योग दिवस 2025: तनावमुक्त, संतुलित और सकारात्मक जीवन की ओर पहला कदम
योग दिवस 2025: तनावमुक्त, संतुलित और सकारात्मक जीवन की ओर पहला कदम
Authored By: स्मिता
Published On: Thursday, June 19, 2025
Updated On: Thursday, June 19, 2025
योग अंतर्मन और वाह्य को जोड़ता है. यह ईर्ष्या-द्वेष, क्रोध जैसे मनोविकारों को दूर कर व्यक्ति को शांत और सकारात्मक जीवन जीने में मदद करता है. जानते हैं अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर आध्यात्मिक गुरुओं के विचार.
Authored By: स्मिता
Updated On: Thursday, June 19, 2025
Yoga For Peace of Mind: माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अथक प्रयासों के कारण संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया. संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly-UNGA) के अनुसार, योग जीवन के सभी पहलुओं के बीच संतुलन बनाने के अलावा स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है. असल में 21 जून पूरे साल का सबसे लंबा दिन होता है. इसीलिए लंबी आयु पाने के लिए संदेश स्वरुप 21 जून 2015 को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया. इस वर्ष विश्व में दसवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है. इस अवसर पर जानते हैं लोकप्रिय आध्यात्मिक गुरुओं के योग पर क्या विचार हैं.
योग की उत्पत्ति
योग की उत्पत्ति प्राचीन भारत में 5 हजार साल पहले हुई थी. योग की जड़ें सिंधु-सरस्वती सभ्यता में मौजूद हैं। यह वैदिक अनुष्ठानों और अभ्यासों से विकसित हुआ. इस अभ्यास को महर्षि पतंजलि ने अपने योग सूत्रों में व्यवस्थित किया. बाद में विभिन्न विद्यालयों और गुरुओं ने इसका विस्तार किया, जो अंततः 19वीं और 20वीं शताब्दी में पश्चिमी देशों तक पहुंचा.
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 की थीम ( International Yoga Day 2025 Theme)
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 की थीम है -“एक पृथ्वी, एक तरह के स्वास्थ्य के लिए योग (Yoga for One Earth, One Health)”. यह थीम समग्र कल्याण और पर्यावरण सद्भाव को बढ़ावा देने में योग की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालती है.
कई गुना बढ़ जाता है ऊर्जा का स्तर : श्री श्री रविशंकर
योग मानव जाति के लिए वरदान है. इस समय जब दुनिया भर में चिंता और भय का माहौल है, योग जीवन में बहुत जरूरी आंतरिक शक्ति और लचीलापन ला सकता है. योग आक्रामकता और अवसाद से बाहर आने और अपने स्वास्थ्य को मजबूत बनाने का एक जरूरी उपाय है. योग और ध्यान के अनुशासन को अपनाकर हमें समाज में खुशी की लहर पैदा करनी चाहिए. हम एक मानव परिवार का हिस्सा हैं जैसा कि भारत के प्राचीन लोगों ने कहा था- वसुधैव कुटुम्बकम – पूरी दुनिया एक परिवार है. हर दिन अगर आप योग के लिए 10-15 मिनट का समय निकालते हैं, तो आप अपने आप में एक बड़ा बदलाव देखेंगे. आपकी ऊर्जा का स्तर और संवाद करने की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है. मन में स्पष्टता होती है. आप भावनात्मक रूप से उत्साहित और शारीरिक रूप से फिट महसूस करते हैं. ये योग के कुछ लाभ हैं. यह हमें एक खुशहाल समाज, एक खुशहाल वातावरण बनाने में मदद कर सकता है.
योग भले ही भारत में जन्मा हो, लेकिन यह मानव जाति का हिस्सा है. हम एक वैश्विक परिवार का हिस्सा हैं, चाहे हमारी भाषा, धर्म, संस्कृति या जीवनशैली कुछ भी हो. योग यह संदेश देता है कि हमारी तमाम विविधताओं के बावजूद, हम सभी शांति, प्रेम और देखभाल से जुड़े हुए हैं. योग का अर्थ है मिलन. योग वाह्य और अंतर्मन को जोड़ता है. योग किसी भी तरह के तनाव से मुक्त रखता है. यह आपके जीवन को करुणा, खुशी और प्रेम से भर देता है. आइए हम सब हाथ मिलाएं और उन सभी दरवाजों पर दस्तक दें जो किसी कारण से या किसी पूर्वाग्रह के कारण योग के प्रति बंद हैं.
एकता और सद्भाव की भावना को बढ़ावा : सद्गुरु जग्गी वासुदेव
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस दुनिया भर के लोगों को योग से परिचित कराने और आंतरिक कल्याण को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है. योग शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ व्यक्तिगत सीमाओं को तोड़ने और आत्म-परिवर्तन में भी मददगार है. लोगों को अपने दैनिक जीवन में सरल योग अभ्यास भी जरूर करना चाहिए. केवल सुबह या शाम के अभ्यास के रूप में नहीं, बल्कि एक तरह से जीने के तरीके के रूप में अपनाना चाहिए. समूह में योग करने पर एकता और सद्भाव की भावना को बढ़ावा मिलता है. हर क्रिया को योग के प्रति जागरूकता और इरादे के साथ किया जाना चाहिए. यौगिक अभ्यास अंदर की ओर मुड़ने का विज्ञान और तकनीक है. योग ज़ेन योग से भी जुड़ा है. असल में ‘ज़ेन’ शब्द संस्कृत शब्द ‘ध्यान’ से आया है. गौतम बुद्ध ने ध्यान सिखाया. बोधि धर्म ध्यान को चीन ले गए, जहां यह चान बन गया. यह चान सुदूर पूर्वी एशियाई देशों में आगे बढ़ा, जहां यह ज़ेन बन गया. ज़ेन आध्यात्मिक मार्ग का एक रूप है, जिसमें कोई शास्त्र, किताबें, नियम या विशेष अभ्यास नहीं हैं. यह एक अज्ञात मार्ग है. यह योग से बहुत अलग नहीं है. जिसे हम योग कहते हैं, वे उसे ज़ेन कहते हैं. योग में हम उसी चीज़ को विज्ञान के रूप में प्रस्तुत करते हैं जबकि ज़ेन में इसे एक कला के रूप में प्रस्तुत किया जाता है.
शांतिपूर्ण और पूर्ण जीवन की ओर ले जाता है योग : बी.के. शिवानी
योग विशेष रूप से राजयोग व्यक्ति की आंतरिक स्थिति को बदलने और शांति और कल्याण को बढ़ावा देने की भूमिका पर जोर देता है. योग को यदि अपने वास्तविक अर्थों में देखा जाए, तो यह केवल शारीरिक आसनों की बजाय, स्वयं को दूसरों से और अंत में ईश्वर से जुड़ने में भी मदद करता है. व्यक्ति को योगी जीवनशैली को बढ़ावा देना चाहिए, इससे दैनिक जीवन के विचार, क्रियाएं और रिश्ते योग सिद्धांतों के साथ मिलकर आगे बढ़ेंगे. इससे अधिक सकारात्मक और पूर्ण जीवन प्राप्त होता है. योग के शारीरिक लाभ भी बहुत अधिक हैं. सच्चा योग मानसिक और आध्यात्मिक क्षेत्रों तक फैला हुआ है. योग में स्वयं, दूसरों और ईश्वरीय शक्ति के साथ सकारात्मक संबंध विकसित करने की क्षमता है. इससे न सिर्फ आंतरिक शांति मिलती है, बल्कि लोगों के साथ सामंजस्यपूर्ण संबंध भी बनते हैं. योग से सकारात्मक ज्ञान और सकारात्मक मानसिकता को बढ़ावा मिलता है. यह आंतरिक शक्ति, आत्म-विश्वास और एक बड़े उद्देश्य में परिणत हो सकता है.
लोगों को योग के माध्यम से ऐसी जीवनशैली को अपनाना चाहिए, जिससे सचेत जीवन जीया जा सके. इससे व्यक्ति अपने विचारों और कार्यों के प्रति जागरूक हो सकता है. सचेत जीवन जीने पर अपना और समाज का भी कल्याण हो सकता है.
ध्यान देने योग्य बात है कि राजयोग ध्यान व्यक्ति के आंतरिक स्व से जुड़ने और आध्यात्मिक जागृति का अनुभव करने का एक तरीका है. योग, अपने समग्र अर्थ में, व्यक्तिगत परिवर्तन के लिए एक शक्तिशाली उपकरण हो सकता है, यह अधिक शांतिपूर्ण और पूर्ण जीवन की ओर ले जाता है.
सकारात्मक और सुंदर जीवन का आधार योग : दीदी मां ऋतंभरा
भोग भुक्त होना यह भारत की परंपरा नहीं है. योग युक्त होकर कृतार्थ होना यह संन्यास की परंपरा है. शक्ति की उत्पत्ति, जिसमें भक्ति, शक्ति और कुंडलिनी का सार समाहित है. भक्ति ने ह्रदय को खोला, शक्ति ने चेतना को जगाया और कुंडलिनी ने अंतस को जगाया. योग केवल एक शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि मन को स्थिर करने की एक दिव्य कला है. योग के माध्यम से व्यक्ति न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकता है, बल्कि मानसिक रूप से भी शांत और स्थिर रह सकता है. योग माया यानी आसक्ति से मुक्ति पाने और कर्म और धर्म के मार्ग पर चलने का एक साधन है. यह ईर्ष्या, द्वेष, काम-क्रोध से ऊपर उठने में मदद करता है और आत्मा को परमात्मा से जुड़ने का मार्ग प्रशस्त करता है. इसी में जनकल्याण और विश्व का कल्याण समाहित है. योग का मार्ग संयम का मार्ग है. संयम अपनाने से ही मन शांत होगा. शांत मन ही कर्मयोग और धर्मयोग का सही अर्थ समझ पायेगा. इन दोनों का अर्थ समझने पर उसका पालन करने में मदद मिल पाएगी और हमारा जीवन सकारात्मक और सुंदर हो पायेगा. इसलिए सभी लोगों को योग करना चाहिए और अपने जीवन को स्वस्थ और खुशहाल बनाना चाहिए.
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