गुलाम नबी आजाद (Gulam Nabi Azad) की पार्टी के चार उम्मीदवारों ने छोड़ा मैदान, क्या होगा असर

गुलाम नबी आजाद (Gulam Nabi Azad) की पार्टी के चार उम्मीदवारों ने छोड़ा मैदान, क्या होगा असर

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Published On: Monday, September 2, 2024

DMAP leader Ghulam Nabi Azad

पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद की पार्टी उस जोश-खरोस के साथ चुनाव नहीं लड़ रही है, जैसे अन्य पार्टियां लड़ रही है। इस कारण, इसका कहीं न कहीं प्रतिकूल प्रभाव भाजपा को पड़ने वाला है।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव (Jammu-Kashmir Assembly Election) के प्रथम चरण के मतदान में करीब एक पखवाड़ा का समय रह गया है। सभी उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों का प्रचार-प्रसार जोरों पर है। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस छोड़ अपनी नई पार्टी बनाने वाले गुलाम नबी आजाद और उनके उम्मीदवार शांत पड़े हुए हैं। चार उम्मीदवारों ने तो नाम भी वापस ले लिया है।

कहा यह जा रहा है कि गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) स्वास्थ्य कारणों से चुनाव प्रचार करने में असमर्थ हैं। इसलिए उन्होंने अपने नेताओं और उम्मीदवारों को कहा दिया है कि जो अपने बल पर चुनाव लड़ना चाहते हैं, जरूर लड़े। जो नामांकन वापस लेना चाहते हैं, वे ऐसा कर सकते हैं। गुलाम नबी आजाद ने पहले चरण के लिए अपनी पार्टी (डेमोक्रेटिक प्रोग्रसिव आजाद पार्टी, डीपीएपी) से 15 उम्मीदवारों का नाम घोषित किया था।

चार उम्मीदवारों ने वापस लिया नाम

गुलाम नबी के इस बयान के बाद उनकी पार्टी के चार उम्मीदवारों ने अपना नाम वापस ले लिया है। हालांकि आजाद की पार्टी के दो ऐसे भी उम्मीदवार हैं, जिन्होंने निर्दलीय नामांकन दाखिल किया है। यानी ये दोनों उम्मीदवार पार्टी के चुनाव चिन्ह पर नहीं लड़ेंगे। आखिर क्यों?

नाम वापसी के पीछे क्या है, असली वजह

सार्वजनिक तौर पर तो डीपीएपी प्रमुख गुलाम नबी आजाद की अस्वस्थता को कारण बताया गया है। लेकिन कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राजनीति में जो दिखता है, वह होता नहीं है। ऐसा नहीं है कि कोई पार्टी प्रमुख पहली बार अस्वस्थ हुए हों लेकिन अस्वस्थता के कारण पार्टी गंभीरता से चुनाव नहीं लड़ेगी, ऐसा अभी तक नहीं हुआ। उलटे तो पार्टी को इसका सहानुभूति वोट मिलता है। फिर क्या वजह है?

खबरों के पीछे की खबर यानी सूत्र यह बताते हैं कि नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने आजाद से बात की। उन्होंने पुरानी कई चीजों का याद दिलाते हुए सेक्यलर वोट बांटने से रोकने के लिए मदद मांगी। बताया यह भी जाता है कि अंदरखाने अब्दुल्ला ने कांग्रेस से आजाद को लेकर बात भी की है। ताकि यदि गुलाम नबी आजाद कांग्रेस में वापस जाना चाहेंगे तो उनकी पार्टी में शानदार वापसी का इंतजाम किया जाएगा।

एनसी-कांग्रेस (NC-Congress) गठबंधन को लाभ

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यह सही है कि डीपीएपी के 15 उम्मीदवारों में से केवल 4 ने ही नाम वापस लिए हैं। पहले चरण में पार्टी के 9 उम्मीदवार अभी भी मैदान में हैं। लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि नाम वापस लेने वाले चारों उम्मीदवार गुलाम नबी आजाद के गृह क्षेत्र से हैं। यह क्षेत्र जम्मू के चेनाब रीजन का है। इनमें किश्तवाड़, डोडा और रामबन जिला शामिल है।

यहां इनकी पार्टी को ठीक-ठाक वोट मिलने की उम्मीद था। इसका सीधा नुकसान एनसी-कांग्रेस गठबंधन को होता। कारण, मुस्लिम वोट में बंटवारा होता। साथ ही भाजपा से नाराज हिंदू और कांग्रेस का हिंदू वोट भी आजाद की पार्टी को मिल सकता था। लेकिन अब यह वोट गठबंधन को मिल सकता है। इसका सीधा नुकसान भाजपा को हो सकता है।

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भाजपा (BJP) को नुकसान

ऐसा नहीं है कि डीपीएपी के चार उम्मीदवारों के नाम वापसी से सिर्फ उन्हीं चार सीटों पर भाजपा को नुकसान होगा, अन्य सीटों पर नहीं। गुलाम नबी आजाद पार्टी के लिए चुनाव प्रचार नहीं करेंगे। ऐसे में आजाद के समर्थक वोटर उनकी पार्टी को वोट करेंगे, ऐसा संभव नहीं है। दूसरा, जम्मू-कश्मीर में धीरे-धीरे यह संदेश फैल रहा है कि गुलाम नबी आजाद कांग्रेस में वापसी कर सकते हैं।

हालांकि जम्मू-कश्मीर भाजपा के अध्यक्ष रवींद्र रैना (BJP President Ravindra Raina) ऐसा नहीं मानते। उनका कहना है कि भाजपा दूसरे दलों या नेता के प्रदर्शन पर राजनीति नहीं करती है। बल्कि विकास और राष्ट्रवाद की बात करते हैं और काम करके दिखाते भी हैं। इसलिए यह कहना कि गुलाम नबी साहब के चुनाव नहीं लड़ने से भाजपा को नुकसान होगा, गलत है।

पहले चरण में 219 प्रत्याशी मैदान में

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 18 सितंबर को होना है। यानी करीब पंद्रह दिन बाद। इस चरण में कुल 24 सीटों पर मतदान होना है। नाम वापस लेने के अंतिम दिन तक 25 उम्मीदवार ने नाम वापस लिये, जिसके बाद अब कुल 219 प्रत्याशी मैदान में हैं।

इस चरण में दक्षिण कश्मीर के चार जिलों अनंतनाग, कुलगाम, शोपियां और पुलवामा के 16 और जम्मू डिवीजन के रामबन, डोडा एवं किश्तवाड़ के आठ विधानसभा पर मतदान होना है।

गुंजन शांडिल्य समसामयिक मुद्दों पर गहरी समझ और पटकथा लेखन में दक्षता के साथ 10 वर्षों से अधिक का अनुभव रखते हैं। पत्रकारिता की पारंपरिक और आधुनिक शैलियों के साथ कदम मिलाकर चलने में निपुण, गुंजन ने पाठकों और दर्शकों को जोड़ने और विषयों को सहजता से समझाने में उत्कृष्टता हासिल की है। वह समसामयिक मुद्दों पर न केवल स्पष्ट और गहराई से लिखते हैं, बल्कि पटकथा लेखन में भी उनकी दक्षता ने उन्हें एक अलग पहचान दी है। उनकी लेखनी में विषय की गंभीरता और प्रस्तुति की रोचकता का अनूठा संगम दिखाई देता है।

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