देश में नकली और घटिया दवाओं की समस्या गंभीर, 90 दवाओं के सैंपल फेल

देश में नकली और घटिया दवाओं की समस्या गंभीर, 90 दवाओं के सैंपल फेल

Authored By: अरुण श्रीवास्तव

Published On: Sunday, December 1, 2024

Updated On: Friday, December 6, 2024

90 drug samples fail in drug testing labs
90 drug samples fail in drug testing labs

विभिन्न बीमारियों के इलाज में लोग चिकित्सकों द्वारा अनुशंसित प्रामाणिक दवाएं लेते हैं, पर जब दवाएं ही नकली या गुणवत्ताविहीन हों, तो लोगों की जान पर बन आती है। देश में अक्सर तमाम दवाएं केंद्र ओर राज्यों की लैब में मानक पर फेल होती हैं। पिछले दिनों 90 दवाओं के सैंपल फेल हुए। केंद्र और राज्य सरकारों के साथ कंपनियों को भी इसके लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है, ताकि उपभोक्ताओं को उचित कीमत पर मानकयुक्त प्रामाणिक औषधियां उपलब्ध हो सकें...

Authored By: अरुण श्रीवास्तव

Updated On: Friday, December 6, 2024

हाइलाइट्स

  • केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) और राज्य स्तर पर ड्रग्स टेस्टिंग लैब्स (Drugs Testing Labs) की रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर 2023 में 90 दवाओं के सैंपल गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतरे।
  • 56 सैंपल CDSCO की जांच में और 34 सैंपल राज्य लैब्स की जांच में फेल हुए।
  • इनमें एसिडिटी, ब्लड प्रेशर (BP), संक्रमण और कोलेस्ट्रॉल जैसी सामान्य बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं शामिल हैं।

देश में नकली और मानक विहीन दवाओं की समस्या एक बार फिर सुर्खियों में है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) और राज्य स्तर पर ड्रग्स टेस्टिंग लैब्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर 2023 में 90 दवाओं के सैंपल गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतरे। इनमें से 56 सैंपल CDSCO की जांच में और 34 सैंपल राज्य लैब्स की जांच में फेल हुए। चिंताजनक बात यह है कि इनमें एसिडिटी, ब्लड प्रेशर (BP), संक्रमण और कोलेस्ट्रॉल जैसी सामान्य बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं शामिल हैं। देश में नकली और मानक विहीन दवाओं की समस्या स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा बन रही है। सरकार, कंपनियां और उपभोक्ता मिलकर इस चुनौती से निपट सकते हैं। दवाओं की खरीद में सतर्कता और जागरूकता ही इस समस्या से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है।

नकली दवाओं का खतरा

बिहार ड्रग कंट्रोल अथॉरिटी द्वारा लिए गए सैंपल में से तीन दवाएं नकली पाई गईं। ये दवाएं बाजार में प्रसिद्ध कंपनियों के नाम का इस्तेमाल कर बनाई गई थीं। जिन दवाओं में समस्या पाई गई, उनमें पैंटोप्राजोल, सेफिक्साइम और रोसुवास्टेटिन जैसे सॉल्ट वाली दवाएं शामिल हैं। संबंधित कंपनियों ने स्पष्ट किया है कि ये बैच उनके द्वारा निर्मित नहीं हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि नकली दवाएं बाजार में फैल रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि नकली दवाओं का उपयोग लोगों के स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है। ये दवाएं न केवल बीमारियों का इलाज करने में असफल हो सकती हैं, बल्कि गंभीर दुष्प्रभाव भी पैदा कर सकती हैं।

व्यापक स्तर पर दवा सैंपल की जांच

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल के महीनों में दवाओं के सैंपल जांचने के प्रयास तेज कर दिए हैं। CDSCO ने दवाओं के हजारों सैंपल की जांच की और जिन दवाओं के बैच मानकों पर खरे नहीं उतरे, उन्हें तुरंत बाजार से वापस लेने के निर्देश दिए। दवाओं की जांच में गुणवत्ता के विभिन्न पैरामीटर शामिल होते हैं, जैसे उनकी शुद्धता, प्रभावकारिता और सुरक्षा। इस प्रक्रिया में 49 दवाएं कई मानकों पर फेल हुईं।

कैसे करें नकली और घटिया दवाओं की पहचान?

अगस्त 2023 के बाद से सरकार ने दवाओं की पैकेजिंग पर बारकोड और QR कोड अनिवार्य कर दिया है, जिससे नकली और असली दवाओं की पहचान करना आसान हो सके। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने के लिए पोस्टर और अन्य प्रचार सामग्री तैयार करनी चाहिए। ये पोस्टर मेडिकल स्टोर्स और अस्पतालों में लगाए जाएं ताकि लोग सतर्क रहें। नकली दवाओं के आकार, रंग और वजन में अक्सर अंतर होता है। खरीदते समय उपभोक्ताओं को इन चीजों पर ध्यान देना चाहिए। विशेषज्ञों ने लोगों को सलाह दी है कि अधिक डिस्काउंट के चक्कर में दवाओं की गुणवत्ता से समझौता न करें। नकली और घटिया दवाओं से बचने के लिए केवल भरोसेमंद मेडिकल स्टोर्स से दवाएं खरीदें।

किन दवाओं पर खतरा ?

CDSCO और राज्य लैब्स की रिपोर्ट के अनुसार, कई प्रकार की दवाएं मानकों पर खरी नहीं उतरी हैं। इनमें शामिल हैं:

  1. एसिडिटी और पेट की दवाएं: पैंटोप्राजोल और सेफिक्साइम।
  2. ब्लड प्रेशर की दवाएं।
  3. कोलेस्ट्रॉल और विटामिन सप्लिमेंट्स।
  4. आयरन और कैल्शियम की दवाएं।
  5. संक्रमण से बचाने वाली एंटीबायोटिक दवाएं।

दवा कंपनियों को चेतावनी

CDSCO ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जिन दवाओं के सैंपल फेल हो चुके हैं, उन्हें तुरंत बाजार से वापस लिया जाए। दवा कंपनियों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनके उत्पाद निर्धारित मानकों का पालन करें। विशेषज्ञों ने कहा है कि यह दवा कंपनियों की नैतिक जिम्मेदारी है कि वे गुणवत्ता में कोई कमी न आने दें।

सरकार और उपभोक्ताओं की जिम्मेदारी

नकली दवाओं के बढ़ते खतरे को देखते हुए सरकार और उपभोक्ताओं को सतर्क रहना होगा। दवा कंपनियों को अपने उत्पादों की निगरानी बढ़ानी चाहिए और नकली दवाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए। उपभोक्ताओं को दवाओं की पैकेजिंग पर दिए गए QR कोड को स्कैन कर उनकी प्रामाणिकता जांचने की आदत डालनी चाहिए।

अरुण श्रीवास्तव पिछले करीब 34 वर्ष से हिंदी पत्रकारिता की मुख्य धारा में सक्रिय हैं। लगभग 20 वर्ष तक देश के नंबर वन हिंदी समाचार पत्र दैनिक जागरण में फीचर संपादक के पद पर कार्य करने का अनुभव। इस दौरान जागरण के फीचर को जीवंत (Live) बनाने में प्रमुख योगदान दिया। दैनिक जागरण में करीब 15 वर्ष तक अनवरत करियर काउंसलर का कॉलम प्रकाशित। इसके तहत 30,000 से अधिक युवाओं को मार्गदर्शन। दैनिक जागरण से पहले सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल (हिंदी), चाणक्य सिविल सर्विसेज टुडे और कॉम्पिटिशन सक्सेस रिव्यू के संपादक रहे। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, साहित्य, संस्कृति, शिक्षा, करियर, मोटिवेशनल विषयों पर लेखन में रुचि। 1000 से अधिक आलेख प्रकाशित।

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