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Varuthini Ekadashi 2025: वरुथिनी एकादशी व्रत रखने से मिल सकता है एक हज़ार साल की तपस्या के बराबर पुण्य
Varuthini Ekadashi 2025: वरुथिनी एकादशी व्रत रखने से मिल सकता है एक हज़ार साल की तपस्या के बराबर पुण्य
Authored By: स्मिता
Published On: Tuesday, April 15, 2025
Updated On: Tuesday, April 15, 2025
Varuthini Ekadashi 2025: वरुथिनी एकादशी या बरुथनी एकादशी श्रीविष्णु जी के पांचवें अवतार भगवान वामन को समर्पित है. श्रीविष्णु जी से घर-परिवार की सुरक्षा, समृद्धि और आध्यात्मिक विकास का आशीर्वाद मांगने के लिए यह व्रत किया जाता है. 24 अप्रैल को वरुथिनी एकादशी है. यह व्रत रखने से एक हज़ार साल की तपस्या के बराबर पुण्य मिलता है.
Authored By: स्मिता
Updated On: Tuesday, April 15, 2025
Varuthini Ekadashi 2025: एकादशी हिंदू कैलेंडर में चंद्र पखवाड़े के ग्यारहवें दिन को संदर्भित करता है. यह महीने में दो बार आता है, एक बार शुक्ल पक्ष के दौरान और एक बार कृष्ण पक्ष के दौरान. एकादशी भगवान विष्णु के लिए उपवास और भक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है. स्वयं को अध्यात्म के पथ पर अग्रसर करने और संपूर्ण परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए भक्तगण एकादशी का व्रत रखते हैं. . वरुथिनी एकादशी या बरुथनी एकादशी वैशाख महीने में कृष्ण पक्ष के 11वें दिन पड़ती है. 24 अप्रैल 2025 को वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2025) है.
श्रीविष्णु के पांचवें अवतार भगवान वामन को समर्पित यह दिन (Shree Vishnu Vamana Avatar)
वरुथिनी एकादशी को बरुथनी एकादशी भी कहा जाता है. वैशाख (अप्रैल-मई) के महीने में कृष्ण पक्ष (चंद्रमा का अमावस्या वाला चरण) के 11वें दिन एकादशी पड़ती है. यह पवित्र दिन भगवान विष्णु के पांचवें अवतार भगवान वामन को समर्पित है. इस दिन भक्त कठोर उपवास रखते हैं और सुरक्षा, समृद्धि और आध्यात्मिक विकास के लिए श्रीविष्णु जी से प्रार्थना करते हैं.
वरुथिनी एकादशी का महत्व (Significance of Vamana Avatar)
पद्म पुराण में वरुथिनी एकादशी के महत्व पर प्रकाश डाला गया है. भगवान श्रीकृष्ण स्वयं राजा युधिष्ठिर से इस एकादशी का महत्व बताते हैं. माना जाता है कि इस एकादशी का पालन भक्तों को दुर्भाग्य से बचाता है. उन्हें धर्म और भक्ति के मार्ग पर ले जाता है. वरुथिनी एकादशी भगवान विष्णु के विशेष रूप वामन अवतार की पूजा के लिए समर्पित है. भक्त उनका आशीर्वाद पाने और कठिनाइयों को दूर करने के लिए उपवास रखते हैं. इस अवसर पर कुछ अनुष्ठान भी किया जाता है. माना जाता है कि यह व्रत बहुत पुण्यदायी है, जो समृद्धि और सौभाग्य लाता है।
व्रत और अनुष्ठान (Varuthini Ekadashi Rituals)
इस दिन भक्त उपवास करते हैं, स्नान करते हैं. वे तुलसी के पत्ते, फल और मिठाई जैसे प्रसाद के साथ भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. माना जाता है कि वरुथिनी एकादशी का पालन आशीर्वाद लाता है. यह दिन बाधाओं को दूर करता है और आध्यात्मिक विकास की ओर ले जाता है. यह भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने का एक शक्तिशाली दिन माना जाता है. मान्यता है कि यह व्रत रखने से एक हज़ार साल की तपस्या के बराबर पुण्य मिलता है. यह व्रत ज़रूरतमंदों को दान देना, गरीबों को खाना खिलाना और वंचितों की मदद करना जैसे परोपकारी कार्य की प्ररणा देता है.
वामन अवतार की कथा (Vaman Avtar Mythology)
पौराणिक कथाओं में भगवान विष्णु के पांचवें अवतार हैं वामन. ये अपने बौने जैसे कद के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने अपने लघु स्वरुप में तीन कदम उठाकर पूरे ब्रह्मांड को नाप लिया था. वामन को त्रिविक्रम के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है “तीन कदमों वाले देवता”. कथा है कि एक शक्तिशाली असुर राजा महाबली था. उसके अभिमान को हराने और ब्रह्मांडीय व्यवस्था में संतुलन बहाल करने के लिए श्री विष्णु ने एक योजना बनाई. वे वामन अवतार स्वरुप महाबली के समक्ष प्रकट हुए और तीन डग में संपूर्ण ब्रह्माण्ड नाप लिया.
एकादशी व्रत पारण (Ekadashi Vrat Paran 2025)
व्रत अगले दिन द्वादशी (12वां चंद्र दिवस) को पारण समय के दौरान संपन्न होता है. वरुथिनी एकादशी 2025 के लिए पारण 25 अप्रैल को सुबह 6:01 बजे से 8:35 बजे के बीच करने की महत्ता है. पूर्ण आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने के लिए इस अवधि के भीतर व्रत तोड़ना चाहिए.
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