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नोएडा, ग्रेनो, मुंबई और बेंगलुरु में खुलेंगे विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस, भारत में शिक्षा क्षेत्र को मिलेगा नया आयाम

Authored By: अनुराग श्रीवास्तव

Published On: Wednesday, July 30, 2025

Last Updated On: Wednesday, July 30, 2025

नोएडा, मुंबई और बेंगलुरु में खुलते Foreign University Campuses India
नोएडा, मुंबई और बेंगलुरु में खुलते Foreign University Campuses India

नई शिक्षा नीति के पांच वर्ष पूरे होने पर भारत सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. नोएडा, ग्रेटर नोएडा, मुंबई और बेंगलुरु में विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस खोलने की योजना बनाई गई है. इससे भारतीय छात्रों को अपने ही देश में विदेशी डिग्री, विश्व स्तरीय शिक्षा और रिसर्च की सुविधाएं मिलेंगी. ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन की प्रमुख यूनिवर्सिटीज को पहले चरण में अनुमति मिल चुकी है. यह पहल भारत को शिक्षा के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में ऐतिहासिक और निर्णायक बदलाव लाने वाली है.

Authored By: अनुराग श्रीवास्तव

Last Updated On: Wednesday, July 30, 2025

नई दिल्ली | भारतीय युवाओं के लिए अब उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक सुनहरा अवसर आने वाला है. शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हाल ही में घोषणा की (Foreign University Campuses India) कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा, मुंबई और बेंगलुरु में कुछ नामी विदेशी विश्वविद्यालय अपने कैंपस खोलने जा रहे हैं. यह कदम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के पांच वर्ष पूरे होने के अवसर पर उठाया गया है, जिसका उद्देश्य 2047 तक भारत को एक वैश्विक ज्ञान शक्ति के रूप में स्थापित करना है. यह घोषणा शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक बदलाव का संकेत देती है, जो भारतीय छात्रों को अपने ही देश में वैश्विक स्तर की शिक्षा पाने का मौका देगी. आइए जानते हैं इस फैसले की खास बातें, संभावनाएँ और भविष्य की तस्वीर.

विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस की योजना

भारत सरकार का उद्देश्य है कि भारतीय छात्रों को विदेशी विश्वविद्यालयों की डिग्रियाँ और पाठ्यक्रम अपने ही देश में उपलब्ध कराए जाएं. इसके लिए ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन आदि के कुछ प्रमुख विश्वविद्यालयों को नोएडा, ग्रेटर नोएडा, मुंबई और बेंगलुरु में अपने कैंपस खोलने की अनुमति दी गई है. शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि यह कदम भारत को शिक्षा के क्षेत्र में वैश्विक हब बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. उन्होंने कहा कि विदेशी विश्वविद्यालयों के भारतीय कैंपस पर भारतीय छात्रों को विदेशी डिग्री तो मिलेगी ही, साथ ही उन्हें भारतीय संस्कृति और परिवेश का लाभ भी मिलेगा.

किन विश्वविद्यालयों को मिली है मंजूरी?

यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) ने अब तक कुल 11 विदेशी विश्वविद्यालयों को अपने कैंपस भारत में खोलने की मंजूरी दी है. इनमें प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:

ऑस्ट्रेलिया की वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी: ग्रेटर नोएडा में मास्टर ऑफ मैनेजमेंट डीप लर्निंग एनालिटिक्स और बिज़नेस एनालिटिक्स जैसे कोर्स चलाएगी.

ब्रिटेन की बिर्मिंघम सिटी यूनिवर्सिटी: मुंबई में 2026 तक कैंपस खोलने की तैयारी कर रही है, जहाँ डिजाइन, एनिमेशन, गेम डेवलपमेंट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे पाठ्यक्रम होंगे.

ऑस्ट्रेलिया की डीकिन यूनिवर्सिटी: गुजरात के गिफ्ट सिटी में पहला विदेशी विश्वविद्यालय कैंपस खोल चुकी है.

ऑस्ट्रेलिया की टॉप यूनिवर्सिटीज: बेंगलुरु में मास्टर इन कंप्यूटिंग, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, साइबर सिक्योरिटी जैसे कोर्स चलाएंगी.

भारतीय छात्रों को क्या मिलेगा लाभ ?

इस योजना से भारतीय छात्रों को कई फायदे होंगे:

  • विदेशी विश्वविद्यालयों की डिग्रियां भारत में ही मिलेंगी.
  • विदेश जाकर पढ़ने की महंगी लागत बचेगी.
  • विश्व स्तरीय फैकल्टी, रिसर्च सुविधाएं और इंटरनेशनल नेटवर्क का लाभ मिलेगा.
  • नौकरी के बेहतर अवसर और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार होंगे.

शिक्षा में बड़ा बदलाव

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत यह पहल एक ऐतिहासिक बदलाव की तरह देखी जा रही है. अब तक भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए अपने कैंपस खोलना आसान नहीं था, लेकिन नई नीति के तहत नियमों को सरल और पारदर्शी बनाया गया है. इसका उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाना और विदेशी निवेश को आकर्षित करना है.

विदेशी विश्वविद्यालय क्यों आ रहे हैं भारत?

विदेशी विश्वविद्यालय भारत में इसलिए भी रुचि दिखा रहे हैं क्योंकि भारत दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी वाला देश है. यहां लाखों छात्र हर साल उच्च शिक्षा की तलाश में विदेश जाते हैं. विदेशी विश्वविद्यालय भारत में कैंपस खोलकर सीधे छात्रों तक पहुंच बनाएंगे, जिससे उन्हें भी अपना वैश्विक विस्तार करने में मदद मिलेगी.

विशेषज्ञों की राय

शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारतीय शिक्षा प्रणाली में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और शिक्षा का स्तर भी ऊंचा होगा. साथ ही, इससे भारतीय छात्रों को ग्लोबल जॉब मार्केट में बेहतर अवसर मिलेंगे.

भविष्य की संभावनाएं

सरकार का लक्ष्य है कि 2047 तक भारत को शिक्षा का वैश्विक केंद्र बनाया जाए. इस दिशा में विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस के अलावा कई और योजनाएं भी बनाई जा रही हैं, जैसे:

  • रिसर्च और डेवलपमेंट पर जोर
  • नई तकनीकों पर आधारित कोर्स
  • शिक्षा के डिजिटलीकरण को बढ़ावा
  • स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स

कहां-कहां खुलेंगे कैंपस?

नोएडा और ग्रेटर नोएडा: तकनीकी, मैनेजमेंट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कोर्स

मुंबई: क्रिएटिव आर्ट्स, डिजाइन, गेम डेवलपमेंट, एनिमेशन आदि

बेंगलुरु: इंजीनियरिंग, कंप्यूटिंग, साइबर सिक्योरिटी, मैनेजमेंट आदि

शिक्षा मंत्री की विशेष बातें

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि यह सिर्फ विदेशी डिग्रियों का मामला नहीं है, बल्कि इससे भारत के युवाओं को भविष्य के लिए तैयार करने में मदद मिलेगी. उन्होंने इसे ‘राष्ट्रीय मिशन’ बताया, जो नए भारत के सपनों को साकार करेगा. नोएडा, ग्रेटर नोएडा, मुंबई और बेंगलुरु में विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस खुलने की योजना भारत में शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक और क्रांतिकारी बदलाव की शुरुआत है. इससे न सिर्फ छात्रों को लाभ मिलेगा, बल्कि देश को भी शिक्षा के वैश्विक नक्शे पर नई पहचान मिलेगी. आने वाले वर्षों में यह पहल भारत को शिक्षा का हब बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

 

अनुराग श्रीवास्तव ने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों को कवर करते हुए अपने करियर में उल्लेखनीय योगदान दिया है। क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, और अन्य खेलों पर उनके लेख और रिपोर्ट्स न केवल तथ्यपूर्ण होती हैं, बल्कि पाठकों को खेल की दुनिया में गहराई तक ले जाती हैं। उनकी विश्लेषणात्मक क्षमता और घटनाओं को रोचक अंदाज में प्रस्तुत करने का कौशल उन्हें खेल पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट बनाता है। उनकी लेखनी खेलप्रेमियों को सूचनात्मक और प्रेरक अनुभव प्रदान करती है।
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