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बंद का बिगुल या सियासी साज़िश? कम्युनिस्ट माओवादियों का ‘क्रांतिकारी एलान’ या दहशत का नया चैप्टर?
बंद का बिगुल या सियासी साज़िश? कम्युनिस्ट माओवादियों का ‘क्रांतिकारी एलान’ या दहशत का नया चैप्टर?
Authored By: Nishant Singh
Published On: Sunday, July 20, 2025
Last Updated On: Sunday, July 20, 2025
कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने 3 अगस्त को बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और असम में बंद का एलान कर देश की राजनीति में हलचल मचा दी है. पार्टी ने अपने महासचिव बसवराज की शहादत को क्रांतिकारी आंदोलन का प्रतीक बताया है. गांव-गांव स्मृति सभाओं और रैलियों का आह्वान करते हुए, माओवादियों ने भाजपा सरकार पर आदिवासियों और कार्यकर्ताओं के दमन का आरोप लगाया है. यह बंद सिर्फ एक विरोध नहीं, बल्कि जंगलों से उठती वो गूंज है, जो सत्ता की दीवारों तक टकराने को तैयार है. सवाल ये है कि किसकी जीत होगी, बंद या लोकतंत्र?
Authored By: Nishant Singh
Last Updated On: Sunday, July 20, 2025
3 अगस्त को होने वाला बंद अब सिर्फ एक आंदोलन नहीं, बल्कि राजनीति के धधकते अंगारों पर एक और चिंगारी है. बिहार से लेकर बंगाल तक, पांच राज्यों में माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी (Maoist Shutdown Announcement) ने जैसे सियासी हलचल को खुला चैलेंज दे दिया है. सरकार के खिलाफ खुली जंग का एलान हुआ है और इस बार मामला सिर्फ जंगलों का नहीं, शहरों और संसद तक गूंजने वाला है. क्रांतिकारी शहीदों की स्मृति में स्मृति सभा और गांव-गांव रैली का आह्वान… लेकिन असल मक़सद क्या है? बसवराज जैसे टॉप इनामी नक्सली की मौत अब आंदोलन का चेहरा बन चुकी है. सवाल ये है कि क्या ये ‘बंद’ माओवादी गुस्से का इज़हार है या सत्ता के खिलाफ एक रणनीतिक युद्ध? राजनीति गरमा चुकी है, और डर की सियासत फिर से ज़िंदा हो उठी है.
माओवादी एलान: पांच राज्यों में 3 अगस्त को बंद की चेतावनी
कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और असम में 3 अगस्त को बंद का एलान किया है. कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने इस संबंध में एक पत्र भी जारी किया है, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों और कार्यकर्ताओं से शामिल होने की अपील की गई है.
पत्र में जिक्र किया गया है कि पूर्वी रीजनल ब्यूरो अपनी पार्टी कमेटियों, फौजी इकाइयों और जन संगठनों से अपील करता है कि वे हमारी पार्टी के महासचिव अमर शहीद कॉमरेड बसवराज और कॉमरेड विवेक की शहादत को याद करें, उनके क्रांतिकारी जीवन और कम्युनिस्ट आदर्शों से प्रेरणा लें और क्रांति के रास्ते पर जोश के साथ आगे बढ़ें.
स्मृति सभा से क्रांति की तैयारी: गांव-गांव में रैली और मीटिंग का आह्वान
इसमें आगे कहा गया, “पूर्वी रीजनल ब्यूरो 20 जुलाई से 3 अगस्त 2025 तक स्मृति सभा का आयोजन कर रहा है. उसे सफल करने के लिए गांव-गांव, इलाके-इलाके में व्यापक रूप में ग्रुप मीटिंग, आम सभा व रैली का आयोजन कर स्मृति सभा को सफल करें. साथ ही 3 अगस्त 2025 को बिहार, झारखंड, उत्तरी छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और असम में एक दिवसीय बंद को सफल करें. यह बंद केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा माओवादी नेताओं, कार्यकर्ताओं, समर्थकों और आदिवासी-ग्रामीण जनता पर किए जा रहे दमन के खिलाफ है.”
60 घंटे की जंग और बसवराज की शहादत: एक ‘क्रांतिकारी’ का अंत
पत्र में कॉमरेड बसवराज का भी जिक्र किया गया. इसमें कहा गया, “21 मई 2025 को छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के गुंडेकोट पहाड़ में पुलिस के साथ 60 घंटे के संघर्ष के बाद हमारी पार्टी के महासचिव और पोलित ब्यूरो सदस्य कॉमरेड बसवराज (नवाला केशव राव) अपने दल के साथ शहीद हो गए. 21 मई 2025 को भारत के क्रांतिकारी आंदोलन के लिए काला दिन था.”
21 मई की मुठभेड़: बंदूकें गरजीं, 27 नक्सली ढेर
बता दें कि 21 मई को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में अबूझमाड़ जंगल में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 27 नक्सली मारे गए थे. मारे गए नक्सलियों में 1.5 करोड़ का इनामी बसवराजू भी शामिल था, जो 70 साल का था और आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के एक गांव का रहने वाला था.
(आईएएनएस इनपुट के साथ)