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रैनिटिडीन में कैंसरकारी केमिकल की संभावित मौजूदगी पर डीसीजीआई की सख्त निगरानी की अपील
Authored By: अनुराग श्रीवास्तव
Published On: Wednesday, July 30, 2025
Last Updated On: Wednesday, July 30, 2025
भारत में एसिडिटी और अल्सर के इलाज में लंबे समय से इस्तेमाल हो रही रैनिटिडीन दवा एक बार फिर विवादों में है. केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (DCGI) ने देशभर के दवा नियंत्रकों से इस दवा में संभावित कैंसरकारी रसायन NDMA की मौजूदगी पर सख्त निगरानी रखने को कहा है. NDMA को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने संभावित कैंसरकारी तत्व माना है. डीसीजीआई का यह कदम तकनीकी सलाहकार बोर्ड और ICMR की सिफारिशों के बाद उठाया गया है, ताकि मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
Authored By: अनुराग श्रीवास्तव
Last Updated On: Wednesday, July 30, 2025
नई दिल्ली | भारत में एसिडिटी और अल्सर (Ranitidine Cancer Risk Alert) के इलाज के लिए लंबे समय से इस्तेमाल की जाने वाली मशहूर दवा रैनिटिडीन एक बार फिर चर्चा में है. इस बार देश की शीर्ष दवा नियामक संस्था केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (DCGI) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के दवा नियंत्रकों से अपील की है कि वे बाजार में उपलब्ध रैनिटिडीन दवाओं में कैंसरकारी केमिकल की संभावित मौजूदगी पर सख्त निगरानी रखें. डीसीजीआई का यह निर्देश ऐसे समय आया है, जब इस दवा में नाइट्रोसो डाइमेथाइलमीन (NDMA) जैसे हानिकारक कंपाउंड की उपस्थिति को लेकर वैश्विक स्तर पर चिंता जताई गई है.
क्या है मामला?
रैनिटिडीन दवा, जिसे ज़्यादातर लोग ‘एसिडिटी की गोली’ के रूप में पहचानते हैं, पेट में एसिड की मात्रा को कम करने के लिए दी जाती है. पिछले कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह संदेह सामने आया कि रैनिटिडीन के निर्माण या लंबे समय तक संग्रहण के दौरान इसमें NDMA जैसे कैंसरकारी यौगिक बन सकते हैं. यही कारण है कि अमेरिका और यूरोप समेत कई देशों में इस दवा की सुरक्षा पर सवाल उठे और कुछ देशों में इसे बाजार से हटा भी दिया गया. भारत में भी इसी संदर्भ में दवा नियामक ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि बाजार में बिक रही रैनिटिडीन दवाएं सुरक्षित हों और उनमें हानिकारक केमिकल्स की मात्रा मान्य सीमा से अधिक न हो.
डीसीजीआई का निर्देश
डीसीजीआई के इस निर्देश में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के दवा नियंत्रकों से साफ तौर पर कहा गया है कि वे अपने क्षेत्र में रैनिटिडीन के उत्पादन और वितरण की सतत निगरानी करें. खासकर यह देखा जाए कि किसी बैच में NDMA की मात्रा मानक से अधिक तो नहीं है. डीसीजीआई ने कंपनियों को भी सुझाव दिया है कि वे रैनिटिडीन के निर्माण की प्रक्रिया में जरूरी एहतियात बरतें और वैज्ञानिक परीक्षण के जरिए सुनिश्चित करें कि उत्पाद में कैंसरकारी तत्वों की मात्रा न्यूनतम रहे या बिल्कुल न हो.
तकनीकी सलाहकार बोर्ड की सिफारिश
यह फैसला तकनीकी सलाहकार बोर्ड (डीटीएबी) की हाल ही में हुई बैठक के बाद लिया गया. इस बैठक में बोर्ड ने सुझाव दिया कि रैनिटिडीन के निर्माण, भंडारण और वितरण की पूरी प्रक्रिया पर सख्ती से नजर रखी जाए. बोर्ड ने कहा कि रैनिटिडीन का भविष्य में इस्तेमाल जारी रखना है या नहीं, यह फैसला वैज्ञानिक और तकनीकी आँकड़ों के आधार पर होना चाहिए.
आईसीएमआर की राय भी होगी शामिल
डीटीएबी ने इस विषय में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की राय भी लेने की सिफारिश की है. आईसीएमआर के विशेषज्ञ इस पर अध्ययन कर देखेंगे कि क्या वाकई रैनिटिडीन से कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है. इसके बाद ही तय होगा कि दवा को बाजार में बनाए रखा जाए या उस पर प्रतिबंध लगाया जाए.
क्यों खतरनाक हो सकता है NDMA ?
NDMA एक प्रकार का नाइट्रोसामीन कंपाउंड है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ‘संभावित कैंसरकारी’ श्रेणी में रखा है. यानी इसके लंबे समय तक सेवन से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. हालांकि, छोटी अवधि में सीमित मात्रा में NDMA के सेवन से सीधा नुकसान होने की संभावना कम बताई जाती है, लेकिन लंबे समय तक अधिक मात्रा में मौजूद रहने पर यह स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो सकता है.
रैनिटिडीन का बाजार में बड़ा हिस्सा
रैनिटिडीन भारत की सबसे पुरानी और सबसे ज्यादा बिकने वाली एंटी-अल्सर दवाओं में से एक रही है. कभी इसे ओवर-द-काउंटर भी आसानी से बेचा जाता था. परन्तु हाल के वर्षों में इसकी बिक्री घटती गई है, खासकर नए दवाओं जैसे फैमोटिडाइन के आने के बाद. बावजूद इसके अब भी बाजार में रैनिटिडीन की बड़ी मात्रा उपलब्ध है और लाखों लोग इसे नियमित रूप से इस्तेमाल करते हैं.
डीसीजीआई की चेतावनी क्यों जरूरी?
विशेषज्ञों का मानना है कि इस दवा का उपयोग करते समय मरीजों को भी सतर्क रहना चाहिए. रैनिटिडीन के निर्माता कंपनियों को सख्त क्वालिटी टेस्ट और गहन निगरानी रखनी होगी ताकि NDMA की मात्रा नियंत्रित की जा सके. दवा नियामक का निर्देश यही सुनिश्चित करने के लिए है कि मरीजों की सुरक्षा से कोई समझौता न हो.
आगे क्या?
- भारत में इस विषय पर आगे वैज्ञानिक जांच और समीक्षा होगी. आईसीएमआर की रिपोर्ट के बाद सरकार यह फैसला करेगी कि रैनिटिडीन को प्रतिबंधित किया जाए या कुछ सख्त शर्तों के साथ ही बाजार में रहने दिया जाए. तब तक दवा नियंत्रण विभाग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों से निगरानी के निर्देश का पालन सुनिश्चित करने की उम्मीद कर रहा है.
- रैनिटिडीन जैसे वर्षों से प्रचलित दवाओं में NDMA जैसे कैंसरकारी केमिकल की मौजूदगी पर चिंता गंभीर है. डीसीजीआई का सख्त निगरानी का निर्देश मरीजों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम है. आने वाले समय में इस पर और अध्ययन तथा वैज्ञानिक मूल्यांकन के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा, ताकि दवा की गुणवत्ता और मरीजों का स्वास्थ्य दोनों सुरक्षित रह सकें.