Inner Peace : कैसे पाएं शांत मन और सुखी जीवन, यहां हैं स्वामी अवधेशानंद गिरि के बताए 4 जीवन सूत्र
Authored By: स्मिता
Published On: Friday, September 6, 2024
Updated On: Friday, September 6, 2024
आध्यात्मिक गुरु, प्रवचनकर्ता और लेखक स्वामी अवधेशानंद गिरि (Swami Avdheshanand Giri) के अनुसार, आत्म -खोज, आत्म अनुशासन (Self discipline) मन को शांति (peace of mind) प्रदान करता है। जब हम आत्म-खोज और आध्यात्मिक जागृति की यात्रा पर निकल पड़ते हैं, तो अपने और दूसरों के प्रति करुणा विकसित करते हैं। अपने भीतर छिपी गहरी सच्चाइयों से जुड़ना सीखते हैं।
जीवनपर्यंत हम कुछ न कुछ लक्ष्य हासिल करने की आपाधापी में लगे रहते हैं। जीवन के बहुत वर्ष बीत जाने के बाद हमें यह समझ में आता है कि सबसे जरूरी तो मन की शांति है। मन शांत रहने पर ही जीवन सफल और संतुष्ट माना जा सकता है। जीवन में शांति का होना बहुत आवश्यक है। हमें यह जानना जरूरी है कि मन की शांति कैसे मिल सकती है। जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि (Swami Avdheshanand Giri) भारतीय दर्शन के गहन ज्ञान और आध्यात्मिक अनुभवों के आधार पर जीवन को सुखमय और मन को शांत (Inner Peace) करने के तरीके बताते हैं।
मानव सेवा से समझ आता है सच्चा सुख का मर्म (human service)
स्वामी अवधेशानंद गिरि अपनी पुस्तक “द फाइन आर्ट ऑफ़ हैप्पीनेस एंड पीस (The Fine Art of Happiness and Peace)” के विभिन्न अध्यायों में जीवन के वास्तविक उद्देश्य, मानव स्वभाव के विभिन्न पहलुओं की चर्चा करते हैं। वे बताते हैं कि सुखी और शांतिपूर्ण जीवन के मार्ग अलग-अलग कर्म के वास्तविक अर्थ समझने पर प्राप्त हो सकते हैं। इंसान अपने दैनिक कार्यों में लगे रहते हुए भी उस अवस्था तक पहुंच सकता है। स्वामी जी के अनुसार जो इंसान मानवता की सेवा में लगा हुआ है, उसे जीवन में असीम शांति मिल सकती है। किसी जरूरतमंद की मदद करना ईश्वरीय भक्ति के समान है। इसके माध्यम से वह सच्चा सुख का मर्म समझ सकता है। वह मानव जन्म के वास्तविक उद्देश्य को भी आसानी से समझ सकता है।
आंतरिक शक्ति और सद्भाव से भरा जीवन (Inner power and Harmony)
मानवता की सेवा केवल दार्शनिक अवधारणा नहीं हो सकती है, बल्कि यह एक व्यावहारिक मार्गदर्शन है, जिसे कोई भी व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में लागू कर सकता है। वर्तमान क्षण को अपनाने, आत्म-करुणा का अभ्यास करने और सार्थक संबंधों को पोषित करने से इस कार्य में और अधिक मदद मिल सकती है ।
इसके लिए उसे किसी भी प्रकार की आसक्ति और अपेक्षा को छोड़ना होगा। इससे उसे अपने अस्तित्व की गहराई और गहन परिवर्तन का अनुभव हो सकता है। इससे उसे उद्देश्यपूर्ण जीवन, आंतरिक शक्ति और सद्भाव से भरा जीवन प्राप्त होगा।
आत्म-खोज और आत्मानुशासन से मिलती है शांति (Self discovery and self discipline)
“द पाथ टू आनंदा (The Path to Ananda) “ किताब में स्वामी जी कहते हैं, ‘खुशी एक बहुत ही व्यक्तिगत अवधारणा हो सकती है। खुश होने पर व्यक्ति का मन शांत हो सकता है। अकसर ख़ुशी को स्वास्थ्य, समृद्धि, सामाजिक स्थिति, पेशेवर या रचनात्मक संतुष्टि, प्यार करने वाले परिवार और दोस्तों से जोड़ कर देखा जाता है। वास्तव में ये सभी क्षणभंगुर घटनाएं हैं। खुशी असीमित हो सकती है, यह शर्तों से बंधी नहीं हो सकती है। ऐसी स्थिति हमारे मूल लक्ष्य की गहरी समझ और उस पर ध्यान केंद्रित करने से आती है। यह एक ऐसा मार्ग है, जिस पर ऋषि-मुनि सदियों से हमारा मार्गदर्शन करते आ रहे हैं। भारतीय संस्कृति और धर्मग्रंथों में शांति मंत्र के माध्यम से ख़ुशी और शांति को बढ़ावा देने की बात कही जाती है। आकाश में शांति, अंतरिक्ष में, पृथ्वी पर, जल में, पौधों और पेड़ों में, प्रकृति के तत्वों में और पूर्ण चेतना में शांति उपस्थित है। इसलिए हमारे अंदर भी शांति होनी चाहिए। यह शांति आत्म-खोज और आत्मानुशासन से आ सकती है।
सकारात्मक बदलाव लाने की शक्ति (Positive change)
स्वामी अवधेशानंद गिरि के अनुसार, जब हम आत्म-खोज और आध्यात्मिक जागृति की यात्रा पर निकल पड़ते हैं, तो हम जीवन की चुनौतियों का सामना शालीनता से करना सीखते हैं। अपने और दूसरों के प्रति करुणा विकसित करते हैं। अपने भीतर छिपी गहरी सच्चाइयों से जुड़ना सीखते हैं। ये भाव हमें याद दिलाते हैं कि हमारे पास न केवल अपने भीतर, बल्कि अपने आस-पास की दुनिया में भी सकारात्मक बदलाव लाने की शक्ति है। हम अपने अस्तित्व के सच्चे सार की खोज कर सकते हैं और अपनी उच्चतम क्षमता को प्रकट कर सकते हैं।
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