Acute Encephalitis Syndrome : जानलेवा हो सकता है एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय इस रोग के प्रति सतर्क रहने की देता है चेतावनी
Authored By: स्मिता
Published On: Sunday, September 8, 2024
Updated On: Sunday, September 8, 2024
एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम का प्रकोप आमतौर पर जुलाई से अक्टूबर तक होता है। बरसात के मौसम में यह चरम पर होता है। एन्सेफलाइटिस मस्तिष्क की सूजन है। यह वायरल या बैक्टीरियल संक्रमणों के कारण हो सकता है। ऑटोइम्यून एन्सेफलाइटिस के कारण होने वाले दौरे को नियंत्रित करने के लिए एंटीसीजर दवा से उपचार किया जाता है।
भारत में बड़े पैमाने पर आर्थिक और महामारी संबंधी बदलाव होने के बावजूद संक्रामक रोग एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बने हुए हैं। कई स्थानीय रोगों के अलावा, H1N1pdm09, डेंगू और अन्य संक्रामक रोग हाल में महामारी के रूप में सामने आये। मौजूदा पर्यावरणीय स्थिति, जलवायु और सामाजिक-आर्थिक कारक भी इन रोगों के जोखिम को बढ़ा देते हैं। कमज़ोर स्वास्थ्य प्रणाली, अपर्याप्त संसाधन और रोगों से लड़ने की लचर तैयारी इस समस्या को और भी बदतर बना देते हैं। हाल में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने देश में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (acute encephalitis syndrome) का प्रकोप सबसे अधिक बताया। इस रोग के बारे में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन भी भारत को चेतावनी दे चुका है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़े क्या कहते हैं (Data of Ministry of Health & Family welfare)
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बॉर्न डिजीज के अनुसार, पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और बस्ती क्षेत्रों में जापानी इंसेफेलाइटिस सहित एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम का प्रकोप सबसे अधिक होता है। उत्तर प्रदेश के अलावा, असम, बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडु से भी इस रोग को बराबर रिपोर्ट किया जाता है। इसमें मृत्यु दर 20 से 25% तक हो सकती है। भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने जून की शुरुआत और 15 अगस्त 2024 के बीच 82 मौतों सहित एक्यूट या तेज इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) के 245 मामलों की सूचना दी। इनमें से 64 चांदीपुरा वायरस (CHPV) संक्रमण के भी मामले हैं। भारत में इस बीमारी को पहली बार 1955 में मद्रास में डायग्नोज़ किया गया था। वर्तमान में यह बीमारी 19 राज्यों के 171 जिलों में स्थानीय रूप से मौजूद है। 2016 के दौरान नेशनल वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम को 11,651 मामले और 1301 मौतें रिपोर्ट की गईं। सबसे ज़्यादा मौतें उत्तर प्रदेश में हुईं। उसके बाद पश्चिम बंगाल, असम और बिहार का स्थान रहा।
किस वजह से होता है एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (cause of acute encephalitis syndrome)
इसका प्रकोप आमतौर पर जुलाई से अक्टूबर तक होता है, तथा बरसात के मौसम में यह चरम पर होता है। इंडियन जर्नल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च के अनुसार, एन्सेफलाइटिस मस्तिष्क की सूजन है। यह वायरल या बैक्टीरियल संक्रमणों के कारण हो सकता है। प्रतिरक्षा कोशिकाओं द्वारा गलती से मस्तिष्क पर हमला करने के कारण भी यह हो सकता है। एन्सेफलाइटिस का कारण बनने वाले वायरस मच्छरों और टिक्स जैसे कीड़ों से फैल सकते हैं।
मस्तिष्क में संक्रमण के कारण सूजन (Brain Inflammation)
जब मस्तिष्क में संक्रमण के कारण सूजन होती है, तो इसे संक्रामक एन्सेफलाइटिस के रूप में जाना जाता है। जब यह प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा मस्तिष्क पर हमला करने के कारण होता है, तो इसे ऑटोइम्यून एन्सेफलाइटिस के रूप में जाना जाता है। कभी-कभी इसका कोई ज्ञात कारण नहीं होता है।
एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम ज्यादातर मामलों में कई ‘न्यूरोट्रोफिक’ वायरस के कारण होता है। गंभीर मामले जानलेवा हो सकते हैं।
मेमोरी लॉस हो सकता है एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम का लक्षण (acute encephalitis syndrome symptoms)
एन्सेफलाइटिस के कारण कई अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं। कंफ्यूजन, व्यक्तित्व में बदलाव, दौरे या चलने-फिरने में परेशानी होना। एन्सेफलाइटिस के कारण देखने या सुनने में भी बदलाव हो सकता है।
संक्रामक एन्सेफलाइटिस से पीड़ित ज्यादातर लोगों में फ्लू जैसे लक्षण होते हैं, जैसे :
- सिरदर्द।
- बुखार।
- मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द।
- थकान या कमजोरी।
- मेमोरी लॉस भी हो सकती है।
डॉक्टर को कब दिखाएं
अगर किसी व्यक्ति को एन्सेफलाइटिस से जुड़े किसी भी गंभीर लक्षण का अनुभव होता है, तो उसे तुरंत चिकित्सक की सहायता लेनी चाहिए। तेज़ सिरदर्द, बुखार और कंशसनेस में बदलाव होने पर तत्काल देखभाल की जरूरत पड़ती है।
एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम का उपचार (acute encephalitis syndrome treatment)
एंटीसीजर दवा: ऑटोइम्यून एन्सेफलाइटिस के कारण होने वाले दौरे को नियंत्रित करने के लिए एंटीसीजर दवा से उपचार किया जाता है।
एंटीवायरल दवा: अक्सर सभी वायरल एन्सेफलाइटिस का इलाज एसाइक्लोविर या जोविराक्स से किया जाता है। एन्सेफलाइटिस के किसी भी लक्षण वाले छोटे बच्चों को तत्काल देखभाल की जरूरत होती है।
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