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विदेशी धरती पर फिर बिगड़े राहुल गांधी के बोल, चुनाव आयोग को लेकर दिए गए बयान से मचा सियासी घमासान
विदेशी धरती पर फिर बिगड़े राहुल गांधी के बोल, चुनाव आयोग को लेकर दिए गए बयान से मचा सियासी घमासान
Authored By: सतीश झा
Published On: Monday, April 21, 2025
Last Updated On: Monday, April 21, 2025
कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) एक बार फिर अपने विदेशी दौरे के दौरान दिए गए बयान को लेकर राजनीतिक विवादों के केंद्र में आ गए हैं. इस बार मामला उनके द्वारा चुनाव आयोग (Election Commission of India) की निष्पक्षता पर विदेशी धरती पर उठाए गए सवाल से जुड़ा है. अमेरिका दौरे के दौरान एक संवाददाता सम्मेलन में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने भारत के चुनाव आयोग पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आज के भारत में संस्थाएं निष्पक्ष नहीं रह गई हैं, चुनाव आयोग भी दबाव में काम कर रहा है.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Monday, April 21, 2025
Rahul Gandhi controversial statement: राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के इस बयान ने भारतीय राजनीति में सियासी तूफान खड़ा कर दिया है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने राहुल गांधी पर विदेशी मंच से भारत की संवैधानिक संस्थाओं की छवि को धूमिल करने का आरोप लगाया है. राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को “समझौतावादी” करार देते हुए कहा कि “व्यवस्था में कुछ बहुत गड़बड़ है.” इस बयान के बाद देश की राजनीति में घमासान मच गया है.
भाजपा का पलटवार
BJP के वरिष्ठ नेता अनुराग ठाकुर (Anurag Thakumar) ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “राहुल गांधी को भारत की जनता ने बार-बार नकारा है, अब वह विदेश जाकर भारत की छवि को खराब करने में लगे हैं. चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था पर सवाल उठाना लोकतंत्र का अपमान है. राहुल गांधी के बयान पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Praddhan) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर विदेशी धरती से हमारे चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया है. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब भी राहुल गांधी विदेश में होते हैं, तो वे भारत और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के प्रति अपने घृणित विचार साझा करने से नहीं चूकते.” प्रधान ने इसे भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं और संविधान की अवमानना करार दिया और कहा कि कांग्रेस को इस तरह की राजनीति बंद करनी चाहिए जो देश की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नुकसान पहुंचाए.
कांग्रेस नेताओं का समर्थन, चुनाव आयोग पर उठाए गंभीर सवाल
कांग्रेस ने राहुल गांधी के बयान का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने सिर्फ तथ्यों को सामने रखा है. राहुल गांधी ने अमेरिका में भारत की संवैधानिक संस्थाओं की निष्पक्षता पर सवाल उठाए थे, जिस पर अब हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hudda) और कांग्रेस महासचिव अविनाश पांडे (Avinash Pandey) ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राहुल गांधी के बयान का समर्थन करते हुए कहा, “हरियाणा में भी ऐसा हुआ है. लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के बीच कई लाख नए वोटर अचानक जुड़ गए. यह एक गंभीर मुद्दा है और इसका एकमात्र समाधान बैलेट पेपर से चुनाव कराना है.” हुड्डा के इस बयान ने एक बार फिर EVM को लेकर विपक्षी दलों की चिंताओं को हवा दे दी है. उन्होंने चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता की आवश्यकता पर बल दिया.
कांग्रेस महासचिव अविनाश पांडे ने राहुल गांधी की साफगोई की तारीफ करते हुए कहा, “राहुल गांधी हमेशा सत्य बोलते आए हैं। जनता जानती है कि भाजपा ने अपना इलेक्शन डिपार्टमेंट ईडी (ED) को बना दिया है और चुनाव आयोग को ईवीएम (EVM) मशीन में तब्दील कर दिया है.” उन्होंने यह भी कहा कि देश की संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग हो रहा है और मौजूदा सरकार और उसके अधिकारी यह न भूलें कि ये सरकार स्थायी नहीं है.
राहुल गांधी के बयान को मिला आदित्य ठाकरे का समर्थन
अब इस विवाद में शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे भी कूद पड़े हैं. उन्होंने राहुल गांधी के बयान का समर्थन करते हुए चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सीधे तौर पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
आदित्य ठाकरे ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “राहुल गांधी का बयान 100% सही है, क्योंकि चुनाव आयोग भाजपा के कार्यालय से ही चलता है — यह बात आज पूरी दुनिया जानती है.” उनके इस बयान से साफ है कि विपक्षी दलों को अब एक और साझा मुद्दा मिल गया है, जिसके जरिए वे भाजपा और चुनाव आयोग की कार्यशैली पर हमला बोल रहे हैं.
पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान
गौरतलब है कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) इससे पहले भी कई बार विदेशों में भारतीय राजनीति और संस्थाओं पर बयान दे चुके हैं, जिन पर विपक्षी दलों ने उन्हें ‘भारत विरोधी’ एजेंडा चलाने का आरोप लगाया था. मार्च 2023 में ब्रिटेन दौरे पर भी उन्होंने संसद में बोलने की स्वतंत्रता न होने की बात कहकर विवाद खड़ा कर दिया था.