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Kanwar Yatra 2025: पहली बार करने जा रहे हैं कांवड़ यात्रा, तो जान लें इसके नियम
Kanwar Yatra 2025: पहली बार करने जा रहे हैं कांवड़ यात्रा, तो जान लें इसके नियम
Authored By: स्मिता
Published On: Tuesday, July 8, 2025
Last Updated On: Tuesday, July 8, 2025
Kanwar Yatra 2025: सावन माह की शुरुआत के साथ ही कांवड़ यात्रा शुरू हो जाएगी. इस वर्ष कांवड़ यात्रा 11 जुलाई- 9 अगस्त तक चलेगी. इस आलेख के माध्यम से जानते हैं कांवड़ के नियम.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Tuesday, July 8, 2025
Kanwar Yatra 2025: बाबा भोलेनाथ के भक्त हर साल सावन के महीने में कांवड़ यात्रा करते हैं. श्रावण माह अंग्रेजी महीने के जुलाई-अगस्त में पड़ता है. कांवड़ ढ़ोने वाले कांवड़िए अक्सर नंगे पैर पैदल गंगा नदी (हरिद्वार, गौमुख या सुल्तानगंज) से पवित्र जल लेते हैं. वे इस जल को एक सजे हुए बांस के खंभे (कांवड़) से लटके कलश में भरकर ले जाते हैं और इसे शिव मंदिर में चढ़ाते हैं. इस कांवड़ यात्रा में हर कोई शामिल नहीं हो सकता है. इसके कुछ नियम हैं. जानते हैं कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2025 ) में शामिल होने के लिए हम क्या करें और क्या नहीं करें.
कब से कब तक है कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2025)
श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 11 जुलाई को सुबह 02:06 बजे से कांवड़ यात्रा शुरू हो जाएगी. यह यात्रा 9 अगस्त 2025 को शिवजी के जलाभिषेक के साथ संपन्न हो जाएगी.
कावड़ यात्रा का महत्व (Kanwar Yatra Significance)
भगवान शिव के भक्तों द्वारा श्रावण के पवित्र महीने में की जाने वाली कावड़ यात्रा की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध तीर्थयात्रा है. गंगा नदी से पवित्र जल एकत्र करने और शिव जी पर चढ़ाने के लिए यात्री अपनी भक्ति प्रदर्शित करते हैं. वे अपनी आध्यात्मिक और व्यक्तिगत प्रगति के लिए इस सांस्कृतिक यात्रा में भाग लेते हैं।
कौन ले जा सकता है कांवड़
सनातन धर्म का पालन करने वाले लोग आमतौर पर कांवड़ उठाते हैं. पारंपरिक रूप से पुरुष ही सावन के पवित्र महीने के दौरान होने वाली कांवड़ यात्रा में भाग लेते हैं. इसमें महिलाएं भी भाग ले सकती हैं. इसमें किसी तरह की रोक-टोक नहीं होती है. कांवड़िए शिवभक्त कहलाते हैं. वे भगवा वस्त्र पहनकर नंगे पैर लंबी दूरी तक पैदल चलते हैं. गंगा नदी से पवित्र जल इकट्ठा कर शिव मंदिरों में चढ़ाने के लिए कांवड़ (पानी के बर्तनों वाला बांस का खंभा) लेकर चलते हैं.
यहां हैं कांवड़ के 10 नियम (Religious Rules for Kanwar Yatra 2025)
- पवित्रता: कांवड़ यात्रा के दौरान खाने-पीने के साथ-साथ कांवड़ियों को यात्रा के दौरान अपने विचारों, शब्दों और कार्यों में भी पवित्रता बनाए रखनी चाहिए. उन्हें काम-क्रोध, मोह आदि दुर्गुणों से भी बचना चाहिए. यात्रा के दौरान ऐसी वाणी बोलना चाहिए, जिससे किसी का मन दुखी नहीं हो.
- मादक पदार्थों का सेवन निषेध: शराब, तंबाकू, मांस और अन्य मादक पदार्थों का सेवन सख्त वर्जित है.
- जमीन पर नहीं रखें कांवड़: गंगा जल से भरी कांवड़ को जमीन पर नहीं रखना चाहिए. कांवड़ को जमीन पर रखने के बाद यात्रा को दोबारा शुरू करना चाहिए.
- स्वच्छता का पालन: आचार-व्यवहार के साथ-साथ शरीर को स्वच्छ रखना भी जरूरी है. शौच करने के बाद कांवड़ियों को कांवड़ को फिर से छूने से पहले स्नान कर लेना चाहिए.
- बढ़िया व्यवहार: यदि आप कांवड़ यात्रा कर रहे हैं, तो किसी व्यक्ति से वाद-विवाद, झगड़ा क्रोध, बहस और अपमानजनक भाषा का प्रयोग करने से बचें.
- नंगे पांव: कांवड़ यात्रा पारंपरिक रूप से नंगे पांव की जाती है. पैरों में चप्पल-जूतों का प्रयोग नहीं किया जाता है.
- आपसी सहयोग: यात्रा अक्सर समूह में की जाती है, जिसमें कई अलग-अलग संगठन मार्ग पर तीर्थयात्रियों को सहायता प्रदान करते हैं. कांवड़ यात्रा कर रहे शिव भक्तों को भी साथ यात्रा कर रहे लोगों का सहयोग करना चाहिए.
- सुरक्षा: तीर्थयात्रियों को समूह में यात्रा करनी चाहिए. उन्हें सुनसान इलाकों से बचना चाहिए. किसी भी तरह की दुर्घटना से बचने के लिए यातायात नियमों का पालन करना चाहिए।
- वर्जित सामान का प्रयोग नहीं करें: हथियार, चमड़े से बनी वस्तुयें और 10 फीट से अधिक ऊंची कांवड़ आम तौर पर वर्जित हैं.
- सम्मान और शिव भक्ति: भक्तों को स्थानीय रीति-रिवाजों का सम्मान करना चाहिए. ऐसे किसी भी कार्य से बचना चाहिए जिससे शांति भंग हो या दूसरों को ठेस पहुंचे. कांवड़ यात्रा कर रहे भक्तों का ध्यान भगवान शिव की भक्ति पर होना चाहिए. आप लगातार शिव मन्त्रों का उच्चारण, भक्ति गीतों का गायन करते रहें.
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