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क्या होती है Territorial Army, जो अब आ रही है भारतीय सेना के साथ
क्या होती है Territorial Army, जो अब आ रही है भारतीय सेना के साथ
Authored By: सतीश झा
Published On: Friday, May 9, 2025
Last Updated On: Friday, May 9, 2025
देश की सुरक्षा में अपनी अहम भूमिका निभाने वाली टेरिटोरियल आर्मी (Territorial Army) एक बार फिर चर्चा में है, क्योंकि इसे अब भारतीय सेना (Indian Army) के साथ और अधिक समन्वयित किया जा रहा है.भारत की बढ़ती सैन्य तैयारियों की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, रक्षा मंत्रालय ने उत्तरी और पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. सरकार ने प्रादेशिक सेना (Territorial Army) को पूर्ण रूप से सक्रिय करने के लिए सेना प्रमुख की शक्तियों का विस्तार कर दिया है.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Friday, May 9, 2025
Territorial Army 2025: यह निर्णय 6 मई, 2025 को प्रादेशिक सेना नियम, 1948 के नियम 33 के तहत जारी अधिसूचना के माध्यम से लिया गया है. इसके तहत अब सेना प्रमुख को यह अधिकार प्राप्त हो गया है कि वे आवश्यकता अनुसार प्रादेशिक सेना के अधिकारियों और जवानों को गार्ड ड्यूटी, नियमित सेना की सहायता अथवा पूर्ण सैन्य तैनाती के लिए बुला सकें. रक्षा मंत्रालय के सैन्य मामलों के विभाग ने छह मई को एक अधिसूचना जारी की जिसमें कहा गया है, “यह आदेश 10 फरवरी 2025 से 09 फरवरी 2028 तक तीन वर्षों के लिए लागू रहेगा”.
क्या है टेरिटोरियल आर्मी?
टेरिटोरियल आर्मी (TA) भारतीय सेना की एक सहायक इकाई है, जिसकी स्थापना 9 अक्टूबर 1949 को हुई थी. इसका उद्देश्य ऐसे नागरिकों को रक्षा क्षेत्र से जोड़ना है, जो अपने पेशेवर जीवन को जारी रखते हुए सैन्य सेवाओं में भी सक्रिय रूप से भाग लेना चाहते हैं. इसमें वे लोग शामिल होते हैं जो डॉक्टर, इंजीनियर, व्यापारी, या अन्य पेशेवर हों, लेकिन जरूरत पड़ने पर हथियार उठा सकते हैं और सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश की रक्षा कर सकते हैं.
भारत सरकार ने प्रादेशिक सेना (Territorial Army) की तैनाती को लेकर प्रादेशिक सेना नियम, 1948 के नियम 33 के अंतर्गत 6 मई, 2025 को जारी एक सरकारी अधिसूचना के माध्यम से लिया है. सरकारी अधिसूचना में स्पष्ट रूप से उल्लेख है, “प्रादेशिक सेना नियम, 1948 के नियम 33 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्र सरकार, सेना प्रमुख को उस नियम के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए प्रादेशिक सेना के प्रत्येक अधिकारी और प्रत्येक भर्ती व्यक्ति को आवश्यक सुरक्षा प्रदान करने या नियमित सेना को सहायता या अनुपूरण करने के उद्देश्य से शामिल करने के लिए बुलाने का अधिकार देती है.”
किन क्षेत्रों में तैनाती?
अधिसूचना के अनुसार, वर्तमान में मौजूद 32 इन्फैंट्री बटालियनों में से 14 को विभिन्न सैन्य कमानों में तैनात किया जाएगा, जिनमें शामिल हैं:
- दक्षिणी कमान
- पूर्वी कमान
- पश्चिमी कमान
- मध्य कमान
- उत्तरी कमान
- दक्षिण पश्चिमी कमान
- अंडमान और निकोबार कमान
- सेना प्रशिक्षण कमान (एआरटीआरएसी)
अब क्यों है चर्चा में?
हाल के निर्णयों के तहत टेरिटोरियल आर्मी की तैनाती और उपयोग को अधिक रणनीतिक बनाया जा रहा है. इसे अब सीमावर्ती इलाकों और संवेदनशील क्षेत्रों में नियमित सेना के साथ साझा जिम्मेदारियों में लगाया जा रहा है. 8-9 मई की रात, भारत ने 50 से अधिक पाकिस्तानी ड्रोन हमलों की बड़ी लहर को विफल कर दिया. ये ड्रोन हमले कम से कम 15 भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने के समन्वित प्रयास थे. भारतीय सेना ने इन हमलों का जवाब देने के लिए एल-70 गन, ज़ू-23 मिमी गन, शिल्का प्लेटफ़ॉर्म और काउंटर-यूएएस (Anti-Drone) सिस्टम जैसे उन्नत वायु रक्षा उपकरणों का उपयोग किया. त्वरित कार्रवाई से सभी ड्रोन को या तो मार गिराया गया या वापस खदेड़ा गया. भारतीय वायु रक्षा प्रणाली की यह क्षमता देश की सुरक्षा के प्रति उसकी सतर्कता और तकनीकी श्रेष्ठता को दर्शाती है.
टेरिटोरियल आर्मी की भूमिका
- प्राकृतिक आपदाओं, दंगों और अन्य आपातकालीन स्थितियों में सहायता.
- नियमित सेना की गैर-लड़ाकू गतिविधियों में सहयोग.
- आंतरिक सुरक्षा, विशेषकर पूर्वोत्तर और जम्मू-कश्मीर जैसे क्षेत्रों में सहयोग.
क्या है नए फैसले का महत्व?
पाकिस्तान के साथ सीमा पर बढ़ती गतिविधियों और सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए, तेज़ और प्रभावी जवाब देने के लिए यह फैसला लिया गया है. इससे सेना की मानव संसाधन क्षमता बढ़ेगी. सीमावर्ती क्षेत्रों में त्वरित समर्थन सुनिश्चित किया जा सकेगा. प्रादेशिक सेना को मुख्यधारा की सैन्य तैनाती में लाना, रक्षा रणनीति में लचीलापन और सामर्थ्य को बढ़ाता है.
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय एक रणनीतिक संकेत भी है, जो यह दर्शाता है कि भारत अब सीमाओं पर किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह सतर्क और तैयार है. भारत न केवल कूटनीतिक मोर्चे पर, बल्कि सैन्य स्तर पर भी पूरी तरह से तैयार है. प्रादेशिक सेना की तैनाती और संचालन में सेना प्रमुख को दिए गए विस्तारित अधिकारों से भारत की सुरक्षा व्यवस्था में मजबूती आएगी और संकट के समय तुरंत कार्रवाई संभव हो सकेगी.