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बाबा वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व पर आधारित किताब
बाबा वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व पर आधारित किताब
Authored By: स्मिता
Published On: Wednesday, July 9, 2025
Last Updated On: Wednesday, July 9, 2025
झारखंड हाईकोर्ट में महाधिवक्ता राजीव रंजन ने बाबा वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग और देवघर पर एक पुस्तक लिखी है- ‘बाबा वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग देवघर ए टच ऑफ़ द डिवाइन’. गहन शोध पर आधारित यह किताब बाबा वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग और देवघर शहर के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को उजागर करती है.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Wednesday, July 9, 2025
Baidyanath Jyotirlinga: हिंदू धर्म में भगवान शिव के प्रतीक ज्योतिर्लिंग विशेष रूप से पूजनीय हैं. जहां ये स्थापित हैं, वहां . तीर्थस्थल की मान्यता बहुत अधिक है. भगवान शिव “प्रकाश स्तंभ” के रूप में प्रकट होने का प्रतिनिधित्व करते हैं. 12 ज्योतिर्लिंग सबसे अधिक पवित्र माने जाते हैं. माना जाता है कि ज्योतिर्लिंग आध्यात्मिक विकास, पापों का शमन और ईश्वर के साथ गहरा संबंध प्रदान करते हैं. झारखंड के देवघर में बाबा वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में अवस्थित हैं. हाल में झारखंड हाईकोर्ट में महाधिवक्ता राजीव रंजन ने बाबा वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग और देवघर पर एक पुस्तक लिखी है- ‘बाबा वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग देवघर ए टच ऑफ़ द डिवाइन’. बाबा वैद्यनाथ पर गहन शोध कर यह किताब लिखी गई है. पुस्तक रोचक होने के साथ-साथ ज्ञान का भंडार भी है.
पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व वाला शहर
छह अध्याय और 300 पृष्ठों में लिखी गई इस किताब में लेखक शिवलिंग और इसके गहरे अर्थ के बारे में कई पुराणों से संदर्भ लेकर विस्तार से बताते हैं. पुस्तक के अनुसार, अथर्ववेद, शिवपुराण, मत्स्य पुराण, स्कंद पुराण सहित कई ग्रंथों में बाबा बैद्यनाथ का उल्लेख किया गया है. देवघर की पौराणिकता का भी वर्णन किया गया है. देवघर का इतिहास पौराणिक कथाओं के साथ-साथ धार्मिक महत्व वाला और सांस्कृतिक और राजनीतिक परिदृश्य में भी फैला है. आर्मेनियाई इंजीनियर जेडी बेगलर जो ब्रिटिश भारत के लिए काम कर रहे थे, उन्होंने वर्ष 1860 में अपनी रिपोर्ट में बाबा बैद्यनाथ का वर्णन किया है.
ब्रह्मांड की रचनात्मक क्षमता का प्रतीक
बाबा बैद्यनाथ शिवलिंग केवल एक प्रतीक नहीं है, बल्कि भगवान शिव के निराकार और अनंत स्वरूप का प्रतिनिधित्व करता है. यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा और ब्रह्मांड की रचनात्मक क्षमता का प्रतीक है. माना जाता है कि यह दिव्य ऊर्जा का एक माध्यम है. भक्त अक्सर पूजा के दौरान इसके पास एक आध्यात्मिक आभा या कंपन महसूस करते हैं.
यहां आदि शक्ति सती का ह्रदय गिरा था
देवघर बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर के अलावा शक्तिपीठ भी है. शिव पुराण में कहा गया है ज्योतिर्लिंग चिता भूमि (देवघर) में है. यहां सती का हृदय गिरा था. अर्थात बैद्यनाथ भगवान शिव के श्मशान स्थित है. इसलिए इसे हृदयपीठ भी कहते हैं. प्राचीन से लेकर वर्तमान में मंदिर की स्थिति, दुर्लभ चित्रों का संकलन भी इस पुस्तक में किया गया है. यहां के पंडा प्रथा का भी जिक्र है. बाबा बैद्यनाथ की पूजा पद्धति का भी जिक्र है. सुबह चार बजे और सावन में तीन बजे सुबह पूजा शुरू हो जाती है. कुल मिलाकर यह पुस्तक बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक स्थिति के बारे में विस्तार से बताता है.