किसके सिर सजेगा प्रदेश अध्यक्ष का ताज? झारखंड BJP में दौड़ तेज

किसके सिर सजेगा प्रदेश अध्यक्ष का ताज? झारखंड BJP में दौड़ तेज

Authored By: सतीश झा

Published On: Saturday, March 15, 2025

Updated On: Saturday, March 15, 2025

झारखंड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की रेस तेज, जल्द होगा नए नेता का चयन।
झारखंड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की रेस तेज, जल्द होगा नए नेता का चयन।

झारखंड की सत्ता से दूर भाजपा अब संगठन को पहले से अधिक मजबूत बनाने के लिए काम कर रही है. नियमित प्रक्रिया के तहत प्रदेश का अध्यक्ष बनाया जाना है. वर्तमान में यह पद बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) के पास है, जिन्हें झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया. इसके बाद से ही रांची से लेकर दिल्ली तक बैठकों का दौर जारी है. संघ (RSS) और भाजपा (BJP) संगठन के बीच विमर्श जारी है. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास (Raghuwar Das), पूर्व शिक्षा मंत्री नीरा यादव (Neera Yadav), पूर्व सांसद सुनील कुमार सिंह (Sunil Kumar Singh) सहित कई अन्य नामों पर भी गुणा-भाग बिठाया जा रहा है.

Authored By: सतीश झा

Updated On: Saturday, March 15, 2025

Jharkhand Politics: झारखंड में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की रेस में रघुबर दास, नीरा यादव, सुनील कुमार सिंह के साथ कई अन्य नाम भी हैं, जो सियासी लोगों की जुबान पर है. असल में, पार्टी नेतृत्व ऐसे नेता की तलाश में है, जो संगठन को मजबूती देने के साथ-साथ आगामी चुनावों में भाजपा को मजबूत स्थिति में पहुंचा सके. इस दौर में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और पूर्व मंत्री सीपी सिंह भी हैं. हालांकि, सभी को यह पता है कि अंतिम मुहर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से ही लगेगी.

बाबूलाल के हटने से रघुबर दास सबसे आगे

झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) को जैसे ही भाजपा ने विधायक दल का नेता बनाया, उसके बाद से ही यह तय हो गया कि उनकी जगह प्रदेश का कोई नया अध्यक्ष बनाया जाएगा. आदिवासी समुदाय से जब नेता प्रतिपक्ष बनाया गया, तो अब ओबीसी के स्थापित चेहरा रघुबर दास (Raghuwar Das) पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. बीते दिनों ओडिशा के राज्यपाल पद से भी इन्हें हटाया गया. उसके बाद से रघुबर दास (Raghuwar Das) सक्रिय राजनीति में दिख रहे हैं. उनकी सक्रियता के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं.

पूर्व शिक्षा मंत्री नीरा यादव भी रेस में

कोडरमा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली नीरा यादव (Neera Yadav) का नाम भी सियासी हलकों में लिया जा रहा है. भाजपा सरकार के शिक्षा मंत्री का दायित्व संभाल चुकी हैं. सरकार का अनुभव है. साथ ही महिलाओं के बीच इनकी स्वीकार्यता भी है.

कहा तो यह भी जा रहा है कि झारखंड में यदि महिला प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाता है, तो इसी साल के अंत तक होने वाले पड़ोसी राज्य बिहार के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा इसका लाभ ले सकती है. वर्तमान में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के पक्ष में महिलाओं का झुकाव अधिक बताया जा रहा है.

चतरा से सुनील सिंह की भी है दावेदारी

चतरा लोकसभा सीट से दो बार के सांसद रहे सुनील कुमार सिंह (Sunil Kumar Singh) को भी कई नेता झारखंड प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में मान रहे हैं. वर्ष 2024 और 2019 के लोकसभा चुनाव में इन्हें भारतीय जनता पार्टी ने टिकट दिया था और दोनों बार वे विजयी हुए. पार्टीगत रणनीति के तहत इन्हें 2024 में लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं मिला. वर्तमान में ये संगठन के काम में ही लगाए गए हैं. ऐसे में दिल्ली की रजामंदी पर इन्हें प्रदेश संगठन को और अधिक सशक्त करने की जिम्मेदारी मिल सकती है.

आदिवासी नेताओं से भी ली जा रही है रायशुमारी

पार्टी से जुड़े लोगों का कहना है कि आगामी विधानसभा चुनावों और 2029 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए पार्टी झारखंड में नेतृत्व परिवर्तन कर सकती है. पार्टी नेतृत्व किसी ऐसे चेहरे को आगे लाना चाहता है, जो संगठन को ऊर्जा देने के साथ-साथ क्षेत्रीय समीकरणों को भी साध सके. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने झारखंड यात्रा के दौरान आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर पार्टी की रणनीति पर विस्तार से चर्चा की. BJP की विस्तारित कार्यसमिति बैठक में उन्होंने संगठन की ताकत, चुनावी मुद्दों और खासकर आदिवासी सीटों पर पार्टी की मजबूती को लेकर विचार किया.

आदिवासी वोटबैंक को साधने की योजना

झारखंड में आदिवासी वोटों को BJP के पक्ष में लाने के लिए पार्टी ने नई रणनीति बनाई है. ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के झारखंड दौरे की योजना बनाई गई है. पार्टी आदिवासी समुदायों के बीच राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और इन दोनों मुख्यमंत्रियों के नाम पर नैरेटिव तैयार करेगी. पिछले चुनाव में आदिवासी सीटों पर BJP की हार
2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड की 28 आदिवासी आरक्षित सीटों में से BJP सिर्फ 2 पर जीत दर्ज कर पाई थी, जबकि 26 सीटों पर हार हुई थी. इसके बाद बाबूलाल मरांडी की घर वापसी से पार्टी के आदिवासी विधायकों की संख्या 3 हो गई, लेकिन मरांडी खुद सामान्य सीट (राजधनवार) से जीते थे.

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है
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