मन, गन और सफलता का गगन

मन, गन और सफलता का गगन

Authored By: अनुराग श्रीवास्तव

Published On: Monday, July 29, 2024

मन बड़ा चंचल होता है। यह हम सबने सुना है। बड़े-बुजुर्ग अक्सर यह कहते रहे हैं कि मन को काबू कर लिया तो जग जीत लिया, लेकिन क्या यह वाकई सच भी होता है। मनु भाकर ने इसका लिविंग एग्जांपल पेश किया है। पेरिस ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में हरियाणा की इस छोरी ने जो ब्रांज मेडल जीता है, उसका सिर्फ रंग ही कांसे जैसा है पदक तो वह सोने से भी ज्यादा खरा है।

Authored By: अनुराग श्रीवास्तव

Updated On: Monday, July 29, 2024

मन बड़ा चंचल होता है। यह हम सबने सुना है। बड़े-बुजुर्ग अक्सर यह कहते रहे हैं कि मन को काबू कर लिया तो जग जीत लिया, लेकिन क्या यह वाकई सच भी होता है। मोटिवेशनल स्पीकर बड़े कारपोरेट सेशंस में और यूट्यूब पर अक्सर मन को नियंत्रण में रखने की मीठी-मीठी बातें करते रहते हैं, लेकिन यह कैसे किया जाए इसके उदाहरण कम ही सामने आते हैं। अब मनु भाकर ने इसका लिविंग एग्जांपल पेश किया है। पेरिस ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में हरियाणा की इस छोरी ने जो ब्रांज मेडल जीता है, उसका सिर्फ रंग ही कांसे जैसा है पदक तो वह सोने से भी ज्यादा खरा है।

दो दशक में पहली बार शूटिंग के किसी इवेंट में ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने के रिकार्ड का जश्न अभी शुरू भी नहीं हुआ था कि देश के लिए ओलंपिक में शूटिंग का पहला जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनने का गौरवमयी क्षण आ गया। ‘रिटेन आफ’ से ‘राइटिंग हिस्ट्री’ तक की इस सुनहरी यात्रा के कुछ पड़ाव मनु के लिए खासे पथरीले और अंधेरे भरे भी रहे हैं। मन के दोनों मूड भी इस 22 वर्षीय खिलाड़ी ने झेले हैं और पार भी पाया है। मनु के ओलंपिक में स्कोर और पिछले कीर्तिमानों की बात तो आपको सब बताएंगे, यह कहानी केवल और केवल मन को जीतकर सफलता का गगन जीतने के बारे में आपको बताएगी। बस आगे पढ़ते रहिए…

..तो कहानी शुरू करते हैं। बात है 18 फरवरी 2002 की। हरियाणा के झज्जर जिले के गोरिया गांव में राम किशन भाकर और सुमेधा के घर बिटिया ने जन्म लिया। मर्चेंट नेवी में इंजीनियर राम किशन को तब अंदाजा भी नहीं था कि कल वह दुनिया में इसी बेटी के नाम से जाने-पहचाने जाएंगे। किसी माता-पिता के लिए इससे बड़ी खुशी हो भी नहीं सकती है कि वह अपनी संतान के नाम से प्रसिद्ध हो। बिटिया मनु का रुझान खेलों की तरफ हुआ, लेकिन बचपन का मन बावला। सो टेनिस भी खेली, बाक्सिंग भी की और स्केटिंग भी। फिर भी मन रम नहीं रहा था। मनु ने अब शूटिंग में ट्राई करने की सोची।

वर्ष 2004, 2008 और 2012 में भारत ने शूटिंग में ओलंपिक पदक जीते थे, जिसने इस खेल को लोकप्रिय बना दिया था। 2004 में राज्यवर्धन सिंह राठौर के रजत पदक के सिलसिले को अभिनव बिंद्रा के अलावा विजय कुमार और गगन नारंग ने जारी रखा था। 2008 में तो अभिनव बिंद्रा ने स्वर्ण पदक जीता था और 2012 में दो पदक इस खेल में भारत को मिले थे। हालांकि 2016 रियो ओलंपिक शूटिंग के लिहाज से खाली रहा था, लेकिन मनु का मन इस खेल के लिए बन चुका था। पिस्टल उठ चुकी था, निशाना लगाने की तैयारी हो चुकी थी। मन किस कदर शक्तिशाली होता है इसका उदाहऱण मनु की सफलता है। इस युवा खिलाड़ी ने शूटिंग के ओलंपिक पदक तक पहुंचने में केवल छह साल का समय लिया है…केवल छह साल। यह अवधि और कम भी हो सकती थी अगर कोरोना की वजह से 2021 में हुए टोक्यो ओलंपिक 2020 में मनु की पिस्टल ने मौके पर धोखा न दिया होता। तब कामनवेल्थ गेम्स का स्वर्ण पदक जीत चुकी मनु को ओलंपिक पदक का प्रबल दावेदार माना गया था और देश को उनसे बहुत उम्मीदें थीं।

धोखा इंसान से मिले या मशीन से, अंदर तक तोड़कर रख देता है। मनु के साथ भी यही हुआ। अथक मेहनत और संकल्प के बाद जब टोक्यो ओलंपिक की शूटिंग स्पर्धा में मनु की पिस्टल नहीं चली तो यह होनहार खिलाड़ी हतप्रभ रह गई। यह मानों इस तरह था कि आपकी कोई गलती भी नहीं, फिर भी सजा मिल जाए। खैर, ओलंपिक से खाली हाथ मनु वापस आ गईं। निराशा इस कदर घर कर गई कि शूटिंग को ही अलविदा कहने का मन सा बना लिया। किंतु मन तो मन है…एक दिन फिर पलटा और इस तरह पलटा कि अब पेरिस में कांसे पर निशाना लगाकर ही थोड़ा विराम के लिए थमा है। अभी और इवेंट भी हैं मनु के…सो संभव है कि इस मन का कमाल फिर देखने को मिले-एक और पदक के रूप में।

मोटिवेशनल भाषण और बातें तो आपने बहुत सुनी-पढ़ी होंगी, लेकिन असल मोटिवेशन सीखना है, समझना है तो मनु भाकर को आदर्श मान लीजिए। चंचल मन को साधना आता है इस निशानेबाज को। जब निराशा का घोर अंधेरा था तो साथ थे माता-पिता और श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण की दी शिक्षा। जब मनु ने ओलंपिक में पदक जीतने के बाद कहा कि श्रीमद्भागवत गीता से उन्होंने प्रेरणा ली है और यहां तक पहुंची हैं तो स्पष्ट हो गया कि मन को साधना हो तो श्रीकृष्ण के इस महान जीवन प्रबंधन के ग्रंथ से उत्तम कुछ भी नहीं। मनु का कहना है कि कर्म पर ही ध्यान रखना चाहिए, फल की अपेक्षा किए बिना। बस लगे रहो, डटे रहो…कर्म स्वयं ही आपको सफलता तक पहुंचा देगा।

अनुराग श्रीवास्तव ने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों को कवर करते हुए अपने करियर में उल्लेखनीय योगदान दिया है। क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, और अन्य खेलों पर उनके लेख और रिपोर्ट्स न केवल तथ्यपूर्ण होती हैं, बल्कि पाठकों को खेल की दुनिया में गहराई तक ले जाती हैं। उनकी विश्लेषणात्मक क्षमता और घटनाओं को रोचक अंदाज में प्रस्तुत करने का कौशल उन्हें खेल पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट बनाता है। उनकी लेखनी खेलप्रेमियों को सूचनात्मक और प्रेरक अनुभव प्रदान करती है।

Leave A Comment

पेरिस ओलंपिक 2024 पदक तालिका

Rank Country Total
1 USA 27 35 32 94
2 CHN 25 23 17 65
3 AUS 18 13 11 42
4 FRA 13 17 21 51
5 GBR 12 17 20 49
6 KOR 12 8 7 27
7 JPN 12 7 13 32
8 NED 10 5 6 21
9 ITA 9 10 9 28
10 GER 8 5 5 18
33 IND 0 0 3 3

अन्य खबरें

अन्य खेल खबरें