के बीच धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखती है. विभिन्न पूजा अनुष्ठान करने के लिए सबसे शुभ दिनों में से यह एक माना जाता है. माघ पूर्णिमा तमिलनाडु के लोगों के बीच सांस्कृतिक महत्व भी रखती है, क्योंकि वहां बड़े उत्साह के साथ फ्लोट फेस्टिवल मनाया जाता है. मान्यता है कि माघ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से सुख, शांति और समृद्धि मिलती है.
माघ पूर्णिमा 2025 पर क्या करें (Magha Purnima 2025 Rituals)
अध्यात्म के ज्ञाता और ज्योतिषाचार्य अनिल शास्त्री बताते हैं, ‘इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें. नदी में भी स्नान किया जाता है. माना जाता है कि माघ पूर्णिमा (Magha Purnima 2025 Rituals) पर गंगा में डुबकी लगाने से आत्मा शुद्ध होती है और स्नान करने वाले का आध्यात्मिक कल्याण होता है. इस दिन भक्त उपवास रखकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. भगवान विष्णु के एक रूप भगवान सत्यनारायण की पूजा होती है.
भक्त एक वेदी स्थापित कर श्री यंत्र के साथ भगवान सत्यनारायण की मूर्ति रखते हैं. मूर्ति के सामने एक दीया जलाते हैं. मंत्रों का जाप कर देवताओं का आह्वान करते हैं. “ओम नमो भगवते वासुदेवाय”, “ओम नमो नारायण” का जाप 108 बार किया जाता है. “सत्यनारायण कथा” का भी पाठ किया जाता है. जरूरतमंद लोगों को भोजन, कपड़े और अन्य जरूरी सामान देने से चित्त प्रसन्न होता है.’
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