प्रदूषण से प्री-मैच्योर डिलीवरी का हो सकता है खतरा, जानें क्या हैं सावधानी के उपाय

प्रदूषण से प्री-मैच्योर डिलीवरी का हो सकता है खतरा, जानें क्या हैं सावधानी के उपाय

Authored By: अरुण श्रीवास्तव

Published On: Saturday, November 30, 2024

Updated On: Saturday, November 30, 2024

दिल्ली एनसीआर सहित उत्तर भारत के तमाम शहर इन दिनों गंभीर वायु प्रदूषण से बदहाल हैं। एक्यूआई लगातार 400 के आसपास या उससे ऊपर बना हुआ है। इस स्थिति में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। प्रदूषण का गर्भावस्था और जन्म के परिणामों पर बुरा असर पड़ता है। प्रदूषण की वजह से गर्भवती महिलाओं कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिससे समय से पहले शिशु का जन्म हो सकता है...

Authored By: अरुण श्रीवास्तव

Updated On: Saturday, November 30, 2024

हाइलाइट्स

  • बढ़ता वायु प्रदूषण, विशेष रूप से पार्टिकुलेट मैटर (पीएम2.5 और पीएम10), नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, और ओजोन जैसी हानिकारक गैसें गर्भावस्था के दौरान जटिलताओं का कारण बन सकती हैं।
  • प्रदूषण के संपर्क में आने से गर्भावस्था के दौरान शिशु का विकास प्रभावित हो सकता है, जिससे समय से पहले जन्म हो सकता है। कम वजन के शिशु का जन्म हो सकता है।
  • प्रदूषित हवा में मौजूद विषाक्त कण शिशु के पोषण में बाधा डाल सकते हैं। सांस संबंधी समस्याएं हो सकती है।

गर्भवती महिलाओं के लिए बढ़ता प्रदूषण एक गंभीर स्वास्थ्य चिंता का विषय है। अपनी और अपने अजन्मे शिशु की सुरक्षा के लिए उपरोक्त सावधानियों को अपनाना आवश्यक है। समय रहते प्रदूषण के दुष्प्रभावों को पहचानकर उचित कदम उठाने से गर्भावस्था सुरक्षित और स्वस्थ रह सकती है। डॉक्टर से नियमित परामर्श और स्वच्छ जीवनशैली अपनाकर प्रदूषण के खतरों से बचा जा सकता है।

गर्भवती महिलाओं को किस तरह की हो सकती है समस्या

दिल्ली-एनसीआर सहित लगभग समूचे उत्तर भारत में ठंड के मौसम से पहले प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है, जो गर्भवती महिलाओं के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है। बढ़ता वायु प्रदूषण, विशेष रूप से पार्टिकुलेट मैटर (पीएम2.5 और पीएम10), नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, और ओजोन जैसी हानिकारक गैसें गर्भावस्था के दौरान जटिलताओं का कारण बन सकती हैं।

प्रदूषित हवा से गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप (प्रीक्लेम्पसिया) बढ़ सकता है। वायु प्रदूषण रक्त प्रवाह में असंतुलन पैदा कर सकता है, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ने का खतरा होता है। गर्भपात या समय से पहले प्रसव हो सकता है। प्रदूषण के संपर्क में आने से गर्भावस्था के दौरान शिशु का विकास प्रभावित हो सकता है, जिससे समय से पहले जन्म हो सकता है। कम वजन के शिशु का जन्म हो सकता है। प्रदूषित हवा में मौजूद विषाक्त कण शिशु के पोषण में बाधा डाल सकते हैं। सांस संबंधी समस्याएं हो सकती है। प्रदूषण में सांस लेने से गर्भवती महिलाओं को अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या अन्य श्वसन समस्याएं हो सकती हैं।

राहत के लिए अपनाएं ये तरीके

सांस संबंधी समस्याओं के लिए नेबुलाइजर या इन्हेलर का उपयोग डॉक्टर की सलाह पर करें। यदि प्रदूषण के कारण त्वचा पर रैशेज हों, तो हाइपोएलर्जेनिक क्रीम का उपयोग करें। भाप लें, ताकि श्वसन तंत्र साफ हो सके। हल्दी और शहद युक्त गर्म पानी पिएं। इससे प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। यदि ऑक्सीजन का स्तर कम हो, तो अस्पताल में ऑक्सीजन सपोर्ट दिया जा सकता है। प्रदूषण से होने वाले तनाव को कम करने के लिए प्राणायाम और ध्यान करें। प्रदूषण के स्तर पर निगरानी रखते हुए डॉक्टर से नियमित रूप से परामर्श करें। सार्वजनिक परिवहन का उपयोग कम करें और वाहन के भीतर एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें फ्लू और अन्य संक्रमणों से बचने के लिए डॉक्टर द्वारा सुझाई गई वैक्सीन लगवाएं।

प्रदूषण से स्वास्थ्य पर प्रभाव के लक्षण

  • सांस लेने में कठिनाई
  • सीने में भारीपन
  • बार-बार खांसी या गले में जलन
  • थकान और कमजोरी
  • आंखों में जलन या पानी आना
  • सिरदर्द और चक्कर आना
  • यदि इनमें से कोई भी लक्षण गंभीर हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

प्रदूषण से बचाव के उपाय

  1. मास्क का उपयोग करें: एन 95 मास्क पहनें, जो हानिकारक कणों को रोकने में मदद करते हैं।
  2. घरेलू वायु शुद्धि करें: घर में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें और इनडोर पौधे जैसे स्नेक प्लांट, एलोवेरा आदि लगाएं, जो वायु को शुद्ध करने में मदद करते हैं।
  3. बाहर जाने से बचें: जब वायु गुणवत्ता खराब हो (एक्यूआई 200 से अधिक), तो बाहर जाने से बचें, खासकर सुबह और शाम के समय।
  4. खानपान में सुधार करें: विटामिन सी, विटामिन ई, और ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त भोजन करें, जो शरीर को प्रदूषण के प्रभाव से बचाने में मदद करता है।
  5. घर को वेंटिलेट करें: धूप आने दें, लेकिन अधिक प्रदूषण वाले समय में खिड़कियां बंद रखें।
  6. नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं: डॉक्टर से समय-समय पर परामर्श लें और नियमित प्रेग्नेंसी चेकअप कराएं।

gynecologist dr charu yadav

(फेलिक्स अस्पताल, नोएडा की स्त्री रोग विशेषज्ञ (गायनेकोलॉजिस्ट) डॉ. चारु यादव के इनपुट पर आधारित)

अरुण श्रीवास्तव पिछले करीब 34 वर्ष से हिंदी पत्रकारिता की मुख्य धारा में सक्रिय हैं। लगभग 20 वर्ष तक देश के नंबर वन हिंदी समाचार पत्र दैनिक जागरण में फीचर संपादक के पद पर कार्य करने का अनुभव। इस दौरान जागरण के फीचर को जीवंत (Live) बनाने में प्रमुख योगदान दिया। दैनिक जागरण में करीब 15 वर्ष तक अनवरत करियर काउंसलर का कॉलम प्रकाशित। इसके तहत 30,000 से अधिक युवाओं को मार्गदर्शन। दैनिक जागरण से पहले सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल (हिंदी), चाणक्य सिविल सर्विसेज टुडे और कॉम्पिटिशन सक्सेस रिव्यू के संपादक रहे। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, साहित्य, संस्कृति, शिक्षा, करियर, मोटिवेशनल विषयों पर लेखन में रुचि। 1000 से अधिक आलेख प्रकाशित।

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