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बिहार चुनाव में NRC की एंट्री! ओवैसी के नए आरोप से मचा सियासी तूफान
बिहार चुनाव में NRC की एंट्री! ओवैसी के नए आरोप से मचा सियासी तूफान
Authored By: सतीश झा
Published On: Saturday, June 28, 2025
Last Updated On: Saturday, June 28, 2025
जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025 ) नज़दीक आ रहे हैं, चुनावी मुद्दे भी तेज़ी से गरमा रहे हैं. अब राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का मुद्दा एक बार फिर राजनीतिक बहस के केंद्र में आ गया है. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार और बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन NRC को चुनावी हथियार बनाकर मुसलमानों और कमजोर वर्गों को डराने की कोशिश कर रही है.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Saturday, June 28, 2025
Entry of NRC in Bihar Elections: सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने कहा कि NRC और CAA जैसे कानूनों का मकसद सिर्फ धार्मिक आधार पर नागरिकों को बांटना है. ये भारत के संविधान और इसकी धर्मनिरपेक्ष आत्मा के खिलाफ है. अब बिहार चुनाव में इसे जानबूझकर मुद्दा बनाया जा रहा है, ताकि असली मुद्दों से ध्यान भटकाया जा सके – जैसे बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य.”
ओवैसी का चुनाव आयोग पर बड़ा आरोप, बिहार में गुपचुप तरीके से लागू किया जा रहा NRC
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने चुनाव आयोग पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि बिहार में गुप्त रूप से राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) लागू किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि नए नियमों के तहत वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करवाने के लिए नागरिकों को स्वयं और अपने माता-पिता के जन्म का विवरण दस्तावेजों के माध्यम से देना अनिवार्य किया गया है. जो कई गरीब और बाढ़ प्रभावित इलाकों, विशेष रूप से सीमांचल के लोगों के पास नहीं है.
ओवैसी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, “निर्वाचन आयोग बिहार में गुप्त रूप से NRC लागू कर रहा है. अब वोटर बनने के लिए हर नागरिक को यह साबित करना होगा कि वह कहां और कब पैदा हुआ और उसके माता-पिता कहां और कब पैदा हुए थे ? यह प्रक्रिया गरीब, वंचित और सीमांचल जैसे पिछड़े इलाकों के नागरिकों को बाहर करने की साजिश है. उन्होंने आगे लिखा, “विश्वसनीय अनुमानों के मुताबिक भारत में केवल तीन-चौथाई जन्म ही पंजीकृत होते हैं. ऊपर से सरकारी दस्तावेज़ों में गलतियां आम हैं. इन हालातों में नई व्यवस्था जनता को मताधिकार से वंचित करने की कोशिश है.”
AIMIM प्रमुख ने नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) और BJP पर सीधा हमला करते हुए कहा कि इनकी सरकार ने अब तक NRC पर कोई स्पष्ट रुख नहीं लिया है, जिससे लोगों के मन में भय और भ्रम की स्थिति बनी हुई है.
बिहार में NRC पर राजनीति क्यों गरमा रही है?
बिहार जैसे संवेदनशील राज्य में NRC का मुद्दा हमेशा विवादों में रहा है. जहां एक तरफ BJP इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और अवैध घुसपैठियों की पहचान के लिए जरूरी मानती है, वहीं विपक्षी दल इसे साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास बता रहे हैं. सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) का आरोप है कि यह मुद्दा बिहार में विशेष रूप से अल्पसंख्यक मतदाताओं को टारगेट करने के लिए उछाला जा रहा है.
वोटर लिस्ट से बाहर किए जा सकते हैं लाखों गरीब
ओवैसी ने चेतावनी दी कि इस प्रक्रिया का सीधा असर बिहार के गरीब और हाशिए पर खड़े नागरिकों पर पड़ेगा. उन्होंने कहा, “इस प्रक्रिया का परिणाम यह होगा कि बिहार के लाखों गरीब नागरिकों को वोटर लिस्ट से बाहर कर दिया जाएगा। यह मताधिकार पर हमला है.”
ओवैसी ने याद दिलाया कि भारतीय संविधान हर नागरिक को मताधिकार प्रदान करता है. सुप्रीम कोर्ट भी पहले ऐसी मनमानी प्रक्रियाओं पर सवाल उठा चुका है. 1995 में ही सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मनमाने और कठोर नियमों पर सख़्त टिप्पणी की थी. वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराना हर भारतीय का संवैधानिक अधिकार है, ना कि किसी अफसर की मर्जी का मोहताज.
विपक्ष की रणनीति और ओवैसी की भूमिका
AIMIM बिहार के सीमांचल क्षेत्र में पहले से ही मजबूत पकड़ बनाने की कोशिश कर रही है. ऐसे में NRC जैसे मुद्दे को उठाकर ओवैसी न सिर्फ अल्पसंख्यकों में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं, बल्कि महागठबंधन और BJP– दोनों पर नैतिक दबाव भी बनाना चाह रहे हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी चुनाव में NRC, CAA और समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दे अहम भूमिका निभा सकते हैं — विशेषकर सीमांचल और मुस्लिम बहुल इलाकों में. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस संवेदनशील मुद्दे पर बिहार की अन्य पार्टियां क्या रुख अपनाती हैं और ओवैसी की रणनीति कितना असर दिखा पाती है.